Vasundhara Raje: पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने एक जनसभा में कार्यकर्ताओं के नारों को बीच में रोककर उन्हें 'जैसा' की जगह 'जैसी' बोलने को कहा, जिसने राजस्थान की राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है। यह घटना गुरुवार (9 अक्टूबर) को चूरू के रतनगढ़ में हुई, जब राजे पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी के निधन पर शोक व्यक्त कर बीकानेर से लौट रही थीं।
नारे का सियासी बदलाव
रतनगढ़ में पूर्व मंत्री राजकुमार रिणवां की अगुवाई में वसुंधरा राजे का स्वागत किया गया और इसी दौरान कार्यकर्ताओं ने 'हमारा मुख्यमंत्री कैसा हो, वसुंधरा राजे जैसा हो... ' के नारे लगाने शुरू कर दिए। राजे ने तुरंत हस्तक्षेप करते हुए कार्यकर्ताओं से 'जैसा' की जगह 'जैसी' बोलने को कहा और उनके इस हावभाव को लेकर राजनीतिक गलियारों में कई तरह के मायने निकाले जा रहे हैं।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि वसुंधरा राजे ने भले ही यह बात सहज अंदाज में कही हो, लेकिन इसके गहरे सियासी मायने हैं। इसे उनकी राजस्थान में सक्रियता बनाए रखने और अपनी लीडरशिप पर पकड़ बरकरार रखने की रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। राजे का प्रदेशभर में एक बड़ा समर्थक वर्ग है, और इस बयान को उनके समर्थकों को एक स्पष्ट संदेश देने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है और सियासी पर्सेप्शन के लिहाज से उनके ये दो शब्द आगामी समय में बीजेपी की राजनीति में चर्चा का विषय बने रहेंगे।
गुटबाजी और सौहार्दपूर्ण मुलाकातें
रतनगढ़ में राजे का स्वागत करने के लिए पूर्व बीजेपी विधायक राजकुमार रिणवां और अभिनेष महर्षि। के अलग-अलग धड़ों ने अलग-अलग कार्यक्रम रखे, जो पार्टी के भीतर की गुटबाजी को दर्शाता है। वहीं, बीकानेर एयरपोर्ट पर वसुंधरा राजे की कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा से सौहार्दपूर्ण मुलाकात हुई। डोटासरा ने राजे से कहा कि वे उनके आने का 26 मिनट। तक इंतजार करते रहे, जिस पर राजे ने इसे 'अच्छा किया' बताया।