News18 : May 24, 2020, 04:02 PM
दिल्ली: जो लोग शराब (Alcohol) पीते हैं और स्कॉच व्हिस्की के शौकीन हैं, वो जानते हैं कि सबसे बेहतरीन स्कॉच व्हिस्की स्कॉटलैंड और यूके (UK / Britain) की होती है। लेकिन, अगले कुछ समय के लिए इन शौकीनों को इस ज़ायके से महरूम रहना पड़ सकता है क्योंकि यूके में स्कॉच उत्पादन लगभग ठप हो चुका है। कोरोना वायरस (Corona Virus) संक्रमण के दौर के चलते ये उद्योग अल्कोहल का उपयोग हैंड सैनिटाइज़र (Hand Sanitizer) के उत्पादन में कर रहे हैं।
यूके का सबसे बड़ा निर्यात सेक्टर स्कॉच व्हिस्की रहा है, जो यूके की अर्थव्यवस्था में 5 अरब यूरो से ज़्यादा का योगदान देता है। लेकिन इस साल चूंकि उत्पादन तकरीबन ठप रहेगा इसलिए ये आंकड़े बुरी तरह गिरने की आशंका है। ऐसे में किस तरह यह उद्योग सर्वाइव करने जा रहा है और ये भी जानें कि इस उद्योग ने कैसे सरकार के नाम खुली चिट्ठी लिखकर अपना दर्द साझा किया।
कितना बड़ा है यह कारोबार?स्कॉटलैंड में फिलहाल करीब 133 स्कॉच व्हिस्की के उत्पादन केंद्र हैं, जो भारत समेत दुनिया भर में 175 बाज़ारों में 1।3 अरब बोतलों का निर्यात करते हैं। स्कॉच व्हिस्की एसोसिएशन के हवाले से मीडिया में खबरें हैं कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन और कर्मचारियों को सुरक्षा देने के कारण 87 फीसदी उत्पादन केंद्र या तो कम से कम क्षमता के साथ काम कर रहे हैं या पूरी तरह बंद हैं।
स्वास्थ्य सेवाओं की मदद कैसे?चूंकि शराब उत्पादन केंद्रों में अल्कोहल भारी मात्रा में मौजूद है और उत्पादन तकरीबन ठप हो चुका इसलिए कई यूके की कई स्कॉच व्हिस्की निर्माता कंपनियों ने स्वास्थ्य सेवाओं में मदद करने के मकसद से हैंड सैनिटाइज़र और एथेनॉल का उत्पादन किया है। इस उत्पादन का जो आंकड़ा बताया जा रहा है, उसे मुताबिक साढ़े पांच करोड़ से ज़्यादा सैनिटाइज़र बोतलें बनाई जा सकती हैं।कितना नुकसान उठाएगा यह उद्योग?एसोसिएशन के हवाले से कहा गया है चूंकि कोविड 19 के चलते दुनिया भर में हॉस्पिटैलिटी सेक्टर, पर्यटन और यात्रियों के लिए रिटेल सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुआ है इसलिए स्कॉच व्हिस्की के कारोबार को लेकर कई तरह की शंकाएं हैं। कम से कम इस साल तो यह उद्योग बुरी तरह प्रभावित होगा ही। इसलिए भारत के साथ यूके यह डील करने की कोशिश कर रहा है कि भारत में स्कॉच व्हिस्की का निर्यात 'मुफ्त व्यापार समझौते' के तहत हो सके। याद रहे कि यूके स्कॉच व्हिस्की का करीब 13 करोड़ बोतलों का बड़ा निर्यात भारत में करता है।क्यों और कैसे लिखा उद्योग ने खुला पत्र?कोविड 19 के चलते उद्योग के ठप हो जाने और उद्योग द्वारा सैनिटाइज़र आदि बनाकर समाजसेवा करने को कारण बताते हुए आइल ऑफ रासे, एर्डनामर्चन, आइल ऑफ हैरिस, होलीरूड, नैक्नीन, आर्डनाहो, किंग्सबार्न्स और लिण्डॉर्स जैसे स्कॉच व्हिस्की निर्माताओं ने स्कॉटलैंड की सरकार के नाम एक खुला पत्र लिखकर अपना दर्द और कारोबार के भविष्य की चिंता को खुले पत्र के तौर पर अखबार में प्रकाशित करवाया है और पुरज़ोर मांग की है कि इस साल प्रॉपर्टी टैक्स से उन्हें छूट दी जाए।इस पर, सरकार ने कहा है कि वह हर सेक्टर का दुख सुन और समझ रही है और देख रही है कि कहां कितनी गुंजाइश है और कैसे किसकी मदद की जा सकती है।क्या है भारत में शराब उद्योग की स्थिति?पिछले दिनों शराब दुकानें खोले जाने से मची भारी अफरातफरी के बीच आपको बता दें कि भारत में भी इस उद्योग को खासा झटका लगा और कई कंपनियों ने हैंड सैनिटाइज़र उत्पादन किया। बेंगलूरु की जॉन डिस्टलरी ने अपने बेंगलूरु, गोवा और देवनागरी स्थित प्लांटों में सैनिटाइज़र उत्पादन कर स्वास्थ्य सेक्टर को मदद के तौर पर दिया। वहीं, ब्लैक डॉग जैसा ब्रांड बनाने और विदेशों में शराब निर्यात करने वाली तेलंगाना की कई शराब डिस्टलरियों ने अप्रैल के पहले हफ्ते तक ही 40 हज़ार लीटर सैनिटाइज़र स्वास्थ्य सेक्टर को मुहैया करवाया था।
