News18 : Apr 14, 2020, 03:38 PM
दक्षिणी चीन (China) के सबसे बड़े शहर ग्वांगझू (Guangzhou) में रह रहे अफ्रीकन लोगों ने सोशल मीडिया (social media) पर अपना दर्द बांटा है। कथित तौर पर स्थानीय सरकार अफ्रीका के सभी लोगों को कोरोना का मरीज मान रही है और इसी वजह से मकान मालिक तक उन्हें घरों से बाहर खदेड़ रहे हैं। यहां तक कि किसी रेस्त्रां में उन्हें खाने के लिए भी प्रवेश की इजाजत नहीं मिल रही है।
यहां से शुरू हुआ मामला
दरअसल अफ्रीकन मूल के लोगों से साथ इस व्यवहार की जड़ में चीन में कोरोना की दूसरी लहर की दस्तक है। 12 अप्रैल को चीन में कोरोना के 99 नए मामले आए, जबकि 12 मार्च को सरकार ने देश से कोरोना खत्म होने की घोषणा कर दी थी। बताया जा रहा है कि इस बार यहां कोरोना बिना किसी लक्षण के लौटा है और ये ज्यादा खतरनाक माना जा रहा है। अंदेशा है कि बिना लक्षणों के मरीज सामान्य गतिविधियां रखेगा, जिससे स्वस्थ लोग भी बीमार होते जाएंगे।कोविड-19 की इसी दूसरी लहर पर परेशान चीन ने एकाएक ग्वांगझू शहर के अफ्रीकन लोगों को संदिग्ध मानना शुरू कर दिया। इसके पीछे चीन के प्रेसिडेंट Xi Jinping की वो अपील भी मानी जा रही है, जिसमें उन्होंने अधिकारियों से कोरोना के विदेशी मामलों पर खास नजर रखने को कहा था। विदेशियों में दूसरे देशों के लोग भी शामिल हैं लेकिन खास अफ्रीकी मूल के साथ दुर्व्यवहार दिख रहा है। इसे नस्लभेद से जोड़कर देखा जा रहा है।
ग्वांगझू शहर में सालों से सबसे बड़ी अफ्रीकन आबादी रह रही है। वैसे अफ्रीका के लोग लगातार बिजनेस वीजा पर साल में कई-कई बार आते भी रहते हैं इसलिए चीन में उन अफ्रीकन की संख्या पता लगाना मुश्किल है, जिनके पास चाइनीज वीजा है। Xinhua News Agency के अनुसार साल 2017 में ग्वांगझू प्रांत में लगभग 3 लाख 20 हजार अफ्रीकन लोगों का आना-जाना हुआ था।बसी है ट्रेडिंग कम्युनिटी
असल में ग्वांगझू प्रांत में कम कीमत पर मिलने वाले चीनी सामानों को खरीदकर अफ्रीकन उन्हें अपने देश में ले जाकर बेचते हैं और मुनाफा कमाते हैं। यानी ये एक पूरी Nigerian trading community है, जो व्यापार के इरादे से यहां बसी हुई है। यहां तक कि इसे चीन का ‘लिटिल अफ्रीका’ भी कहते हैं। चीन में बसे इन लोगों के साथ पहले भी दुर्व्यवहार होता रहा है। अफ्रीका के लोग रास्ते से निकलें तो चीन के लोग नाक पर रुमाल या टिशू रख लेते हैं या भद्दी टिप्पणियां करना आम है। लेकिन कोरोना के कहर के बाद ये खुलकर सामने आया, जब ग्वांगझू में ही एक साथ कोरोना के 5 मरीज मिले।ऐसा हो रहा व्यवहार
