Tejas Crash In Dubai / दुबई एयर शो में तेजस फाइटर क्रैश: ₹680 करोड़ का नुकसान और बीमा का सवाल

दुबई एयर शो में भारतीय तेजस फाइटर जेट दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें पायलट की मौत हो गई। इस हादसे में करीब ₹680 करोड़ की लागत वाला स्वदेशी विमान आग के गोले में बदल गया। सैन्य विमानों का निजी बीमा नहीं होता, बल्कि सरकार 'सेल्फ इंश्योरेंस' मॉडल के तहत नुकसान वहन करती है।

दुबई एयर शो में भारत के स्वदेशी तेजस लड़ाकू विमान का दुर्घटनाग्रस्त होना एक दुखद घटना है जिसने देश को स्तब्ध कर दिया है। जो विमान कुछ ही क्षण पहले तक अपनी शानदार उड़ान और करतबों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर रहा था, वह पलक झपकते ही जमीन पर आ गिरा और आग के भीषण गोले में तब्दील हो गया। इस हादसे ने न केवल रक्षा विशेषज्ञों को हैरान किया है, बल्कि आम जनता के मन में भी कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सबसे प्रमुख सवाल यह है कि इस दुर्घटना से देश को कितना बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ है और क्या ऐसे महंगे सैन्य विमानों का भी सामान्य वाहनों की तरह बीमा होता है?

यह घटना भारतीय रक्षा क्षमताओं और स्वदेशी प्रौद्योगिकी के प्रदर्शन के लिए एक झटका है, लेकिन साथ ही यह सैन्य विमानों के संचालन से जुड़े जोखिमों और वित्तीय निहितार्थों पर भी प्रकाश डालती है। **हादसा कैसे हुआ? मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना तब हुई जब तेजस लड़ाकू विमान दुबई एयर शो में अपनी बेहतरीन मैन्युवरेबिलिटी, यानी हवा में कलाबाजी करने की क्षमता का प्रदर्शन कर रहा था और उड़ान के दौरान सब कुछ योजना के अनुसार ही चल रहा था, और विमान अपनी गति और फुर्ती का शानदार प्रदर्शन कर रहा था।

तभी अचानक, अप्रत्याशित रूप से, विमान का संतुलन बिगड़ गया। पायलट के नियंत्रण से बाहर होकर, विमान बेहद तेज गति से नीचे की ओर आने लगा। इससे पहले कि वहां मौजूद दर्शक या एयर शो के अधिकारी कुछ समझ पाते, विमान जमीन से टकरा गया। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि एक जोरदार धमाका हुआ और तुरंत ही। मौके पर धुएं का घना गुबार और आग की ऊंची लपटें उठने लगीं। इस भीषण हादसे में विमान को उड़ा रहे पायलट की दुखद। मौत हो गई, जिससे यह घटना और भी हृदय विदारक हो गई।

तेजस की कीमत का आकलन

आर्थिक दृष्टिकोण से, दुबई एयर शो में तेजस लड़ाकू विमान का। दुर्घटनाग्रस्त होना देश के खजाने को लगा एक बहुत बड़ा झटका है। अब यह सवाल स्वाभाविक रूप से उठता है कि दुबई की जमीन पर बिखरे पड़े उस मलबे की वास्तविक कीमत क्या थी और तेजस की सही लागत का अनुमान लगाने के लिए, हमें हाल ही में हुए रक्षा सौदों पर गौर करना होगा। कुछ ही महीने पहले, भारत सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ 97 तेजस Mk-1A जेट्स की खरीद के लिए लगभग 62,370 करोड़ रुपये का एक महत्वपूर्ण करार किया था और यदि इस कुल रकम को विमानों की संख्या से विभाजित किया जाए, तो एक तेजस जेट की औसत लागत लगभग 680 करोड़ रुपये बैठती है। यह आंकड़ा विमान की समग्र लागत का एक स्पष्ट संकेत देता है।

