Coronavirus / दुनिया जिसे देश तक नहीं मानती, वही जीत रहा है कोरोना वायरस से जंग

AajTak : Apr 06, 2020, 08:06 PM
Coronavirus: दुनिया के अधिकतर देश कोरोना वायरस की त्रासदी से गुजर रहे हैं। कोरोना वायरस के खतरे को नजरअंदाज करने की वजह से कुछ देश बुरी तरह इसकी चपेट में आ गए हैं, जबकि कुछ देश अपनी सक्रियता और सूझ-बूझ के दम पर इसे अपने नियंत्रण में कर लिया है। 25 जनवरी को जब पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का खतरा पूरी तरह से सामने भी नहीं आया था, चीन के बाहर सिर्फ दो देशों में संक्रमण के मामले सामने आए थे। ये देश थे- ऑस्ट्रेलिया और ताइवान।

ऑस्ट्रेलिया और ताइवान की आबादी लगभग बराबर ही है। दोनों देशों में करीब 2।4 करोड़ की आबादी रहती है। दोनों देशों के चीन से बेहतरीन व्यापारिक संबंध भी हैं। इतनी समानताएं होने के बावजूद, ऑस्ट्रेलिया में जहां अब तक कोरोना वायरस संक्रमण के 5000 मामले सामने आ चुके हैं वहीं ताइवान में संक्रमण के 400 से भी कम केस हैं।

इसका मतलब ये नहीं है कि ऑस्ट्रेलिया ने कोरोना वायरस से निपटने में गलतियां कीं क्योंकि 20 देशों में संक्रमण के इससे कहीं ज्यादा मामले हैं। लेकिन जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस को रोकने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं, ताइवान का कोरोना वायरस पर जीत हासिल करना हैरान करने वाला है। ताइवान खुद को संप्रभु देश मानता है लेकिन चीन समेत दुनिया के अधिकतर देश 'वन चाइना पॉलिसी' के तहत ताइवान को चीन से अलग मान्यता नहीं देते हैं।

जब 2003 में सीवियर एक्यूट रिस्पिरेटरी सिंड्रोम (सार्स) की महामारी आई थी तो चीन और हॉन्ग कॉन्ग के अलावा ताइवान सबसे बुरी तरह प्रभावित हुआ था। दक्षिण-पूर्वी चीन के समुद्री तट से 180 किमी दूर इस द्वीप पर डेढ़ लाख लोगों को क्वारंटीन किया गया था और 181 लोगों की मौत हो गई थी।

हालांकि, मौजूदा कोरोना वायरस के सामने मार्स और सार्स की महामारी कुछ भी नहीं थी लेकिन लोगों के मन में वो पुरानी यादें ताजी हो गईं। दुनिया के बाकी देशों की तुलना में ताइवान की सरकार और आम जनता दोनों ने ही कोरोना वायरस के खतरे को बेहद गंभीरता से लिया। जनवरी महीने में ही ताइवान ने कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए सीमाएं बंद कर दीं और लोग सड़कों पर मास्क पहनकर नजर आने लगे।

जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (JAMA) की रिपोर्ट के मुताबिक, ताइवान में स्वास्थ्य सुविधाएं विश्वस्तरीय हैं। कोरोना वायरस फैलने की खबर के साथ ही ताइवान में सार्स से निपटने के लिए बनाए गए नेशनल हेल्थ कमांड सेंटर (एनएचसीसी) के अधिकारी सक्रिय हो गए। एनएचसीसी ने कोरोना के खतरे के खिलाफ तुरंत कदम उठाने शुरू कर दिए। कमांड सेंट्रल की वजह से मेडिकल अधिकारियों को कोरोना वायरस से संबंधित डेटा इकठ्ठा करने, संसाधनों के वितरण, संभावित केसों और उनसे संपर्क की सूची बनाना आसान हो गया। वायरस संक्रमित मरीजों की पहचान कर उन्हें तुरंत आइसोलेट किया गया।

रिपोर्ट के को-ऑर्थर प्रोफेसर जैसन वांग के मुताबिक, ताइवान ने पिछले पांच हफ्तों में 124 सूत्रीय ऐक्शन प्लान तैयार किया। उसे पता था कि सिर्फ सीमाओं को बंद करना इस खतरे से निपटने के लिए काफी नहीं होगा।

