Liquor Shop Open / शराब की दुकान को बंद कराने के लिए लाठी-डंडे लेकर पहुंची सैकड़ों महिलाएं

NavBharat Times : May 08, 2020, 10:10 AM
भरतपुर | लॉकडाउन की वजह से देशभर में बंद रही शराब की दुकानें कई राज्यों में 4 मई से खुल गई हैं। शराब की दुकानें खुलते ही इसकी खरीदारी को लेकर जगह-जगह पर काफी भीड़ भी देखने को मिली। राजस्थान में भी सरकार ने शराब की दुकानें खोलने का आदेश दिया है। इस बीच गुरुवार को भरतपुर में एक शराब ठेके को बंद कराने के लिए एक मोहल्ले की सैकड़ों महिलाएं शराब की दुकान पर एकत्रित हो गईं। इन महिलाओं के हाथों में डंडे लेकर शराब की दुकान बंद कराने की जिद करते हुए जोरदार प्रदर्शन किया।

लाठी-डंडों के साथ उतरी महिलाएं

जिस समय ये महिलाएं विरोध दर्ज कराने पहुंची उनकी भीड़ इतनी ज्यादा थी कि सोशल डिस्टेंस की भी धज्जियां भी उड़ती दिखाई दी। सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस टीम ने समझा कर महिलाओं को वापस अपने घरों को भेज दिया। प्रदर्शन करने पहुंची महिलाओं की बस एक ही मांग है कि उनके मोहल्ले में शराब की दुकानें नहीं खुलनी चाहिए।

शराब की दुकानें खुलने का किया विरोध

महिलाओं का आरोप है कि शराब पीने की वजह से उनके मोहल्ले के कई युवक जान गंवा चुके हैं। इसके अलावा कई लोग शराब पीकर घर आते हैं तो अपनी पत्नी और घरवालों से मारपीट करते हैं। कई लोग मजदूरी कर जो भी कमाते हैं उसकी शराब पी जाते हैं, ऐसे में परिवार का पालन-पोषण करने में मुश्किलें सामने आती है।

महिलाओं ने कहा- शराब की दुकान खुलने से बढ़ेंगी उनकी मुश्किल

पूरा मामला भरतपुर स्थित कोतवाली क्षेत्र के बड़ा मोहल्ला का है। लॉकडाउन के दौरान कई दिनों से बंद शराब की दुकान खुली, लेकिन जैसे ही इसका पता इन महिलाओं को चला तो वो सैकड़ों की तादाद में इस दुकान पर इकट्ठी हो गई। लाठी-डंडों के साथ पहुंची इन महिलाओं ने दुकान खोलने का विरोध शुरू कर हंगामा खड़ा कर दिया। महिलाओं ने कहा कि लॉकडाउन में शराब की दुकानें बंद होने से उनके घरों और मोहल्ले में बेहद सुख चैन रहा। लेकिन अब दुकानें खुलने से उनकी मुश्किलें बढ़ जाएंगी।

पुलिस ने महिलाओं को समझाया, हालात को किया काबू

पूरे मामले पर पुलिस ने बताया कि मोहल्ले में शराब की दुकान खुली थी लेकिन वहां की महिलाओं ने इसका विरोध शुरू कर दिया। सूचना पर पुलिस टीम ने मौके पर पहुंचकर महिलाओं को समझाया। करीब 300 से 400 महिलाएं विरोध प्रदर्शन में शामिल थीं, जिन्हें समझाकर उनके घरों को भेज दिया गया।

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