हालांकि, एचएएल (HAL) के पुराने आंकड़ों के अनुसार, केवल विमान के ढांचे (Airframe) की कीमत लगभग 309 करोड़ रुपये होती है। लेकिन एक लड़ाकू जेट केवल धातु और फाइबर का एक ढांचा मात्र नहीं होता। इसमें कई अत्याधुनिक और जटिल प्रणालियाँ शामिल होती हैं। इसमें लगने वाले उन्नत रडार सिस्टम, विभिन्न प्रकार की हथियार प्रणालियाँ, जटिल सॉफ्टवेयर, और इसे सफलतापूर्वक उड़ाने के लिए आवश्यक ग्राउंड सपोर्ट सिस्टम, साथ ही स्पेयर पार्ट्स की लागत भी इसमें जुड़ती है। जब इन सभी घटकों की लागत को एयरफ्रेम की कीमत में जोड़ा जाता है, तो विमान की कुल कीमत 309 करोड़ रुपये से बढ़कर लगभग 680 करोड़ रुपये के आसपास पहुंच जाती है। यह दर्शाता है कि एक लड़ाकू विमान की कीमत में केवल उसका भौतिक ढांचा। ही नहीं, बल्कि उसमें लगी उच्च तकनीक और सहायक उपकरण भी शामिल होते हैं।

सैन्य विमानों का बीमा: 'सॉवरेन रिस्क' और 'सेल्फ इंश्योरेंस' मॉडल

जब हम अपनी निजी कार या बाइक का एक्सीडेंट कर बैठते हैं, तो आमतौर पर बीमा कंपनी नुकसान की भरपाई करती है। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या 680 करोड़ रुपये के इस भारी नुकसान की भरपाई कोई बीमा कंपनी करेगी? इसका सीधा जवाब है, नहीं। सैन्य विमानों की दुनिया आम कमर्शियल फ्लाइट्स या निजी वाहनों से बिल्कुल अलग होती है। रिपोर्ट्स और रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, तेजस जैसे स्वदेशी लड़ाकू विमानों के लिए कोई भी बाहरी या निजी बीमा पॉलिसी नहीं ली जाती है। इसके पीछे मुख्य कारण 'सॉवरेन रिस्क' (Sovereign Risk) और 'सेल्फ इंश्योरेंस'। (Self-Insurance) का मॉडल है, जो सैन्य संपत्तियों पर लागू होता है। नियम यह कहता है कि जब तक विमान हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) की फैक्ट्री में होता है या परीक्षण उड़ानों (Test Flights) पर होता है, तब तक उसकी जिम्मेदारी और बीमा HAL के पास होता है और इस अवधि में यदि कोई दुर्घटना होती है, तो HAL ही उसके लिए जिम्मेदार होती है।

लेकिन, जैसे ही विमान आधिकारिक तौर पर भारतीय वायुसेना (IAF) को सौंप दिया जाता है, वह देश की संप्रभु संपत्ति बन जाता है और देश की सुरक्षा और युद्धक अभियानों में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों का जोखिम इतना ज्यादा और अप्रत्याशित होता है कि कोई भी साधारण निजी बीमा कंपनी इसे कवर करने को तैयार नहीं होती। युद्ध, प्रशिक्षण अभ्यास, या प्रदर्शन उड़ानों के दौरान होने वाले हादसों का जोखिम बहुत अधिक होता है, जिसे व्यावसायिक बीमा कंपनियां वहन नहीं कर सकतीं। इसलिए, एक बार जब विमान भारतीय वायुसेना में शामिल हो जाता है और दुर्घटनाग्रस्त होता है, तो उसका पूरा वित्तीय भार भारत सरकार को ही उठाना पड़ता है और इसे 'सेल्फ इंश्योरेंस' कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि सरकार स्वयं ही अपनी सैन्य संपत्ति की बीमाकर्ता है। यह मॉडल सुनिश्चित करता है कि देश की रक्षा क्षमताएं किसी बाहरी बीमा कंपनी की शर्तों या सीमाओं से प्रभावित न हों, और सरकार अपनी रणनीतिक संपत्तियों के जोखिम को स्वयं प्रबंधित करे। यह एक राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है, जहां वित्तीय जोखिम को सीधे राष्ट्र द्वारा वहन किया जाता है।