लोकल न्यूज़ / दो विधायक की जुबानी लड़ाई उतर आई हत्या पर.... जानिए कैसे

Zoom News : Dec 24, 2020, 02:56 PM
  • बोला पूर्व मंत्री ने चुनौती दी और खुद नहीं आए

अलवर.जिले के बहरोड़ विधानसभा क्षेत्र के वर्तमान विधायक बलजीत यादव व पूर्व केबिनेट मंत्री डॉ. जसवंत यादव के बीच चल रहा जुबानी टकराव बहरोड़ के खेल मैदान तक आ पहुंचा। गुरुवार सुबह विधायक बलजीत यादव शपथ पत्र लेकर कस्बे के स्टेडियम में पहुंच गए। वहां जाकर बोले कि उनको पूर्व मंत्री डॉ जसवंत यादव ने चेतावनी दी थी कि विधायक शपथ पत्र लेकर आ जाएं। आपसी लड़ाई में मर गया तो हत्या का मुकदमा नहीं लगाया जाए। इसके अगले दिन ही विधायक शपथ पत्र लेकर पहुंच गए। उनके साथ बहरोड़ नगर पालिका चेयरमैन सीताराम यादव सहित काफी संख्या में पदाधिकारी व कार्यकर्ता भी मौजूद थे। इसके पहले दिन विधायक अपने कुछ कार्यकर्ताओं के साथ स्टेडियम में लट्ठ लेकर आ गए थे। आज भी उनके पास लट्‌ठ थे।


जुबानी जंग यूं आ पहुंची मैदान तक:


असल में विधायक बलजीत यादव व पूर्व मंत्री डॉ जसवंत यादव के बीच जुबानी जंग विधानसभा चुनाव 2018 के पहले से जारी है। हाल में नगर पालिका चुनाव हुए हैं। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच खींचतान और बढ़ गई है। पिछले तीन-चार दिनों में नेताओं की बयानबाजी सामने आई है।

- तीन दिन पहले ही नगर पालिका चेयरमैन के कार्यभार ग्रहण के दिन विधायक बलजीत यादव ने कहा कि पूर्व मंत्री जसवंत यादव ने लट्ठ से लड़ाई करने की चेतावनी दी थी इसलिए मैंने उनको कहा कि कभी भी मैदान में आकर लड़ लें। दो मिनट में बेहोश कर दूंगा।


- इसके जवाब में पूर्व मंत्री ने कहा कि कभी भी समय बता दें। लड़ाई करने से पहले शपथ पत्र लेकर आ जाएं। कोई मर गया तो हत्या का मुकदमा नहीं लगे। इसके अगले दिन विधायक बलजीत शपथ पत्र लेकर कस्बे के खेल स्टेडियम में पहुंच गए। वहां जाकर बोले कि मै आ गया हूं। लेकिन, पूर्व मंत्री डॉ जसवंत नहीं आए।


विधानसभा क्षेत्र में चर्चा खूब, भीड़ जुटी:


दोनों नेताओं के बीच की जुबानी जंग को लेकर क्षेत्र में खूब चर्चा हैं। जैसे ही गुरुवार को दोपहर करीब 12 बजे विधायक स्टेडियम में पहुंचे। उनके साथ काफी लोगों की भीड़ जुट गई। वहां जाकर भी विधायक बोले कि पूर्व मंत्री की चुनौती स्वीकार हैं। शपथ पत्र लेकर आ गया हूं। पूर्व मंत्री भी आ जाएं।


नेताओं के बयानों पर प्रतिक्रिया भी अलग-अलग:


इस तरह बड़े नेताओं के झगड़े को लेकर आमजन की अलग-अलग प्रतिक्रिया है। नेताओं के पक्ष के लोग तो अपने नेता को सही ठहरा रहे हैं लेकिन, आमजन का साफ कहना है कि जनप्रतिनिधियों का यूं झगड़ना शोभा नहीं देता हैं। जनता की खातिर लड़ें तो ज्यादा अच्छा हो। ये सब औछी हरकतें हैं।

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