आनलाइन ठगी / आईपीएस के नाम से बनाई फर्जी फेसबुक आइडी और ऐंठने शुरू कर दिए पैसे

Zoom News : Nov 24, 2020, 06:12 PM
पाली | राजस्थान के पाली पुलिस अधीक्षक की फर्जी पुलिस आईडी बनाकर लोगों से पैसे ऐंठने चालू कर दिए। हालांकि पाली पुलिस ने उस युवक को गिरफ्तार कर लिया है। इसके लिए चार दिनों तक पुलिस टीम को मशक्कत करनी पड़ी। हालांकि पाली में एक वरिष्ठ चिकित्सक समेत कई लोगों की आईडी हैक करके इस तरह की वारदात को अंजाम पहले भी दिया जा चुका है, लेकिन कार्रवाई तभी अमल में आई है। जब एसपी साहब का अकाउंट बनाकर वसूली चालू की गई।


पाली पुलिस का कहना है कि एसपी के निर्देश में एक अभियान चलाकर फर्जी फेसबुक आईडी से पैसे ऐंठने वालों के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जा रही है। इसी बीच किसी ने पुलिस अधीक्षक आईपीएस राहुल कोटकी के नाम से फर्जी फेसबुक आईडी बनाई और लोगों से पैसे ऐंठने चालू कर दिए। इसकी जानकारी एसपी को हुई तो उन्होंने अपर पुलिस अधीक्षक तेजपालसिंह, पाली वृत्ताधिकारी निशांत भारद्वाज के निर्देशन में एक टीम गठित की। कोतवाली प्रभारी गौतम जैन ने चार दिन की मशक्कत के बाद आरोपित को दस्तयाब किया है। पुलिस ने गांव-नानंदेरा, तहसील कांमा जिला भरतपुर निवासी सद्दाम पुत्र आस मोहम्मद को गिरफ्तार किया है। 

ऐसे करता है वारदात

आरोपित खेतों में बैठकर प्रतिष्ठित व्यक्तियो के नाम से फर्जी फेसबुक आईडी बनाता है। फिर उनके फेसबुक मित्रों को मैसेंजर के माध्यम से अपने आपको अस्पताल में भर्ती होना बताकर या अन्य आकस्मिक कार्य के बारे में जानकारी देकर रुपए मांगता है। हालांकि ऐसा करने वाला एक गिरोह है जो आसाम, उड़ीसा, बिहार से फर्जी आईडी के माध्यम से सिम खरीदकर राशि धोखाधड़ीपूर्वक बैंक अथवा अन्य यूपीआई अकाउंट में ट्रांसफर करवाता है और फिर तत्काल निकाल लेता है। मुल्जिम द्वारा एंड्रॉइड मोबाईल में फेसबुक लाॅगिन की जाकर धोखाधड़ी की जाती हैं। मुल्जिम के एन्ड्रॉईड मोबाईल में लाॅगिन विभिन्न फेक फेसबुक आईडी, फेक सिम व बैंक खाते व स्टेटमैन्ट मिले है। एसपी के नाम से यह वसूली शुरू हुई तो पुलिस चेती। कोतवाली पुलिस ने शातिर अभियुक्त की तलाश में यूपी और राजस्थान में दबिश दी। कांस्टेबल महेश की प्रभावी मेहनत ने इस मामले में राजफाश करने में मदद की। 

कहीं आप न हो जाएं शिकार

इस तरह की वारदात लगातार सामने आ रही है। आपसे अनुरोध है कि आपके पास भी किसी का इस तरह मैसेज आए तो उसे इग्नोर करें अथवा संबंधित को काल करके उसकी तस्दीक जरूर करें ताकि ठगी का शिकार होने से बच सकें।

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