देश / कोविड मुआवजे पर राहुल गांधी बोले- SC ने मोदी सरकार को गलती सुधारने का मौका दिया

कांग्रेस कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को मुआवजा देने की मांग लगातार उठा रही है। 28 जून को भी राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा था, 'पेट्रोल-डीज़ल टैक्स वसूली के छोटे से हिस्से से कोविड पीड़ित परिवारों को हर्जाना दिया जा सकता है- ये उनकी ज़रूरत है, अधिकार है। आपदा में जन सहायता के इस अवसर से मोदी सरकार को पीछे नहीं हटना चाहिए।

Vikrant Shekhawat : Jun 30, 2021, 06:20 PM
नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस की वजह से हुई मौत के लिए मुआवजा दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि आपदा में लोगों को मुआवजा देना सरकार का वैधानिक कर्तव्य है। शीर्ष अदालत ने नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (NDMA) से कहा कि वह 6 हफ्ते में मुआवजे की रकम तय कर राज्यों को सूचित करे।

शीर्ष अदालत के इस फैसले के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि SC ने मोदी सरकार को ग़लती सुधारने का मौक़ा दिया है। कम से कम अब सरकार को मुआवज़े की सही राशि तय करके पीड़ितों को राहत देनी चाहिए। ये सही दिशा में एक महत्वपूर्ण क़दम है।

बता दें कि कांग्रेस कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को मुआवजा देने की मांग लगातार उठा रही है। 28 जून को भी राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा था, ''पेट्रोल-डीज़ल टैक्स वसूली के छोटे से हिस्से से कोविड पीड़ित परिवारों को हर्जाना दिया जा सकता है- ये उनकी ज़रूरत है, अधिकार है। आपदा में जन सहायता के इस अवसर से मोदी सरकार को पीछे नहीं हटना चाहिए।''

पूरा मामला क्या है?

सुप्रीम कोर्ट में 2 वकीलों गौरव कुमार बंसल और रीपक कंसल की तरफ से याचिका दाखिल की गई थी। दोनों का कहना था है कि नेशनल डिज़ास्टर मैनेजमेंट एक्ट की धारा 12 में आपदा से मरने वाले लोगों के लिए सरकारी मुआवजे का प्रावधान है। पिछले साल केंद्र ने सभी राज्यों को कोरोना से मरने वाले लोगों को 4 लाख रुपए मुआवजा देने के लिए कहा था। इस साल ऐसा नहीं किया गया है। 

केंद्र सरकार का कहना था कि कोरोना से हुई लगभग 4 लाख मौतों के लिए 4-4 लाख रुपए का भुगतान करना आर्थिक रूप से बहुत कठिन है। राज्यों को इसके लिए बाध्य किया गया तो आपदा प्रबंधन के दूसरे अनिवार्य कार्य प्रभावित होंगे।