रास्ता साफ / इस हफ्ते ही खत्म हो जाएगा दिल्ली के निगमों का अस्तित्व, एक दशक बाद केंद्र सरकार नियुक्त करेगी अपना प्रशासक

Zoom News : Apr 06, 2022, 09:50 AM
संसद में दिल्ली नगर निगम अधिनियम संशोधित विधेयक पास होने के बाद तीनों नगर निगमों का अस्तित्व अब कभी भी खत्म हो जाएगा। दरअसल, तीनों नगर निगम का विलय होने और दिल्ली नगर निगम के अस्तित्व में आने के बीच संसद में पास हुए विधेयक पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने और उसके बाद अधिसूचना जारी होने की प्रक्रिया शेष बची है। संभवत: दोनों प्रक्रिया इस सप्ताह के अंत तक पूरी जाएगी।

संसद के दोनों सदन लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी दिल्ली नगर निगम अधिनियम संशोधित विधेयक पास होने के बाद तीनों नगर निगम का विलय होने का रास्ता साफ हो गया है। इस तरह विधेयक पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अधिसूचना जारी होते ही 10 साल बाद एक बार फिर दिल्ली नगर निगम अस्तित्व में आ जाएगी। उधर, तीनों नगर निगम के भविष्य के संबंध में कयास लगाने शुरू हो गए है।

नगर निगम के विशेषज्ञों का कहना है कि तीनों नगर निगम को अब कभी भी भंग किया जा सकता है। तीनों नगर निगम को भंग नहीं करने की स्थिति में विधेयक के संबंध में अधिसूचना जारी होते ही उनका स्वयं ही अस्तित्व खत्म हो जाएगा और दिल्ली नगर निगम के गठन की प्रक्रिया आरंभ हो जाएगी।

सूत्रों के अनुसार दिल्ली नगर निगम के गठन के संबंध में अधिसूचना जारी होते ही केंद्र सरकार उसके प्रशासक एवं आयुक्त की नियुक्ति करेगी। इसके बाद वे विभागों के प्रमुखों की नियुक्ति करने की प्रक्रिया आरंभ करेंगे। 

दिल्ली नगर निगम का प्रशासक नौकरशाह ही होगा

दिल्ली नगर निगम के चुनाव नहीं होते तक उसकी कमान राजनीतिक व्यक्ति के बजाए नौकरशाह के हाथ में होगी। राज्यसभा में दिल्ली नगर निगम अधिनियम संशोधित विधेयक पर जवाब देने के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री ने एलान किया कि दिल्ली नगर निगम का प्रशासक किसी भी राजनीतिक व्यक्ति को नहीं बनाया जाएगा। इस तरह नगर निगम की कमान प्रशासक के तौर पर कोई नौकरशाह संभालेगा।

भाजपा को कोई डर नहीं, निगम चुनाव लड़ने के लिए तैयार : शाह

दिल्ली के तीनों नगर निगमों को मिलाकर एक करने वाले दिल्ली नगर निगम संशोधन बिल-2022 पर चर्चा के दौरान  केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, दिल्ली सरकार यदि अपने हिस्से का 19 हजार करोड़ दे देती तो आज ये हालात न होते। 

कुछ विपक्षी सदस्यों द्वारा इस पर चिंता जताये जाने पर गृहमंत्री ने कहा कि यह बिल संघीय ढांचे पर किसी प्रकार से हमला नहीं है। उन्होंने कहा कि दिल्ली केवल एक केंद्रशासित प्रदेश है यह पूर्ण राज्य नहीं है और संसद को इस पर कानून बनाने का अधिकार है। इसलिए यह बिल लाया गया है।

निकाय चुनाव हारने के डर से केंद्र सरकार द्वारा यह बिल लाए जाने के विपक्ष के आरोप को खारिज करते हुए अमित शाह ने कहा कि भाजपा को कोई डर नहीं है। परिसीमन हो जाने के बाद हम चुनाव लड़ने को पूरी तरह तैयार हैं। उन्होंने विपक्षी दलों से कहा यदि छह महीने बाद चुनाव हो जाएं तो आप हार जाएंगे। 

उन्होंने आप के संजय सिंह को जवाब देते हुए कहा, संजय भाई मैं देश को स्पष्ट करूंगा, लेकिन मैं फोबिया ऐसी भाषा का उपयोग नहीं करूंगा। संसद में अटल बिहारी वाजपेयी से जवाहर लाल नेहरू ने भी कभी नहीं कहा फोबिया हो गया है।

कांग्रेस खुद अपना चेहरा आईने में देखे

गृहमंत्री ने कांग्रेस के सत्ता की भूख के आरोप पर कहा कि वह खुद अपना चेहरा आईने में देखे। शाह ने कहा कि 2014 से अब तक न तो हारने का भय है और न ही जीतने का अहंकार। जब हमारे संसद में कभी दो सदस्य हुआ करते थे, तो कांग्रेस हम दो हमारे दो का ताना मारती थी। कांग्रेस सांसद शक्ति सिंह गोहिल ने ठीक कहा कि जो इतिहास को भूल जाते हैं इतिहास बन जाते हैं। सर्वशक्तिमान एक परिवार नहीं होता है 130 करोड़ जनता होती है।

केंद्र ने निगमों को एक रुपया भी नहीं दिया : आतिशी

राज्यसभा में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की ओर से दिल्ली सरकार पर तीनों नगर निगमों के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाने पर आप ने पलटवार किया। आप नेता आतिशी ने कहा कि केंद्र सरकार देश के सभी निगमों को 488 रुपये प्रति व्यक्ति देती है, लेकिन दिल्ली के निगमों को एक पैसा नहीं देती है। आतिशी ने बताया कि दिल्ली की आबादी के अनुसार दिल्ली की नगर निगमों को केंद्र सरकार से प्रति वर्ष 730 करोड़ मिलने चाहिए। केंद्र और नगर निगमों में भाजपा की सरकार है फिर भी दिल्ली की नगर निगमों को फंड नहीं मिल रहा है।

SUBSCRIBE TO OUR NEWSLETTER