राजस्थान / SMS Hospital में 10 करोड़ की DSA-3D मशीन; ब्रेनहेमरेज के मरीजों में बिना ओपन सर्जरी फ्री स्टेंट डलेगा

Zoom News : Apr 25, 2022, 11:55 AM
सिर की गंभीर बीमारियों जैसे ब्रेन हेमरेज, एन्यूरिज्म, खून की नसों का गुच्छा, ब्लॉकेज (स्टेंट) लगाना और एंबोलाइजेशन से पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए अब ओपन सर्जरी नहीं करनी होगी। यानी बिना ओपन सर्जरी ही स्टेंट डाला जा सकेगा। इन बीमारियों का एसएमएस अस्पताल में ‘डिजिटल सब्सट्रेक्शन एंजियोग्राफी’ 3डी मशीन से फ्री इलाज होगा। अभी मशीन के 2डी वर्जन से सिर्फ जांच ही की जा सकती थी।

फिलहाल 10 करोड़ रुपए की यह मशीन एसएमएस अस्पताल में अगले महीने से काम शुरू कर देगी। इस मशीन से बिना रेडिएशन कम समय में ब्रेन से लेकर पैर तक की नसों में बीमारियों का बेहतर इलाज मिलेगा। इसके अलावा, नसों की संरचना और इससे संबंधित अनुवांशिक बीमारियों की जांच भी आसान होगी।


डीएसए 3डी की इंस्टालेशन का शुरू हो गया है। अगले माह से इलाज मिलने लगेगा।


डॉ.विनय मल्होत्रा, अधीक्षक, एसएमएस अस्पताल

सिर की गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए आधुनिक डीएसए मशीन इंस्टाल की जा रही है। संभवतया अगले माह से मरीजों को इलाज मिलने लगेगा। 4 घंटे के बजाय 6 घंटे का गोल्डन ऑवर होने से इलाज में अधिक समय मिलेगा। 


डॉ.अचल शर्मा, विभागाध्यक्ष, न्यूरोसर्जरी विभाग

3-डी और बाइप्लेनर डीसीए मशीन से इलाज के लिए डॉ.त्रिलोचन श्रीवास्तव और डॉ.अशोक गांधी प्रशिक्षण ले चुके हैं। इस मशीन से दिमाग की एंजियोग्राफी के साथ-साथ सीटी स्कैन जैसी सुविधा भी मिल सकेगी। 


  • दिमाग में नस दबने या ठीक से काम नहीं करने पर डिजिटल सब्सट्रेक्शन एंजियोग्राफी मशीन से जांच और तुरंत इलाज मिलेगा। नसों में कई बार ब्लॉकेज से ट्यूमर बन जाता है। ऐसे में मरीज को हैवी डोज वाली दवाएं खानी पड़ती हैं।
  • फिलहाल 2-डी मशीन से अब तक 4 हजार मरीजों का इलाज किया जा चुका है। पिछले साल सिर की गंभीर बीमारी से पीड़ित 450 मरीज एसएमएस में आए थे।
  • लकवे में क्लॉट हटाने के लिए थ्रोम्बोलिसिस थैरेपी अभी सिर्फ साढ़े चार घंटे में ही कारगर होती है। नई डीएसए मशीन से इलाज के लिए 2 घंटे अधिक समय मिल सकेगा।
  • डीएसए 3-डी मशीन से रेडिएशन कम लगने के साथ मरीज की सुरक्षा और इलाज में भी कम समय लगेगा
  • 2-डी मशीन से हर दिन सिर्फ 2 मरीजों का इलाज किया जा सकता था। अब 3डी मशीन से हर दिन 4 से 5 मरीजों का इलाज आसानी से किया जा सकेगा।
  • ब्लॉकेज जानने के लिए मरीज को मशीन पर लेटाया जाता है। फिर उस अंग पर नसों से होने वाली खून की सप्लाई को नियमित करते हैं।

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