विश्व / पाकिस्तान को अमेरिका से कड़ी नसीहत, कश्मीर के बजाय चीन में हिरासत में रखे गए मुसलमानों की चिंता करे

AMAR UJALA : Sep 27, 2019, 03:50 PM
न्यूयार्क. कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन की झूठी अफवाह फैला रहे पाकिस्तान को अमेरिका से कड़ी नसीहत मिली है। अमेरिका ने पाकिस्तान से कहा कि वह चीन में अवैध रूप से हिरासत में रह रहे मुसलमानों की चिंता पहले करे।

अमेरिका की दक्षिण और मध्य एशिया मामलों की मंत्री एलिस जी वेल्स ने कहा कि चीन में मुस्लिमों के हालात काफी खराब है। उन्हें नजरबंदी शिविरों में रखा जा रहा है, लेकिन पाकिस्तान इस पर कोई चिंता जाहिर नहीं करता। 

वेल्स ने कहा कि पाकिस्तान को इस मामले पर ज्यादा चिंता जाहिर करनी चाहिए, क्योंकि वहां मानवाधिकारों का उल्लंघन ज्यादा है। ट्रंप प्रशासन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में चीन द्वारा मुस्लिमों के नजरबंदी शिविरों के भयानक यातनाओं का मामला उठाया। 

उन्होंने कहा कि पूरे चीन में मुस्लिमों की हालत बदतर हैं। उन्हें जबरदस्ती यातना शिविरों में रखा जा रहा है। उन्हें धार्मिक आजादी नहीं दी जा रही है। हम भविष्य में भी इस मुद्दे को बार-बार उठाते रहेंगे।

कौन हैं उइगुर (वीगर) मुसलमान

चीन के पश्चिमी प्रांत शिनजियांग में चीनी प्रशासन और यहां के स्थानीय उइगुर या वीगर जनजातीय समुदाय के बीच संघर्ष का बहुत पुराना इतिहास है। वीगर मुसलमान खुद को सांस्कृतिक और जनजातीय रूप से मध्य एशियाई देशों के नजदीकी मानते हैं।

सदियों से इस इलाके की अर्थव्यवस्था कृषि और व्यापार केंद्रित रही है। यहां के काशगर जैसे कस्बे प्रसिद्ध सिल्क रूट के बहुत संपन्न केंद्र रहे हैं। बीसवीं शताब्दी के शुरुआती दिनों में वीगरों ने थोड़े समय के लिए खुद को आजाद घोषित कर दिया था। 

इस इलाके पर कम्युनिस्ट चीन ने 1949 में पूरी तरह नियंत्रण हासिल कर लिया था। दक्षिण में तिब्बत की तरह ही शिनजियांग भी आधिकारिक रूप से स्वायत्त क्षेत्र है।

इस्लामिक देशों की चुप्पी की ये है वजह

उइगुर मुस्लिमों के लिए इस्लामिक देश इसलिए चुप हैं क्योंकि वह चीन की नजर में बुरे नहीं बनना चाहते। पाकिस्तान जैसे देशों की तो अर्थव्यवस्था ही चीन के सहारे से चल रही है। इसके अलावा बाकी के इस्लामिक देशों के चीन से व्यापारिक संबंध हैं।

अगर ये देश इन चीनी मुस्लिमों की तरफ से कुछ कहें तो हो सकता है कि चीन इनके खिलाफ हो जाए और इन्हें दी जा रही मदद पर रोक लगा दे। ये देश इसी बात का तर्क दे रहे हैं कि ये चीन के आंतरिक मामले में दखल नहीं देना चाहते।

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