9 अप्रैल को हुई इस जांच में वैसे 114 लोग कोरोना पॉजिटिव आए थे, जिनमें से 16 अफ्रीका और बाकी दूसरे देशों के लोग थे लेकिन उसके बाद से चीन में रहने वाले अफ्रीकन लोगों को कथित तौर पर निशाना बनाया जा रहा है। सीएनएन ने इस बारे में वहां रहने वाले 2 दर्जन से ज्यादा अफ्रीकन लोगों से बातचीत की। सबका यही कहना है कि सरकार Covid-19 के शक में उनके साथ अमानवीय व्यवहार कर रही है। उन्हें घरों से बाहर खुले आसमान के नीचे रात काटने को कहा जा रहा है। जबर्दस्ती उन्हें 14 दिनों के क्वारंटीन में रखा जा रहा है और टेस्ट भी कराया जा रहा है, जबकि ग्वांगझू में बसी इस ट्रेडिंग कम्युनिटी में अब तक किसी की भी रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं आई है। चीन के विदेश मंत्रालय ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि अफ्रीकी समुदाय को लेकर लोगों में कुछ गलतफहमियां पैदा हो गई हैं।इसी दौरान 9 अप्रैल को एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें अफ्रीकी मूल का एक नागरिक Guangzhou में चीन के एक अधिकारी से सवाल कर रहा है कि हमारे साथ ऐसा व्यवहार क्यों हो रहा है। क्या अफ्रीका में चीन के लोग नहीं रहते हैं! वैसे आंकड़ों के अनुसार 1 मिलियन से ज्यादा चीनी मूल के लोग अफ्रीका में रहते हैं।अवैध अफ्रीकी लोगों को निकालने का जरिया
All African Association of Guangzhou ने इस बारे में स्थानीय अधिकारियों से बात भी की लेकिन उसके बाद ही लगभग 10 कम्युनिटी लीडर्स को होम क्वारंटीन में रख दिया गया। वैसे एकाएक अफ्रीकी मूल के लोगों के साथ इस व्यवहार के पीछे एक वजह ये भी देखी जा रही है कि ट्रेडिंग के लिए हर साल नाइजीरिया से बहुत से लोग आते हैं और पासपोर्ट एक्सपायर होने के बाद चीन में ही रह जाते हैं। अब सर्वे और स्क्रीनिंग के बहाने से चीनी अधिकारी सबके पासपोर्ट और वीजा देख रहे हैं और अवैध ढंग से बसे अफ्रीकी लोगों को जुर्माने के बाद देश से बाहर भेजने की सोच रहे हैं। साल 2014 में भी अफ्रीका में इबोला आउटब्रेक के दौरान चीन में रह रहे अफ्रीकन लोगों से बदसुलूकी हुई थी और सबके पासपोर्ट, वीजा की जांच हुई थी।
यहां से शुरू हुआ मामला
दरअसल अफ्रीकन मूल के लोगों से साथ इस व्यवहार की जड़ में चीन में कोरोना की दूसरी लहर की दस्तक है। 12 अप्रैल को चीन में कोरोना के 99 नए मामले आए, जबकि 12 मार्च को सरकार ने देश से कोरोना खत्म होने की घोषणा कर दी थी। बताया जा रहा है कि इस बार यहां कोरोना बिना किसी लक्षण के लौटा है और ये ज्यादा खतरनाक माना जा रहा है। अंदेशा है कि बिना लक्षणों के मरीज सामान्य गतिविधियां रखेगा, जिससे स्वस्थ लोग भी बीमार होते जाएंगे।कोविड-19 की इसी दूसरी लहर पर परेशान चीन ने एकाएक ग्वांगझू शहर के अफ्रीकन लोगों को संदिग्ध मानना शुरू कर दिया। इसके पीछे चीन के प्रेसिडेंट Xi Jinping की वो अपील भी मानी जा रही है, जिसमें उन्होंने अधिकारियों से कोरोना के विदेशी मामलों पर खास नजर रखने को कहा था। विदेशियों में दूसरे देशों के लोग भी शामिल हैं लेकिन खास अफ्रीकी मूल के साथ दुर्व्यवहार दिख रहा है। इसे नस्लभेद से जोड़कर देखा जा रहा है।
ग्वांगझू शहर में सालों से सबसे बड़ी अफ्रीकन आबादी रह रही है। वैसे अफ्रीका के लोग लगातार बिजनेस वीजा पर साल में कई-कई बार आते भी रहते हैं इसलिए चीन में उन अफ्रीकन की संख्या पता लगाना मुश्किल है, जिनके पास चाइनीज वीजा है। Xinhua News Agency के अनुसार साल 2017 में ग्वांगझू प्रांत में लगभग 3 लाख 20 हजार अफ्रीकन लोगों का आना-जाना हुआ था।बसी है ट्रेडिंग कम्युनिटी
