BIMSTEC Summit / भारत का UPI अब थाईलैंड में भी चलेगा, BIMSTEC देशों को PM मोदी ने दिया खास प्रस्ताव

भारत का UPI अब वैश्विक मंच पर अपनी धाक जमा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने BIMSTEC देशों से इसे जोड़ने का प्रस्ताव दिया है, जिससे व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। UPI पहले से भूटान, मॉरीशस, नेपाल, सिंगापुर, श्रीलंका और फ्रांस में सक्रिय है।

BIMSTEC Summit: भारत का यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) न केवल देश में डिजिटल क्रांति का प्रतीक बन चुका है, बल्कि अब यह वैश्विक मंच पर भी अपनी गूंज दर्ज करवा रहा है। डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में भारत की यह अनूठी तकनीक आज कई देशों में अपनाई जा रही है, और इसका विस्तार लगातार जारी है।

इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने BIMSTEC (बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग) देशों को भारत के UPI को उनके भुगतान प्रणाली से जोड़ने का प्रस्ताव रखा है। BIMSTEC में बांग्लादेश, भूटान, भारत, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड जैसे देश शामिल हैं। यह पहल न केवल इन देशों के बीच आर्थिक सहयोग को मजबूती देगी, बल्कि व्यापार और पर्यटन के क्षेत्र में भी एक नई ऊर्जा का संचार करेगी।

UPI का अंतरराष्ट्रीय विस्तार

UPI की सफलता की कहानी अब सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रही। वर्तमान में यह तकनीक सात देशों में सक्रिय है – भूटान, मॉरीशस, नेपाल, सिंगापुर, श्रीलंका, फ्रांस और यूएई जैसे देश अब भारत के साथ इस डिजिटल पुल के माध्यम से जुड़े हुए हैं। BHIM, फोनपे, पेटीएम और गूगल पे जैसे लगभग 20 डिजिटल ऐप्स अंतरराष्ट्रीय लेनदेन में UPI को सपोर्ट कर रहे हैं।

यह तकनीकी नवाचार भारतीयों को विदेश यात्रा के दौरान तेज, सुरक्षित और पारदर्शी भुगतान का अनुभव देता है, वहीं इन देशों में भी भारतीय टूरिज्म और व्यापार को बढ़ावा देने में सहायक बनता है।

सीमा-पार लेनदेन में क्रांति

प्रधानमंत्री मोदी की BIMSTEC पहल इस दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है। यदि इन देशों की भुगतान प्रणालियों को भारत के UPI से जोड़ा जाता है, तो सीमा-पार लेनदेन बेहद सरल हो जाएगा। इससे न केवल व्यापारियों को लाभ मिलेगा, बल्कि आम नागरिकों के लिए भी यात्रा और व्यापारिक अनुभव सहज हो जाएगा।

डिजिटल भुगतान के इस मजबूत नेटवर्क से BIMSTEC देशों के बीच वित्तीय समावेशन को भी बल मिलेगा, जिससे पूरे क्षेत्र की आर्थिक एकजुटता को नई दिशा मिलेगी।

UPI का प्रदर्शन: आंकड़ों में सफलता

UPI की सफलता को संख्याओं में भी स्पष्ट देखा जा सकता है। वर्ल्डलाइन की 2024 की दूसरी छमाही की इंडिया डिजिटल पेमेंट रिपोर्ट के अनुसार, UPI के माध्यम से लेन-देन की संख्या सालाना 42% की बढ़ोतरी के साथ 93.23 अरब तक पहुंच गई है। इस डिजिटल क्रांति में प्रमुख भूमिका निभाने वाले तीन ऐप्स – फोनपे, गूगल पे और पेटीएम – ने दिसंबर 2024 में कुल लेन-देन का 93% वॉल्यूम और 92% मूल्य नियंत्रित किया।

भविष्य की ओर एक और कदम

UPI का वैश्विक फैलाव न केवल भारत की तकनीकी दक्षता को दर्शाता है, बल्कि यह विकसित और विकासशील देशों के लिए एक व्यवहारिक मॉडल भी प्रस्तुत करता है। BIMSTEC पहल से यह उम्मीद की जा रही है कि क्षेत्रीय साझेदारी और डिजिटल अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी।

भारत का UPI अब केवल एक तकनीक नहीं, बल्कि आर्थिक सहयोग, भरोसे और पारदर्शिता की प्रतीक बन चुका है – और यह यात्रा अभी रुकी नहीं है।