Ram Mandir Ayodhya / क्यों जरूरी है प्राण-प्रतिष्ठा से पहले प्रायश्चित पूजा? जानें यहां

Zoom News : Jan 18, 2024, 01:30 PM
Ram Mandir Ayodhya: अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का अनुष्ठान आज मंगलवार से शुरू हो गया है. सबसे पहले प्रायश्चित पूजा के साथ प्राण-प्रतिष्ठा का विधिवत पूजन शुरू हुआ. पंडित दुर्गा प्रसाद ने बातचीत में कहा था कि सुबह 9:30 बजे से पूजन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, ये पूजा करीब अगले 5 घंटे तक चलेगी. इसमें यजमान प्रायश्चित पूजन से पूजा की शुरुआत करेंगे. अब लोग सोच रहे होंगे कि ये प्रायश्चित पूजा क्या होती है. इसके बारे में भी आपको यहां जानकारी दी जा रही है.

क्या है प्रायश्चित पूजा?

पंडित दुर्गा प्रसाद ने कहा कि प्रायश्चित पूजा पूजन की वह विधि होती है, जिसमें शारीरिक आंतरिक मानसिक और वाह्य इन तीनों तरीके का प्रायश्चित किया जाता है. वाह्य प्रायश्चित के लिए यजमान को 10 विधि स्नान करना होता हैं. इसमें पंच द्रव्य और कई सामग्री से स्नान किया जाता है. एक और प्रायश्चित गोदान भी होता है और संकल्प भी होता है. इसमें यजमान गोदान के माध्यम से प्रायश्चित करता है. इसमें कुछ द्रव्य दान से भी प्रायश्चित होता है और इसमें स्वर्ण दान भी शामिल है.

जानें कौन करता है प्रायश्चित पूजा

पंडित दुर्गा प्रसाद का कहना है कि हम किसी पुनीत कार्य अथवा यज्ञ को करते हैं उसे बैठने का अधिकारी होते हैं. ये कर्म जो है वह प्रायश्चित यजमान को करना होता है. पंडित को सामान्यतः नहीं करना पड़ता है लेकिन इस तरह के प्रायश्चित को यजमान को ही करना होता है. इसके पीछे मूल भावना यह है कि जितने भी तरीके का पाप जाने-अनजाने में हुआ हो उसका प्रायश्चित किया जाए, क्योंकि हम लोग कई प्रकार की ऐसी गलतियां कर लेते हैं. जिसका हमें अंदाजा तक नहीं होता तो एक शुद्धिकरण बहुत जरूरी होता है. यानि जाने-अनजाने की गई गलतियों की माफी के लिए हम जो पूजा करते हैं, उसे प्रायश्चित पूजा कहते हैं. इसलिए किसी भी प्रकार की पूजा से पहले प्रायश्चित पूजा जरूरी होती है.

क्या है कर्म कुटी पूजा?

पंडित दुर्गा प्रसाद ने कहा कि कर्म कुटी पूजा का मतलब यज्ञशाला पूजन है. यज्ञशाला शुरू होने से पहले हवन कुंड अथवा बेदी का पूजन करते हैं. छोटा सा विष्णु जी का पूजन होता है और उस पूजन के बाद ही पूजन के लिए मंदिर में अंदर जाते हैं. हर क्षेत्र में प्रवेश पाने के लिए एक पूजन होता है. उस पूजन को करने के बाद एक अधिकार मिलने के बाद हम मंदिर में अंदर जाकर पूजा पद्धति करते हैं.

जानें पूजा में कितना लगेगा समय

पंडित दुर्गा प्रसाद ने कहा कि प्रायश्चित पूजन में कम से कम डेढ़ से 2 घंटे लगेंगे और विष्णु पूजन में भी इतना ही वक्त लगेगा. प्राण-प्रतिष्ठा के लिए शुरू की गई प्रायश्चित पूजा सुबह 9:30 बजे शुरू हो गई है और लगभग 5 घंटे तक यह पूजा अर्चना का काम चलेगा. 121 ब्राह्मण इस पूजा-अर्चना को विधि-विधान से कर रहे हैं.

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