असल में ग्वांगझू प्रांत में कम कीमत पर मिलने वाले चीनी सामानों को खरीदकर अफ्रीकन उन्हें अपने देश में ले जाकर बेचते हैं और मुनाफा कमाते हैं। यानी ये एक पूरी Nigerian trading community है, जो व्यापार के इरादे से यहां बसी हुई है। यहां तक कि इसे चीन का ‘लिटिल अफ्रीका’ भी कहते हैं। चीन में बसे इन लोगों के साथ पहले भी दुर्व्यवहार होता रहा है। अफ्रीका के लोग रास्ते से निकलें तो चीन के लोग नाक पर रुमाल या टिशू रख लेते हैं या भद्दी टिप्पणियां करना आम है। लेकिन कोरोना के कहर के बाद ये खुलकर सामने आया, जब ग्वांगझू में ही एक साथ कोरोना के 5 मरीज मिले।ऐसा हो रहा व्यवहार
9 अप्रैल को हुई इस जांच में वैसे 114 लोग कोरोना पॉजिटिव आए थे, जिनमें से 16 अफ्रीका और बाकी दूसरे देशों के लोग थे लेकिन उसके बाद से चीन में रहने वाले अफ्रीकन लोगों को कथित तौर पर निशाना बनाया जा रहा है। सीएनएन ने इस बारे में वहां रहने वाले 2 दर्जन से ज्यादा अफ्रीकन लोगों से बातचीत की। सबका यही कहना है कि सरकार Covid-19 के शक में उनके साथ अमानवीय व्यवहार कर रही है। उन्हें घरों से बाहर खुले आसमान के नीचे रात काटने को कहा जा रहा है। जबर्दस्ती उन्हें 14 दिनों के क्वारंटीन में रखा जा रहा है और टेस्ट भी कराया जा रहा है, जबकि ग्वांगझू में बसी इस ट्रेडिंग कम्युनिटी में अब तक किसी की भी रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं आई है। चीन के विदेश मंत्रालय ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि अफ्रीकी समुदाय को लेकर लोगों में कुछ गलतफहमियां पैदा हो गई हैं।इसी दौरान 9 अप्रैल को एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें अफ्रीकी मूल का एक नागरिक Guangzhou में चीन के एक अधिकारी से सवाल कर रहा है कि हमारे साथ ऐसा व्यवहार क्यों हो रहा है। क्या अफ्रीका में चीन के लोग नहीं रहते हैं! वैसे आंकड़ों के अनुसार 1 मिलियन से ज्यादा चीनी मूल के लोग अफ्रीका में रहते हैं।अवैध अफ्रीकी लोगों को निकालने का जरिया
All African Association of Guangzhou ने इस बारे में स्थानीय अधिकारियों से बात भी की लेकिन उसके बाद ही लगभग 10 कम्युनिटी लीडर्स को होम क्वारंटीन में रख दिया गया। वैसे एकाएक अफ्रीकी मूल के लोगों के साथ इस व्यवहार के पीछे एक वजह ये भी देखी जा रही है कि ट्रेडिंग के लिए हर साल नाइजीरिया से बहुत से लोग आते हैं और पासपोर्ट एक्सपायर होने के बाद चीन में ही रह जाते हैं। अब सर्वे और स्क्रीनिंग के बहाने से चीनी अधिकारी सबके पासपोर्ट और वीजा देख रहे हैं और अवैध ढंग से बसे अफ्रीकी लोगों को जुर्माने के बाद देश से बाहर भेजने की सोच रहे हैं। साल 2014 में भी अफ्रीका में इबोला आउटब्रेक के दौरान चीन में रह रहे अफ्रीकन लोगों से बदसुलूकी हुई थी और सबके पासपोर्ट, वीजा की जांच हुई थी।