News18 : Jun 03, 2020, 11:31 AM
पिथौरागढ़। चीन सीमा को जोड़ने वाली लिपुलेख सड़क (Transcription Road) पर आवागमन में रुकावट डालने वाली एक बड़ी बाधा दूर हो गई है। उद्घाटन के महीने भर के भीतर ही बीआरओ ने बूंदी नाले (Bundi drain) पर वैली ब्रिज तैयार कर दिया है। इस वैली ब्रिज की लंबाई करीब 100 फीट है। ब्रिज (Bridge) बनने से पहले लोगों को ग्लेशियर से निकलने वाले नाले से होकर गाड़ियां निकालने को मजबूर होना पड़ रहा था, जिसमें भारी खतरा भी था। इस पुल के बनने से चीन से लगती सीमा तक जाना बेहद सुगम हो गया है।
दरअसल, बूंदी नाले का पानी दिन चढ़ने के साथ ही बढ़ने लगता है। दोपहर आते-आते बूंदी का नाला उफ़ान पर आ जाता है। बूंदी में पुल बनने से ब्यास घाटी के लोगों को तो राहत मिली ही है। साथ में चीन-नेपाल बॉर्डर पर तैनात सेना, आईटीबीपी और एसएसबी की राह भी आसान हुई है। पुल न बनने से पहले ये आशंका जताई जा रही थी कि बरसात में लिपुलेख रोड में वाहनों का संचालन नहीं हो पाएगा, लेकिन बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन ने वैली ब्रिज को तैयार कर सभी आशंकाओं को दरकिनार किया है।कर्नल सोमेंद्र बनर्जी की अगुवाई में हुआ निर्माणपुल का निर्माण बीआरओ के कर्नल सोमेंद्र बनर्जी की अगुवाई में हुआ है। इसी पुल के जरिए कैलाश-मानसरोवर यात्री भी आसानी से यात्रा पूरी की जा सकेगी। बीआरओ ने 12 साल की कड़ी मेहनत के बाद चीन सीमा के करीब लिपुलेख दर्रे तक 74 किलोमीटर की सड़क बनाई है। हालांकि, अभी भी इस रोड को चौड़ा करने के साथ ही हॉटमिक्स का काम होना शेष है। यही नहीं छियालेख की चढ़ाई में कटे 32 बैंड को भी सुरक्षित बनाना बाकी है। लिपुलेख सड़क कटने से भारत की चीन सीमा तक सीधे पहुंच तो हुई ही है, साथ ही दशकों से सड़क की राह ताक रहे बूंदी, गर्ब्यांग, नपलच्यु, गुंजी, नाभी, रोंककोंग और भारत के अंतिम गांव कुटी के लोगों का सपना भी पूरा हुआ है। बूंदी के बाद बीआरओ मालपा में डेढ़ सौ फीट लंबा पुल बनाने में जुट गया है। बीआरओ के अधिकारियों का दावा है कि महीने भर के भीतर मालपा का पुल भी तैयार हो जाएगा।
दरअसल, बूंदी नाले का पानी दिन चढ़ने के साथ ही बढ़ने लगता है। दोपहर आते-आते बूंदी का नाला उफ़ान पर आ जाता है। बूंदी में पुल बनने से ब्यास घाटी के लोगों को तो राहत मिली ही है। साथ में चीन-नेपाल बॉर्डर पर तैनात सेना, आईटीबीपी और एसएसबी की राह भी आसान हुई है। पुल न बनने से पहले ये आशंका जताई जा रही थी कि बरसात में लिपुलेख रोड में वाहनों का संचालन नहीं हो पाएगा, लेकिन बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन ने वैली ब्रिज को तैयार कर सभी आशंकाओं को दरकिनार किया है।कर्नल सोमेंद्र बनर्जी की अगुवाई में हुआ निर्माणपुल का निर्माण बीआरओ के कर्नल सोमेंद्र बनर्जी की अगुवाई में हुआ है। इसी पुल के जरिए कैलाश-मानसरोवर यात्री भी आसानी से यात्रा पूरी की जा सकेगी। बीआरओ ने 12 साल की कड़ी मेहनत के बाद चीन सीमा के करीब लिपुलेख दर्रे तक 74 किलोमीटर की सड़क बनाई है। हालांकि, अभी भी इस रोड को चौड़ा करने के साथ ही हॉटमिक्स का काम होना शेष है। यही नहीं छियालेख की चढ़ाई में कटे 32 बैंड को भी सुरक्षित बनाना बाकी है। लिपुलेख सड़क कटने से भारत की चीन सीमा तक सीधे पहुंच तो हुई ही है, साथ ही दशकों से सड़क की राह ताक रहे बूंदी, गर्ब्यांग, नपलच्यु, गुंजी, नाभी, रोंककोंग और भारत के अंतिम गांव कुटी के लोगों का सपना भी पूरा हुआ है। बूंदी के बाद बीआरओ मालपा में डेढ़ सौ फीट लंबा पुल बनाने में जुट गया है। बीआरओ के अधिकारियों का दावा है कि महीने भर के भीतर मालपा का पुल भी तैयार हो जाएगा।