Dollar vs Rupee: बीते सप्ताह एशियाई मुद्रा बाजार में भारतीय रुपया चर्चा का केंद्र बना रहा। डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूती के साथ उभरता दिखाई दिया, जिससे यह पूरे क्षेत्र में सबसे मजबूत करेंसी के रूप में उभरा। आंकड़ों के मुताबिक, रुपया बीते सप्ताह डॉलर के मुकाबले लगभग 1% तक मजबूत हुआ। वहीं, चीन का युआन और जापान का येन डॉलर के सामने टिकने में असफल रहे।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की रणनीतिक नीतियों और मजबूत हस्तक्षेप से रुपया मजबूती प्राप्त कर सका है। यह नीतियां न केवल बाजार में संतुलन बनाए रखने में सहायक रही हैं बल्कि निवेशकों को भी भरोसा दिलाने में सफल रही हैं।
रुपये की मजबूती जारी रहेगी?
वित्तीय विशेषज्ञों के अनुसार, अगले सप्ताह भी रुपये की मजबूती जारी रह सकती है। डॉलर में गिरावट का ट्रेंड बना हुआ है और कच्चे तेल की कीमतों में आई कमी से रुपये को और समर्थन मिल रहा है। अनुमान है कि सोमवार से रुपये की मजबूती और बढ़ सकती है, जिससे एशियाई बाजार में इसकी स्थिति और सशक्त होगी।
पिछले सप्ताह का प्रदर्शन
बीते सप्ताह रुपये में डॉलर के मुकाबले 1% से अधिक की बढ़त देखी गई। यह पहली बार है जब किसी एक सप्ताह में रुपये ने इतनी मजबूती दिखाई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि मौजूदा रुझान जारी रहता है, तो अगले सप्ताह भी रुपये में 1 से 1.5% तक की और वृद्धि संभव है।
शुक्रवार को रुपये में दिखी मजबूती
शुक्रवार को इंटरबैंक फॉरेन करेंसी एक्सचेंज मार्केट में रुपये ने 22 पैसे की छलांग लगाते हुए 86.71 पर कारोबार समाप्त किया। अमेरिकी सरकार द्वारा शुल्क बढ़ोतरी को टालने के फैसले के बाद डॉलर में आई नरमी से रुपये को मजबूती मिली। हालांकि, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की बिकवाली से रुपये पर कुछ दबाव बना रहा।
डॉलर इंडेक्स में गिरावट के कारण
डॉलर इंडेक्स बीते सप्ताह 1.15% गिरकर 106.79 के स्तर पर आ गया। यह गिरावट मुख्य रूप से अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में कटौती न करने की नीति से जुड़ी हुई है। फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल के बयान के बाद डॉलर की कमजोरी बढ़ी, जिससे अन्य मुद्राओं को मजबूती मिली।
विशेषज्ञों की राय
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के करेंसी विशेषज्ञ अनुज गुप्ता के अनुसार, आने वाले सप्ताह में भी रुपये की मजबूती बनी रह सकती है। उन्होंने बताया कि रुपये को समर्थन देने वाले सभी कारक सक्रिय हैं, जैसे कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और डॉलर इंडेक्स की कमजोरी।मिराए एसेट शेयरखान के अनुसंधान विश्लेषक अनुज चौधरी का मानना है कि अमेरिकी डॉलर में गिरावट और वैश्विक बाजार में अस्थिरता से रुपये को फायदा हो सकता है। हालांकि, विदेशी निवेशकों की बिकवाली कुछ दबाव डाल सकती है, लेकिन भारतीय रिज़र्व बैंक का हस्तक्षेप इसे संतुलित कर सकता है।
निष्कर्ष
भारतीय रुपया एशियाई मुद्रा बाजार में लगातार मजबूती दिखा रहा है। आरबीआई की नीतियां, डॉलर इंडेक्स की कमजोरी और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट रुपये को समर्थन प्रदान कर रही हैं। अगर ये रुझान अगले सप्ताह भी जारी रहते हैं, तो भारतीय रुपया एक बार फिर एशियाई बाजार में अपनी मजबूती साबित कर सकता है।