News18 : May 29, 2020, 03:28 PM
नई दिल्ली। हॉन्गकॉन्ग (Hongkong) में रहने में अमीर चाइनीज अपना निवेश और फंड शिफ्ट कर रहे हैं। उन्हें यह फिक्र है कि चीन के नए विवादास्पद नेशनल सिक्योरिटी लॉ के कारण मेनलैंड अथॉरिटी उनकी संपत्ति ट्रैक और जब्त कर सकती है। बिजनेस स्टैंडर्ड के मुताबिक, बैंकर्स और दूसरी इंडस्ट्री के कुछ सोर्स ने यह बताया। हॉन्गकॉन्ग में प्राइवेट वेल्थ करीब 1 लाख करोड़ डॉलर है। बैंकर्स के मुताबिक, इसका आधा से ज्यादा हिस्सा मेनलैंड चाइन से आकर यहां बसे लोगों का है।
इस शहर को चीन से सटे रहने और अलग लीगल सिस्टम होने का फायदा मिल रहा है। साथ ही वहां की करेंसी डॉलर में चलती है। लेकिन अब चिंता बढ़ गई है क्योंकि कैपिटल और टैलेंट फाइट के कारण हॉन्गकॉन्ग फाइनेंशियल शहर होने की अपनी अहमियत खो रहा है।चाइनीज क्लाइंट का फोकस बना हॉन्गकॉन्गबिजनेस स्टैंडर्ड के मुताबिक, करीब आधा दर्जन बैंकर्स और हेडहंटर्स के इंटरव्यू से पता चला है कि चाइनीज क्लाइंट्स वहां से अपना फंड निकालकर सिंगापुर, स्विट्जरलैंड और लंदन में पार्क कर रहे हैं। यूरोपीयन वेल्थ मैनेजर के साथ जुड़े एक एडवाइजर ने बताया कि एक चाइनीज क्लाइंट जो निवेश करना चाहता था उसने हॉन्गकॉन्ग के बजाय इस हफ्ते सिंगापुर में 5 फ्लैट खरीदे। सिंगापुर के एक बैंकर का कहना है कि अब चाइनीज क्लाइंट का फोकस हॉन्गकॉन्ग के बजाय सिंगापुर के मार्केट में बढ़ा है।क्या है मामला?हॉन्गकॉन्ग की सरकार ने एक प्रस्ताव रखा था कि अगर मेनलैंड से आए किसी शख्स के खिलाफ कोई आपराधिक मामला साबित होता है तो उसका प्रत्यर्पण चीन कर दिया जाएगा। इसके खिलाफ पिछले साल हॉन्गकॉन्ग में काफी विरोध प्रदर्शन हुए थे। हिंसक विरोध प्रदर्शन के कारण इस प्रस्ताव को कई महीनों के लिए टाल दिया गया था।चीन की सरकार जब्त कर सकती है उनकी संपत्तिहालांकि अब चीन ने नेशनल सिक्योरिटी लॉ का प्रस्ताव रखा जिसके बाद यह मामला फिर ताजा हो गया है। हॉन्गकॉन्ग में रहने वाले लोगों को यह डर है कि चीन की सरकार उनकी संपत्ति जब्त कर सकती है। चीन पहले भी हॉन्गकॉन्ग में रहने वाले मेनलैंड चाइना के लोगों को करप्शन के नाम पर टारगेट कर चुका है।
इस शहर को चीन से सटे रहने और अलग लीगल सिस्टम होने का फायदा मिल रहा है। साथ ही वहां की करेंसी डॉलर में चलती है। लेकिन अब चिंता बढ़ गई है क्योंकि कैपिटल और टैलेंट फाइट के कारण हॉन्गकॉन्ग फाइनेंशियल शहर होने की अपनी अहमियत खो रहा है।चाइनीज क्लाइंट का फोकस बना हॉन्गकॉन्गबिजनेस स्टैंडर्ड के मुताबिक, करीब आधा दर्जन बैंकर्स और हेडहंटर्स के इंटरव्यू से पता चला है कि चाइनीज क्लाइंट्स वहां से अपना फंड निकालकर सिंगापुर, स्विट्जरलैंड और लंदन में पार्क कर रहे हैं। यूरोपीयन वेल्थ मैनेजर के साथ जुड़े एक एडवाइजर ने बताया कि एक चाइनीज क्लाइंट जो निवेश करना चाहता था उसने हॉन्गकॉन्ग के बजाय इस हफ्ते सिंगापुर में 5 फ्लैट खरीदे। सिंगापुर के एक बैंकर का कहना है कि अब चाइनीज क्लाइंट का फोकस हॉन्गकॉन्ग के बजाय सिंगापुर के मार्केट में बढ़ा है।क्या है मामला?हॉन्गकॉन्ग की सरकार ने एक प्रस्ताव रखा था कि अगर मेनलैंड से आए किसी शख्स के खिलाफ कोई आपराधिक मामला साबित होता है तो उसका प्रत्यर्पण चीन कर दिया जाएगा। इसके खिलाफ पिछले साल हॉन्गकॉन्ग में काफी विरोध प्रदर्शन हुए थे। हिंसक विरोध प्रदर्शन के कारण इस प्रस्ताव को कई महीनों के लिए टाल दिया गया था।चीन की सरकार जब्त कर सकती है उनकी संपत्तिहालांकि अब चीन ने नेशनल सिक्योरिटी लॉ का प्रस्ताव रखा जिसके बाद यह मामला फिर ताजा हो गया है। हॉन्गकॉन्ग में रहने वाले लोगों को यह डर है कि चीन की सरकार उनकी संपत्ति जब्त कर सकती है। चीन पहले भी हॉन्गकॉन्ग में रहने वाले मेनलैंड चाइना के लोगों को करप्शन के नाम पर टारगेट कर चुका है।