China-Japan Tensions / ताइवान पर जापान के बयान से चीन भड़का, कहा- 'सीमा लांघी'

जापान की नई नेता साने ताकाइची द्वारा ताइवान पर सैन्य हस्तक्षेप संबंधी टिप्पणी के बाद चीन भड़क गया है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि जापान ने 'सीमा लांघ दी है' और चीन को इसका 'दृढ़ता से जवाब' देना चाहिए। बीजिंग ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव को भी पत्र भेजा है।

चीन और ताइवान के बीच लंबे समय से चली आ रही तनातनी अब एक नए मोड़ पर आ गई है, जिसमें जापान भी शामिल हो गया है और चीन हमेशा से ताइवान को अपना अविभाज्य अंग मानता रहा है और उसे मुख्य भूमि चीन में फिर से एकीकृत करने के लिए सैन्य कार्रवाई सहित किसी भी विकल्प से पीछे नहीं हटने की बात करता रहा है। इसी पृष्ठभूमि में, जापान की एक प्रमुख राजनीतिक हस्ती द्वारा ताइवान के संबंध में की गई टिप्पणियों ने बीजिंग को बुरी तरह भड़का दिया है, जिससे दोनों एशियाई शक्तियों के बीच राजनयिक तनाव बढ़ गया है।

जापान के बयान पर चीन की कड़ी प्रतिक्रिया

चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने जापान की नई नेता साने ताकाइची के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है। वांग यी ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि ताकाइची ने। ताइवान पर सैन्य हस्तक्षेप संबंधी टिप्पणी करके 'सीमा लांघ दी है'। चीन के विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर प्रकाशित एक पोस्ट के अनुसार, इस महीने की शुरुआत में जापान की प्रधानमंत्री साने ताकाइची की टिप्पणी 'स्तब्ध' करने वाली थी। ताकाइची ने कथित तौर पर कहा था कि ताइवान पर चीन की नौसेना की नाकेबंदी या कोई अन्य सैन्य कार्रवाई जापान की जवाबी सैन्य कार्रवाई का आधार बन सकती है और चीन ने इस बयान को अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर सीधा हमला माना है।

'जापान ने लांघी है सीमा' - वांग यी

वांग यी ने अपने बयान में इस बात पर जोर दिया कि जापान के मौजूदा नेताओं ने ताइवान मामले में सैन्य हस्तक्षेप की बात करके सार्वजनिक तौर पर 'गलत संकेत' दिया है और उन्होंने कहा कि ऐसी बातें कही गई हैं जो उन्हें नहीं कहनी चाहिए थीं और इन सबसे उन्होंने ऐसी 'सीमा लांघी है' जहां तक उन्हें जाना ही नहीं चाहिए था। चीन का मानना है कि ताइवान उसका आंतरिक मामला है और किसी भी बाहरी शक्ति का इसमें हस्तक्षेप अस्वीकार्य है और जापान की इस टिप्पणी को बीजिंग ने अंतरराष्ट्रीय कानूनों और राजनयिक नियमों का उल्लंघन माना है, जिससे क्षेत्र में स्थिरता को खतरा पैदा हो गया है।

चीन को देना चाहिए 'दृढ़ता से जवाब'

चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने यह भी कहा कि चीन को जापान की इन 'हरकतों का दृढ़ता से जवाब' देना चाहिए और ताकाइची के बयान के बाद से पिछले कुछ हफ्तों से दोनों देशों के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है। बीजिंग ने इस मामले को अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी उठाया है। चीन ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस को एक औपचारिक पत्र भी भेजा है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय कानूनों और राजनयिक नियमों के उल्लंघन के लिए ताकाइची की आलोचना की गई है। यह दर्शाता है कि चीन इस मुद्दे को कितनी गंभीरता से ले रहा है और वह जापान के इस कदम को हल्के में लेने को तैयार नहीं है।

राष्ट्रपति शी जिनपिंग का ताइवान पर बयान

यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब हाल ही में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ताइवान को लेकर एक बड़ा बयान दिया था। जिनपिंग ने पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की स्थापना की 76वीं वर्षगांठ मनाने के लिए बीजिंग के ग्रेट हॉल ऑफ द पीपल में आयोजित एक समारोह में कहा था कि चीन ताइवान की स्वतंत्रता को लेकर अलगाववादी गतिविधियों और बाहरी हस्तक्षेप का कड़ा विरोध करेगा। उन्होंने यह भी दोहराया था कि चीन राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की दृढ़ता से रक्षा करेगा और यह बयान जापान की नेता की टिप्पणी से पहले आया था, जो ताइवान पर चीन की अटल स्थिति को रेखांकित करता है।

चीन और ताइवान का ऐतिहासिक विभाजन

चीन और ताइवान का विभाजन 1949 में गृहयुद्ध के दौरान हुआ था। उस समय चीन में कम्युनिस्ट पार्टी सत्ता में आई थी, जबकि पराजित 'नेशनलिस्ट पार्टी' की सेनाएं ताइवान चली गईं, जहां उन्होंने अपनी सरकार स्थापित की और तब से, चीन ताइवान को एक अलग प्रांत मानता है जिसे मुख्य भूमि के साथ फिर से जोड़ा जाना चाहिए, भले ही इसके लिए बल का प्रयोग करना पड़े। चीनी सेना नियमित रूप से ताइवान के हवाई और जलक्षेत्र में लड़ाकू विमान एवं युद्धपोत भेजती रही है, और हाल के वर्षों में उसने इस क्षेत्र में बड़े सैन्य अभ्यास भी किए हैं, जो ताइवान पर अपनी संप्रभुता के दावे को मजबूत करने का एक तरीका है। जापान की टिप्पणी ने इस संवेदनशील मुद्दे को और अधिक जटिल बना दिया है।