- भारत,
- 10-Aug-2025 05:49 PM IST
India-US Tariff War: अमेरिका द्वारा भारतीय स्टील, एल्युमिनियम और उससे जुड़े उत्पादों पर 50% तक भारी आयात शुल्क लगाए जाने के बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है। मनी कंट्रोल की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय सरकार चुनिंदा अमेरिकी उत्पादों पर उसी अनुपात में टैरिफ लगाने पर विचार कर रही है, जितना नुकसान भारतीय निर्यातकों को हुआ है। यदि यह कदम उठाया गया, तो यह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति के खिलाफ भारत का पहला औपचारिक जवाब होगा। यह लेख इस व्यापारिक विवाद की उत्पत्ति, भारत की संभावित रणनीति, और इसके व्यापक आर्थिक प्रभावों का विश्लेषण करता है।
विवाद की शुरुआत
यह व्यापारिक तनाव फरवरी 2025 में शुरू हुआ, जब ट्रंप प्रशासन ने भारतीय स्टील और एल्युमिनियम पर 25% आयात शुल्क लगाया। बाद में इसे बढ़ाकर 50% कर दिया गया, जिसका असर लगभग 7.6 अरब डॉलर के भारतीय निर्यात पर पड़ा। भारत ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) में इस कार्रवाई को चुनौती दी, यह तर्क देते हुए कि अमेरिका ने 'राष्ट्रीय सुरक्षा' के नाम पर सेफगार्ड ड्यूटी लगाई है, जो WTO नियमों का उल्लंघन करती है। अमेरिका ने इस मुद्दे पर द्विपक्षीय बातचीत से इनकार कर दिया, जिसके बाद भारत ने WTO नियमों के तहत जवाबी कार्रवाई की कानूनी और रणनीतिक तैयारी शुरू कर दी।
भारत की जवाबी रणनीति
भारतीय सरकार की योजना अमेरिकी वस्तुओं के एक सीमित समूह पर जवाबी टैरिफ लगाने की है। इन वस्तुओं का चयन इस तरह किया जाएगा कि टैरिफ से प्राप्त राजस्व भारतीय निर्यातकों को हुए नुकसान के बराबर हो। सरकारी सूत्रों के अनुसार, यह कदम न केवल आर्थिक संतुलन बहाल करने के लिए है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत अमेरिका के एकतरफा कदमों का जवाब देने में सक्षम है। अधिकारियों ने यह भी बताया कि अमेरिका एक ओर द्विपक्षीय व्यापार समझौते की बात करता है, लेकिन दूसरी ओर भारतीय हितों के खिलाफ कदम उठा रहा है, जिसे भारत अब बर्दाश्त नहीं करेगा।
संभावित लक्षित अमेरिकी उत्पाद
भारत द्वारा चुने जाने वाले अमेरिकी उत्पादों में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:
कृषि उत्पाद: जैसे बादाम, सेब, और अन्य खाद्य पदार्थ, जो अमेरिका से बड़े पैमाने पर आयात होते हैं।
औद्योगिक सामान: जैसे रसायन, मशीनरी, और ऑटोमोबाइल पार्ट्स।
प्रौद्योगिकी और उपभोक्ता वस्तुएं: जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स और लक्जरी सामान। इन उत्पादों पर टैरिफ का चयन सावधानीपूर्वक किया जाएगा ताकि भारतीय उपभोक्ताओं पर इसका न्यूनतम प्रभाव पड़े, लेकिन अमेरिकी निर्यातकों को स्पष्ट संदेश मिले।
आर्थिक प्रभाव
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों का पैमाना विशाल है। अमेरिका भारत को हर साल 45 अरब डॉलर से अधिक का सामान बेचता है, जबकि भारत का अमेरिका को निर्यात हालिया टैरिफ से पहले 86 अरब डॉलर तक था। टैरिफ युद्ध बढ़ने से दोनों देशों के बीच व्यापार घाटे का संतुलन बदल सकता है। फरवरी 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप ने द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक बढ़ाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा था, लेकिन कृषि और संवेदनशील क्षेत्रों में अमेरिकी मांगों को भारत ने अस्वीकार कर दिया, जिससे वार्ता रुक गई।
संभावित जोखिम
व्यापार घाटा: टैरिफ युद्ध से भारत का व्यापार घाटा बढ़ सकता है, क्योंकि अमेरिकी उत्पादों की कीमतें बढ़ने से आयात प्रभावित हो सकता है।
आर्थिक संबंध: दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक आर्थिक संबंधों पर असर पड़ सकता है, खासकर अगर यह विवाद और गहराता है।
वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला: स्टील और एल्युमिनियम जैसी प्रमुख वस्तुओं पर टैरिफ से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हो सकती है, जिसका असर अन्य देशों पर भी पड़ सकता है।
भारत की स्थिति और भविष्य की रणनीति
भारत ने इस मामले में सधी हुई रणनीति अपनाई है। एक ओर, वह WTO नियमों के तहत अपनी कार्रवाई को वैध ठहरा रहा है, ताकि वैश्विक समुदाय में उसकी स्थिति मजबूत रहे। दूसरी ओर, वह जवाबी टैरिफ के जरिए अमेरिका पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत इस विवाद को सुलझाने के लिए कूटनीतिक और आर्थिक दोनों रास्तों का उपयोग करेगा। साथ ही, भारत अन्य व्यापारिक साझेदारों, जैसे यूरोपीय संघ और ASEAN देशों, के साथ अपने व्यापार को बढ़ाने पर भी ध्यान दे सकता है ताकि अमेरिकी बाजार पर निर्भरता कम हो।
