देश / चीन ने भूटान में जहां जताया था अपना अधिकार, अब वहां भारत बनाएगा सड़क

AajTak : Jul 14, 2020, 12:13 PM
भारत भूटान के यती क्षेत्र में एक सड़क बनाने की योजना बना रहा है। इससे गुवाहाटी और अरुणाचल प्रदेश के तवांग की दूरी 150 किलोमीटर घट जाएगी। भूटान के यती क्षेत्र को चीन ने हाल ही में अपना अधिकार जताया था। यह सड़क बन जाने से भारत को रणनीतिक तौर पर फायदा होगा। क्योंकि यह चीन की सीमा से लगती हुई निकलेगी।

यह सड़क बन जाने के बाद भारत चीन से कई गुना ज्यादा तेजी से अपनी सीमाई इलाकों में फौज तैनात कर सकती है। सिर्फ तवांग ही नहीं, बल्कि पूरे भूटान के पूरे पूर्वी इलाके और उत्तर पूर्वी राज्यों की चीन से सटी सीमाओं पर सेना जल्दी पहुंच सकती है। 

अंग्रेजी अखबार इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के अनुसार, भारत सरकार ने बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन को सड़क बनाने का काम सौंप दिया है। यह सड़क तवांग के पास स्थित लुमला को भूटान के त्राशीगांग से जोड़ेगा। यहां से थिंपू नजदीक हो जाएगा। साथ ही भारतीय सीमा भी। इससे भारत और भूटान की सुरक्षा बढ़ जाएगी। साथ ही कनेक्टिविटी भी बढ़ेगी।

एक्सपर्ट्स की माने तो चीन ने हाल ही में भूटान के सुदूर पूर्वी इलाके पर अपना अधिकार जताने का प्रयास किया था। यह इलाका अरुणाचल प्रदेश के उस 90 हजार वर्ग किलोमीटर लंबे-चौड़े हिस्से से जुड़ा है, जिसपर चीन अपना स्वामित्व बताता है। वह एक तीर से दो शिकार करने की तैयारी में था।

चीन ये दावा करता है कि तवांग उसका हिस्सा है क्योंकि तिब्बत पर उसका पूर्ण नियंत्रण है। छठें दलाई लामा तवांग में पैदा हुए। जबकि, वर्तमान दलाई लामा तवांग के जरिए ही भारत में आकर रह रहे हैं

जून में चीन ने भूटान के सुदूर पूर्वी इलाके में स्थित साकतेंग वाइल्डलाइफ सेंक्चुरी की अंतरराष्ट्रीय फंडिंग रोकने की कोशिश की थी। उसने कहा था कि इस सैंक्चरी और इसके आसपास के किसी भी इलाके के लिए फंडिंग नहीं हो सकती क्योंकि यह एक विवादित जमीन है।

इसके बाद भूटान ने कड़े शब्दों में चीन की निंदा करते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच पश्चिमी दिशा में 269 वर्ग किलोमीटर और उत्तर-मध्य दिशा की ओर 495 किलोमीटर में ही विवाद बचा है। बाकी भूटान की सभी सीमाएं मुक्त हैं। इनपर सीमा को लेकर कोई विवाद नहीं है। 

भूटान की साकतेंग वाइल्डलाइफ सैंक्चरी त्राशीगांग जिले में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि इस इलाके में पौराणिक जीव यती रहता है। इसे भूटानी भाषा में मिगोई कहते हैं। यहां पर 14वीं सदी से रहने वाले घुमंतू ब्रोकपास समुदाय भी है।

भूटान और चीन 1984 से अपने सीमा विवाद को सुलझाने में लगे हुए हैं। पिछले महीने तक चीन साकतेंग वाइल्डलाइफ सैंक्चरी पर कभी भी अपना अधिकार नहीं जताया। 1984 से 2016 तक भूटान और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर कुल 24 बैठकें हो चुकी हैं। डोकलाम विवाद के बाद से भूटान और चीन के बीच बातचीत बंद है। 

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