नई दिल्ली / अयोध्या विवाद: मुस्लिम गवाह ने कहा था, मस्जिद में किसी को नमाज पढ़ते नहीं देखा

Live Hindustan : Aug 21, 2019, 11:31 AM
रामलला विराजमान के वकील सीएस वैद्यनाथन ने एक मुस्लिम गवाह के बयान का जिक्र किया, जिसने बताया था कि जन्मस्थान पर बनी मस्जिद में उसने किसी मुस्लिम को नमाज पढ़ते नहीं देखा। यही नहीं, मस्जिद का कोई संरक्षक नहीं था और सुन्नी बोर्ड ने कभी इसका बंदोबस्त नहीं देखा। 

दूसरी मस्जिद से बुलाया जाता था इमाम

-वर्ष 1999 में उच्च न्यायालय में दिए बयान में मुस्लिम गवाह ने यह भी कहा था कि मस्जिद में कोई इमाम नहीं था। नमाज पढ़वाने के लिए दूसरी मस्जिद से इमाम बुलाया जाता था। उसने यह भी बताया था कि वहां पर एक पेड़ था। यह नीम था या पीपल, वह नहीं जानता। एक सीता रसोई भी थी। हिंदू इस स्थान को पवित्र मानकर इसकी परिक्रमा करते थे। 

राम, सीता, लक्ष्मण के चरण चिह्न पूजे जाते थे

-संविधान पीठ के समक्ष वैद्यनाथन ने एक हिंदू गवाह का भी जिक्र किया, जिसने बताया था कि वह 1933 में अयोध्या गया था और देखा था कि राम जन्मस्थान पर कोई मूर्ति नहीं थी, लेकिन राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न   और सीता के चरण चिन्ह थे, जिनकी पूजा होती थी। वहीं एक अन्य गवाह ने कहा था कि 1934 के बाद वहां कभी नमाज नहीं हुई। पीठ में शामिल जस्टिस बोब्डे ने वैद्यनाथन से पूछा कि वह गवाहों के बयान दिखाकर क्या सिद्ध करना चाहते हैं। इस पर वैद्यनाथन ने कहा कि उनका मकसद यही बताना है कि यह स्थान एक हिंदू मंदिर था, जहां कभी नमाज नहीं पढ़ी गई। 

हिंदू देवों के चित्र और पंचकोसी मार्ग दिखा

-वैद्यनाथन ने केस के वादी मो. हाशिम अंसारी के हाईकोर्ट में दिए गए बयानों का उल्लेख किया, जिसमें उनहोंने माना कि हिंदू इसे जन्मस्थान और मुस्लिम बाबरी मस्जिद कहते हैं। जब उन्हें कसौटी खंभों पर बने चित्र दिखाए गए तो उन्होंने कहा कि यह हिंदू देवों के चित्र हैं। नमाज के सवाल पर उन्होंने कहा कि था जहां देवों के चित्र हों, वहां नमाज नहीं पढ़ी जाती। उन्होंने कहा था कि रामकोट के पूर्व में मेरा घर है। मैंने पंचकोसी परिक्रमा का मार्ग देखा है, यह पूरी अयोध्या को समेटता है। यह सही है हिंदुओं की आस्था है कि अयोध्या राम का जन्मस्थान है।

सैकड़ों वर्षों से हिंदू लगा रहे परिक्रमा

-केस के अन्य पक्षकार हाजी महबूब जिनका घर जन्मस्थान के पूर्व में है, उन्होंने भी कहा है वह अयोध्या में ही पैदा हुए और वहां एक जगह है जिसे सीता रसोई कहते थे जबकि हम इसे मस्जिद कहते थे और बाकी उसे मंदिर कहते थे। उन्होंने बताया था कि जब वह वहां जाते थे तो खंभों पर चित्र नहीं थे, मुझे नहीं पता ये बाद में बनाए जा सकते हैं। यह जरूर है कि अयोध्या हिंदुओं के लिए तीर्थस्थान है। हमारे लिए भी है। उन्होंने कहा कि वह जानते हैं कि हिंदू इस स्थान की परिक्रमा सैकड़ों वर्षों से कर रहे हैं। यह परिक्रमा उनके घर के पास से भी जाती है। पहले इसमें हजारों की संख्या में लोग जाते थे, अब यह तादाद लाखों में पहुंच गई है।

जन्मस्थान पर कोई विवाद नहीं : वैद्यनाथन

-वैद्यनाथन ने कहा कि इन बयानों से साफ है कि स्थल के राम का जन्मस्थान होने के बारे में कोई विवाद नहीं है। स्थान और विश्वास को लेकर भी विवाद नहीं है। पूरे देश से लोग यहां आते हैं। इससे साफ है कि हिंदुओं का यह विश्वास है कि यह राम का जन्मस्थान है। यात्रियों के वृत्तांत, गजेटियर और पुरातत्व विभाग से मिले सबूतों से स्पष्ट है कि यहां मंदिर ही था। इस बारे में भी लोगों का विश्वास कभी नहीं हिला कि ये जन्मस्थान है। दोनों तरफ के गवाह हैं। कई ने यह भी कहा है कि मस्जिद में देवों के चित्र नहीं होते, जिससे सिद्ध होता है कि यह मंदिर था। वैद्यनाथ ने एक 85 वर्षीय महंत की गवाही भी दिखाई, जिसमें उन्होंने कहा था कि स्थल पर मूर्तियां 1934 से पहले से थीं, क्योंकि वह 1946 से स्थान पर जा रहे हैं।

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