यूके का सबसे बड़ा निर्यात सेक्टर स्कॉच व्हिस्की रहा है, जो यूके की अर्थव्यवस्था में 5 अरब यूरो से ज़्यादा का योगदान देता है। लेकिन इस साल चूंकि उत्पादन तकरीबन ठप रहेगा इसलिए ये आंकड़े बुरी तरह गिरने की आशंका है। ऐसे में किस तरह यह उद्योग सर्वाइव करने जा रहा है और ये भी जानें कि इस उद्योग ने कैसे सरकार के नाम खुली चिट्ठी लिखकर अपना दर्द साझा किया।
कितना बड़ा है यह कारोबार?स्कॉटलैंड में फिलहाल करीब 133 स्कॉच व्हिस्की के उत्पादन केंद्र हैं, जो भारत समेत दुनिया भर में 175 बाज़ारों में 1।3 अरब बोतलों का निर्यात करते हैं। स्कॉच व्हिस्की एसोसिएशन के हवाले से मीडिया में खबरें हैं कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन और कर्मचारियों को सुरक्षा देने के कारण 87 फीसदी उत्पादन केंद्र या तो कम से कम क्षमता के साथ काम कर रहे हैं या पूरी तरह बंद हैं।
स्वास्थ्य सेवाओं की मदद कैसे?चूंकि शराब उत्पादन केंद्रों में अल्कोहल भारी मात्रा में मौजूद है और उत्पादन तकरीबन ठप हो चुका इसलिए कई यूके की कई स्कॉच व्हिस्की निर्माता कंपनियों ने स्वास्थ्य सेवाओं में मदद करने के मकसद से हैंड सैनिटाइज़र और एथेनॉल का उत्पादन किया है। इस उत्पादन का जो आंकड़ा बताया जा रहा है, उसे मुताबिक साढ़े पांच करोड़ से ज़्यादा सैनिटाइज़र बोतलें बनाई जा सकती हैं।कितना नुकसान उठाएगा यह उद्योग?एसोसिएशन के हवाले से कहा गया है चूंकि कोविड 19 के चलते दुनिया भर में हॉस्पिटैलिटी सेक्टर, पर्यटन और यात्रियों के लिए रिटेल सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुआ है इसलिए स्कॉच व्हिस्की के कारोबार को लेकर कई तरह की शंकाएं हैं। कम से कम इस साल तो यह उद्योग बुरी तरह प्रभावित होगा ही। इसलिए भारत के साथ यूके यह डील करने की कोशिश कर रहा है कि भारत में स्कॉच व्हिस्की का निर्यात 'मुफ्त व्यापार समझौते' के तहत हो सके। याद रहे कि यूके स्कॉच व्हिस्की का करीब 13 करोड़ बोतलों का बड़ा निर्यात भारत में करता है।क्यों और कैसे लिखा उद्योग ने खुला पत्र?कोविड 19 के चलते उद्योग के ठप हो जाने और उद्योग द्वारा सैनिटाइज़र आदि बनाकर समाजसेवा करने को कारण बताते हुए आइल ऑफ रासे, एर्डनामर्चन, आइल ऑफ हैरिस, होलीरूड, नैक्नीन, आर्डनाहो, किंग्सबार्न्स और लिण्डॉर्स जैसे स्कॉच व्हिस्की निर्माताओं ने स्कॉटलैंड की सरकार के नाम एक खुला पत्र लिखकर अपना दर्द और कारोबार के भविष्य की चिंता को खुले पत्र के तौर पर अखबार में प्रकाशित करवाया है और पुरज़ोर मांग की है कि इस साल प्रॉपर्टी टैक्स से उन्हें छूट दी जाए।इस पर, सरकार ने कहा है कि वह हर सेक्टर का दुख सुन और समझ रही है और देख रही है कि कहां कितनी गुंजाइश है और कैसे किसकी मदद की जा सकती है।क्या है भारत में शराब उद्योग की स्थिति?पिछले दिनों शराब दुकानें खोले जाने से मची भारी अफरातफरी के बीच आपको बता दें कि भारत में भी इस उद्योग को खासा झटका लगा और कई कंपनियों ने हैंड सैनिटाइज़र उत्पादन किया। बेंगलूरु की जॉन डिस्टलरी ने अपने बेंगलूरु, गोवा और देवनागरी स्थित प्लांटों में सैनिटाइज़र उत्पादन कर स्वास्थ्य सेक्टर को मदद के तौर पर दिया। वहीं, ब्लैक डॉग जैसा ब्रांड बनाने और विदेशों में शराब निर्यात करने वाली तेलंगाना की कई शराब डिस्टलरियों ने अप्रैल के पहले हफ्ते तक ही 40 हज़ार लीटर सैनिटाइज़र स्वास्थ्य सेक्टर को मुहैया करवाया था।