Coronavirus / कोरोना वायरस के संक्रमण पर बारिश का कितना असर? क्या फिर से वायरस लेगा प्रचंड रूप

AajTak : Jun 22, 2020, 07:47 AM
Coronavirus: कोरोना वायरस का सोर्स संक्रमित इंसान ही है। संपर्क में आने पर ही इंफेक्शन का ट्रांसफर होता है। लेकिन, सवाल ये है कि संक्रमण का किसी भी शरीर के आंतरिक या बाहरी तापमान का कोई लेना देना है या नहीं? खासकर तब जब मानसूनी बारिश में तापमान कम हो जाएगा।

उत्तर भारत के एकमात्र ट्रैवल मेडिसिन डॉक्टर डॉ जतिन आहूजा का कहना है कि इंसान के शरीर का तापमान करीब 35 डिग्री सेल्सियस होता है। जो कांस्टेंट बना रहता है। जब हम किसी के संपर्क में आते हैं तो इंफेक्शन ट्रांसफर करते हैं। हालांकि, अप्रत्यक्ष रूप से किसी सरफेस पर रहने वाले वायरस के वहां पर सरवाइव करने का समय बढ़ जाएगा। जबकि वायरस के ट्रांसमिशन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

खांसने से ही होगा संक्रमण

उन्होंने कहा कि तापमान माइनस 15 हो या 50 प्लस, इंफेक्शन खांसने से ही होगा। ड्रापलेट में वायरस होता है। हवा में नहीं। जमीन पर गिरने से गर्मी में कोरोना अगर दो दिन रहता है तो सर्दी में 4 दिन रहेगा। कोरोना वायरस के 90 फीसदी मामलों में ट्रांसमिशन का सोर्स डायरेक्ट कांटेक्ट ही है। यही वजह है कि मास्क का रोल बहुत बड़ा है।

डॉ जतिन आहूजा ने कहा कि शरीर का तापमान जब बढ़ता है तो मानते हैं कि ये कोरोना की वजह से हुआ होगा। जबकि मानसून सीजन में इंफेक्शन होने पर डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया भी होता है।

डॉ मोहसिन वली, सीनियर कंसटलेंट, गंगाराम हस्पताल ने बताया कि मानसून में ह्यूमिडिटी बढ़ती है तो एयर का घनत्व बढ़ जाता है। कोरोना चूंकि भारी वायरस है तो ज्यादा देर तक रहेगा। उन्होंने कहा कि मानसून में इंफेक्शन और बढ़ते हैं। स्वाइन फ्लू के केस भी आए जो इग्नोर हो गए हैं। ये मोडीफाइड वायरस है। ये वायरस की तरह बर्ताव ही नहीं कर रहा है। वली ने कहा कि 50 साल के इतिहास में वायरस से खून जमने, वो भी हार्ट और फेफड़े में, ऐसा पहले नहीं देखा गया था। ये वायरस का विकराल रूप है।

कैसा है कोरोना वायरस

कोरोना वायरस बाकी वायरस से कम से कम तीन गुना बड़ा है। ये आरएनए वायरस है। ये हाफ हेलिक्स है। जैसे ढक्कन से डिब्बे को अलग करके ऊपर से गिराएं तो ढक्कन तुरंत जाकर डिब्बे पर बैठ जाता है। कुछ इसी तर्ज पर ये नई कोशिका से जाकर चिपक जाता है। इसलिए ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है। ये चिपके नहीं इसके लिए कई दवा वायरस के चारों ओर कवच बना देती हैं।

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