Coronavirus / कोरोना का दिमाग पर पड़ रहा कैसा असर? नई स्टडी में हुआ खुलासा

AajTak : Aug 07, 2020, 05:08 PM
Delhi: दुनिया भर में कोरोना वायरस का कहर लगातार जारी है। कोरोना का असर लोगों पर ना सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक तौर पर भी पड़ रहा है। मौजूदा हालात की वजह से थोड़ा बहुत तनाव होना स्वाभाविक है लेकिन जब यह ज्यादा हो जाता है तो इसका असर हमारी आम दिनचर्या पर पड़ने लगता है। नई स्टडी में यही बात बताई गई है कि मानसिक तनाव किस तरह से धीरे-धीरे लोगों में गंभीर होता जा रहा है और मनोवैज्ञानिक तरीके से इसे कैसे निपटा जा सकता है।

ये स्टडी अमेरिकन साइकोलॉजिस्ट पत्रिका में प्रकाशित हुई है। इस स्टडी में पहले से किसी बीमारी से जूझ रहे लोगों, 70 साल के आस-पास के लोगों, कमजोर इम्यून सिस्टम वाले और प्रेग्नेंट महिलाओं को शामिल किया गया था। स्टडी के लेखकों ने 842 लोगों से सोशल मीडिया के जरिए कुछ सवाल पूछे। ये सवाल कोरोना वायरस और लॉकडाउन से संबंधित थे।

सवालों का जवाब देने वालों में 80 फीसदी महिलाएं थीं जिनकी औसतन उम्र 38 साल के आसपास थी। 22 फीसदी लोगों ने अपनी चिंताजनक मानसिक स्थिति के बारे में बताया जिनमें मुख्य रूप से तनाव, डिप्रेशन और मूड स्विंग्स जैसे लक्षण थे। डेटा का विश्लेषण करने के बाद शोधकर्ताओं ने पाया कि सर्वे में शामिल लगभग 25 फीसदी लोगों ने लॉकडाउन के दौरान बहुत ज्यादा तनाव और डिप्रेशन का अनुभव किया। ये तनाव मानसिक और शारीरिक दोनों वजह से था।

डॉक्टरों की तरफ से दिए जा रहे पूरे आश्वासन के बावजूद 15 फीसदी लोग इस बात को लेकर तनाव में थे कि कहीं वो इस वायरस के चपेट में ना आ जाएं। सेहत को लेकर ये तनाव उन लोगों में ज्यादा था जिन्हें या तो पहले से कोई बीमारी थी या जो बुजुर्ग थे। इस समूह के लोगों में डिप्रेशन भी ज्यादा पाया गया।

लेखकों ने पाया कि खराब मानसिक स्वास्थ्य एक हद तक इस बात पर भी निर्भर था कि किसी व्यक्ति में किसी अनिश्चित स्थिति से निपटने की क्षमता कैसी है। लेखकों का कहना है कि मनोवैज्ञानिक तरीके से मौजूदा हालात की चुनौतियों का सामना किया जा सकता है।

स्टडी के निष्कर्ष में लेखकों ने सुझाव है दिया है कि मनोवैज्ञानिक सहारा देने से दिमाग पर सकारात्मक असर पड़ता है और व्यक्ति को ऐसी स्थितियों से निपटने में मदद मिलती है। लेखकों ने बुजुर्गों और पहले से किसी बीमारी से जूझ रहे लोगों के मानसिक सेहत को देखते हुए एक खास योजना बनाने पर भी जोर दिया है क्योंकि स्टडी में डिप्रेशन की सबसे ज्यादा शिकायत इन्हीं लोगों में पाई गई है।

इससे पहले भी कई स्टडी में बताया गया था कि महामारी, लॉकडाउन और क्वारनटीन का बुरा असर लोगों के दिमाग पर कैसे पड़ रहा है। चीन की एक स्टडी के मुताबिक COVID-19 शुरू होने के पहले महीने में करीब 25 फीसदी लोग मानसिक परेशानी से जूझ रहे थे जो आने वाले महीने में लगातार बढ़ता गया।

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