जब बाकी देश कोरोना के खिलाफ किसी तरह के ऐक्शन लेने को लेकर उधेड़बुन में ही थे, ताइवान ने कोरोना से युद्ध स्तर पर लड़ना शुरू कर दिया था। जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी की एक स्टडी के मुताबिक, चीन से भौगोलिक नजदीकी और व्यापारिक संबध को देखते हुए ताइवान सबसे ज्यादा खतरे में था लेकिन इसने खुद को सुरक्षित कर लिया।

ताइवान ने ना केवल मुख्यभूमि चीन से यात्रियों के आने पर पाबंदी लगा दी बल्कि होम क्वारंटीन का उल्लंघन करने वालों के लिए सख्त सजा का नियम बना दिया। इसके अलावा, ताइवान के अधिकारियों ने घरेलू स्तर पर मास्क का उत्पादन बढ़ा दिया, कोरोना वायरस के मरीजों की पहचान के लिए व्यापक स्तर पर टेस्टिंग कराई और न्यूमोनिया की वजहें साफ ना होने पर दोबारा टेस्ट कराया गया। ताइवान की सरकार ने वायरस के बारे में अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ भी कड़ी सजा का प्रावधान किया।

ताइवान की सरकार ने 2003 के सार्स महामारी से सबक सीखा और नए संकट से निपटने के लिए एक मजबूत मैकेनिजम तैयार कर रखा था। नेशनल हेल्थ कमांड सेंटर के प्रशिक्षित और अनुभवी अधिकारियों ने कोरोना वायरस से आने वाले संकट को पहचानने में बिल्कुल देरी नहीं की और आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए तुरंत कदम उठाए।

तमाम सार्वजनिक इमारतों में हैंड सैनिटाइजर और फीवर चेक अनिवार्य कर दिया गया। यही नहीं, ताइवान सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल ने कोरोना के नए मामलों और उनके द्वारा यात्रा की गईं जगहों की जानकारी को लेकर नियमित तौर पर लोगों को एसएमएस अलर्ट भेजे।

दुनिया के कई देश यह दलील दे रहे हैं कि चीन जैसे तानाशाही चलाने वाले देश ही महामारी पर काबू पा सकते हैं। हालांकि, ताइवान ने दिखा दिया कि लोकतांत्रिक तरीके से भी कोरोना वायरस जैसी चुनौतियों से निपटा जा सकता है। ताइवान ने नियमित तौर पर कोरोना वायरस को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की और सूचना को लेकर पारदर्शिता बरती। ताइवान ने सख्त लॉकडाउन भी लागू नहीं किए।

ताइवान अब इतनी मजबूत स्थिति में आ गया है कि उसने घरेलू आपूर्ति के लिए फेस मास्क के निर्यात पर लगे बैन को हटा दिया है। ताइवान की सरकार ने बुधवार को कहा कि वह यूएस, इटली, स्पेन, 9 यूरोपीय देशों समेत ताइवान के साथ कूटनीतिक संबंध रखने वाले छोटे-छोटे देशों को 1 करोड़ मास्क दान करेगी। ताइवान से बाकी देशों ने सबक क्यों नहीं लिया? कई विश्लेषकों का कहना है कि ताइवान विश्व स्वास्थ्य संगठन का सदस्य नहीं है जिससे उसकी आवाज बाकी देशों तक नहीं पहुंच सकी। चीन ताइवान को अपने क्षेत्र का अभिन्न हिस्सा मानता है और तमाम अंतरराष्ट्रीय संगठनों में इसकी भागेदारी को रोकता है। ताइवान तभी किसी विश्व स्तरीय आयोजन में हिस्सा ले सकता है, जब तक उससे वन चाइना पॉलिसी का उल्लंघन ना होता हो।

ताइवान से बाकी देशों ने सबक क्यों नहीं लिया? कई विश्लेषकों का कहना है कि ताइवान विश्व स्वास्थ्य संगठन का सदस्य नहीं है जिससे उसकी आवाज बाकी देशों तक नहीं पहुंच सकी। चीन ताइवान को अपने क्षेत्र का अभिन्न हिस्सा मानता है और तमाम अंतरराष्ट्रीय संगठनों में इसकी भागेदारी को रोकता है। ताइवान तभी किसी विश्व स्तरीय आयोजन में हिस्सा ले सकता है, जब तक उससे वन चाइना पॉलिसी का उल्लंघन ना होता हो।

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