Indo-China / लद्दाख की पहाड़ियों पर तैनात जवानों के लिए जानिए कौन बना है आंख और कान

Zee News : Jul 07, 2020, 11:34 PM
Indo-China: लद्दाख की ऊंची पहाड़ियों  पर दुश्मन से मुकाबले के लिए भारतीय सेना (Indian Army) के साथ 'लद्दाख स्काउट्स' पूरी तरह से तैयार है। इस रेजीमेंट के सैनिक लद्दाख से ही होने के कारण इलाके का चप्पा-चप्पा जानते हैं और उन्हें इस बंजर जमीन पर जिंदा रहने का हर हुनर पता होता है। दो महीने से एलएसी पर भारत और चीन के बीच चल रहे तनाव में लद्दाख स्काउट्स की कई बटालियन सबसे आगे के मोर्चे पर तैनात हैं। ये जवान दूसरे सैनिकों के लिए आंख और कान की तरह हैं जो उनकी जिंदगी बचाते हैं।

लद्दाख भारत का ऐसा इलाका है, जो एक साथ पाकिस्तान और चीन दोनों की साजिश झेलता है। साल 1947 में पाकिस्तानी घुसपैठियों ने कारगिल के रास्ते लद्दाख के बौद्ध मठों को लूटने का प्रयास किया था, लेकिन उन्हें लद्दाखी नागिरकों ने सेना बनाकर खदेड़ दिया। इन्हीं लद्दाखी नौजवानों से 7 वीं और 14 वीं जम्मू-कश्मीर मिलीशिया बनाई गई थीं। इन दोनों बटालियनों ने 1962 में चीन के हमले के दौरान दौलत बेग ओल्डी, गलवान, हॉटस्प्रिंग, पेंगांग, चुशूल जैसे इलाकों में बहुत मजबूती से मोर्चा लिया था। बाद में इन दोनों बटालियनों से 'लद्दाख स्काउट्स' बनाई गई, जिसे कारगिल युद्ध में जबरदस्त बहादुरी के लिए रेजीमेंट बना दिया गया।

लद्दाख स्काउट्स रेजिमेंट में इस समय 5 बटालियन हैं। जिनमें लद्दाख के सबसे मुश्किल वातावरण में जीने वाले नौजवान शामिल होते हैं। ये कम ऑक्सीजन, बेहद ठंड और ऊंचाई पर कार्रवायां करने में माहिर होते हैं। इसलिए सबसे मुश्किल ऑपरेशन में 'लद्दाख स्काउट्स' को जरूर शामिल किया जाता है। इस रेजिमेंट के सैनिक एलएसी के सबसे मुश्किल इलाकों में छोटे-छोटे दलों में तैनात होते हैं। जो खुद मुश्किल कार्रवाइयों में आगे रहने के साथ-साथ दूसरे सैनिकों को मदद भी करते हैं। अक्सर एलएसी के सबसे मुश्किल इलाकों गश्त करने जाने वाले दूसरे रेजिमेंट्स के जवानों के साथ-साथ 'लद्दाख स्काउट्स' के जवान भी होते हैं, जो उन्हें रास्ता भूलने और दूसरे खतरों से बचाते हैं।

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