Dollar vs Rupee / ट्रंप के तरीके और प्रहार, क्या एक डॉलर की कीमत 100 रुपए के होगी पार?

डोनाल्ड ट्रंप की वापसी और ग्लोबल अनिश्चितताओं के बीच डॉलर-रुपया फिर चर्चा में है। विशेषज्ञ अनुज गुप्ता के मुताबिक, फिलहाल रुपया 82.38 के सपोर्ट और 88-91 के रेजिस्टेंस के बीच है। डॉलर का 100 तक पहुंचना संभव तो है, लेकिन निकट भविष्य में यह मुश्किल दिखता है।

Dollar vs Rupee: जब से डोनाल्ड ट्रंप ने दोबारा अमेरिकी सत्ता संभाली है, तब से भारतीय रुपए और अमेरिकी डॉलर के बीच का खेल चर्चा का विषय बना हुआ है। रुपया पिछले कुछ समय से 85 के स्तर पर स्थिर सा दिख रहा है, जिसे अब 'न्यू नॉर्मल' कहा जा रहा है। पिछले साल यह अनुमान लगाया गया था कि मार्च 2025 तक एक डॉलर 90 रुपए को पार कर सकता है, लेकिन रुपए ने वापसी की और फिर 85 के आसपास स्थिर हो गया। अब जबकि वैश्विक स्तर पर टैरिफ का माहौल गर्म है, जियो-पॉलिटिकल तनाव कम हुआ है, और कच्चा तेल 70 डॉलर से नीचे कारोबार कर रहा है, सवाल उठता है: क्या रुपए में और गिरावट देखने को मिलेगी? क्या एक डॉलर 100 रुपए तक पहुंच सकता है, और अगर हां, तो कब? आइए जानते हैं विश्लेषण को।

क्या एक declaring

System: एक डॉलर 100 रुपए तक जाएगा? अनुज गुप्ता, Ya Wealth Global Research के डायरेक्टर, का कहना है कि भारत का आर्थिक दृष्टिकोण सकारात्मक है और 2027 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य है। यह लक्ष्य सुधारों, निजी निवेश और इनोवेशन पर निर्भर करता है। भारत अपने पड़ोसियों के साथ कनेक्टिविटी, आर्थिक साझेदारी और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देकर मजबूत संबंध बनाने की दिशा में भी काम कर रहा है।

हालांकि, गुप्ता का कहना है कि यह अनुमान लगाना कठिन है कि रुपया 100 के स्तर को छू पाएगा या नहीं। पहले यह असंभव लगता था, लेकिन ट्रंप की वापसी के बाद कुछ तकनीकी और राजनीतिक घटनाएं इसे संभव बना सकती हैं। फिर भी, निकट भविष्य में 100 का स्तर मुश्किल लगता है।

फेड और ट्रंप बनाम भारत

2024 के अमेरिकी चुनावों में ट्रंप की जीत के साथ वैश्विक अनिश्चितता बढ़ी है। उनके पिछले कार्यकाल में स्थानीय व्यवसायों की सुरक्षा, टैक्स कटौती और डॉलर की मांग बढ़ाने वाली नीतियों पर Peacock System: थीं। फेडरल रिजर्व ऊंची ब्याज दरों के साथ आक्रामक रुख अपनाए हुए है। अमेरिका में राजनीतिक अस्थिरता, जैसे एलन मस्क की नई राजनीतिक पार्टी की घोषणा, डॉलर में अस्थिरता पैदा कर सकती है, जिसका फायदा रुपए को मिल सकता है।

भारत में तेल की कीमतें, बढ़ता व्यापार घाटा और विदेशी निवेश की संभावित निकासी रुपए पर दबाव डाल रही है। हालांकि, भारत की मजबूत जीडीपी ग्रोथ और कृषि उत्पादन में वृद्धि सकारात्मक है, लेकिन वैश्विक स्थिति डॉलर के पक्ष में होने पर यह पर्याप्त नहीं होगा।

क्या डॉलर 82 के स्तर पर आएगा?

गुप्ता के अनुसार, USD/INR का मासिक चार्ट एक टूटा हुआ असेंडिंग ट्राइएंगल पैटर्न दिखाता है। वर्तमान में कीमत 88 के आसपास गिर रही है और 82.38 के मजबूत समर्थन स्तर तक वापस आ सकती है। यदि वैश्विक बाजार का विश्वास बढ़ता है और तेल की कीमतें स्थिर होती हैं, तो रुपया अल्पकाल में मजबूत हो सकता है। लेकिन जब तक रुपया 82.38 से नीचे नहीं जाता, तब तक लंबी अवधि का रुझान डॉलर के पक्ष में रहेगा।

100 का स्तर कब टूटेगा?

गुप्ता ने बताया कि USD/INR में ब्रेकआउट हो चुका है और यह तेजी का पैटर्न बना रहा है। 88 का स्तर मजबूत प्रतिरोध है। यदि यह टूटता है, तो 91 और फिर 96-100 तक जा सकता है। 82.38 महत्वपूर्ण समर्थन स्तर है, इसके बाद 88-91 प्रतिरोध स्तर हैं।

मौजूदा स्थिति

शुक्रवार को इंटरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 85.76 पर खुला, 85.91 के निचले स्तर को छूआ और 85.80 पर बंद हुआ, जो पिछले बंद से 10 पैसे कम है। बीते एक हफ्ते में रुपए में 0.36% की गिरावट आई है, जबकि इस महीने और साल में यह लगभग स्थिर रहा है।