Lok Sabha Elections / BSP कुर्बानी से पीछे नहीं हटेगी... भतीजे आकाश आनंद पर एक्शन को लेकर बोलीं मायावती

Zoom News : May 08, 2024, 08:18 AM
Lok Sabha Elections: लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण का मतदान खत्म हुआ ही था. सियासी गलियारों में वोटिंग को लेकर बातें हो रही थीं. मगर, बीएसपी में एक कहानी का अहम अध्याय लिखा जा रहा था. ये अध्याय खुद मायावती लिख रही थीं. इसके पात्र थे उनके भतीजे आकाश आनंद. आकाश पर सीतापुर में विवादास्पद टिप्पणी देने को लेकर चुनाव आयोग की पहले ही गाज गिर चुकी थी. मगर, मायावती ने जो फैसला लिया, उसने सियासी गलियारों में हलचल तेज कर दी. नेशनल कोऑर्डिनेटर पद से उनको हटाने के साथ मायावती ने उत्तराधिकारी की दी गई जिम्मेदारी भी ले ली. इस फैसले में उन्होंने अपनी चिर-परिचित एक्शन लेने वाली शैली भी दिखा दी.

मायावती ने आकाश पर एक्शन लेते हुए पार्टी के विजन का भी जिक्र किया है. उन्होंने ये भी बताया है कि पार्टी लाइन से हटकर पहले भी कोई नहीं बोल पाया और आगे भी नहीं बोलेगा. मायावती ने ये पहली बार नहीं किया है. इससे पहले भी कई नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा चुकी हैं. कभी बीएसपी सरकार में मिनी मुख्यमंत्री कहे जाने वाले नसीमुद्दीन सिद्दीकी को मायावती ने 2017 में पार्टी से बाहर कर दिया था.

मायावती ने अपने फैसले में इन बातों का जिक्र किया

इस बार आकाश को जिम्मेदारी से मुक्त करते हुए मायावती कहती हैं, बीएसपी एक पार्टी के साथ ही बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के आत्म-सम्मान, स्वाभिमान और सामाजिक परिवर्तन का भी मूवमेंट है, जिसके लिए कांशीराम जी और मैंने खुद अपनी पूरी जिंदगी समर्पित की है. इसे गति देने के लिए नई पीढ़ी को भी तैयार किया जा रहा है. इसी क्रम में पार्टी में अन्य लोगों को आगे बढ़ाने के साथ ही आकाश आनंद को नेशनल कोऑर्डिनेटर और अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था. मगर, पार्टी और मूवमेंट के व्यापक हित में पूर्ण परिपक्वता (Maturity) आने तक अभी उन्हें इन दोनों अहम जिम्मेदारियों से अलग किया जा रहा है.

बीएसपी नेतृत्व कुर्बानी देने से पीछे हटने वाला नहीं

बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के सम्मान, स्वाभिमान और सामाजिक परिवर्तन के मूवमेंट, कांशीराम और खुद के समर्पण का जिक्र करने के साथ मायावती आगे कहती हैं, इनके (आकाश आनंद) पिता आनंद कुमार पार्टी और मूवमेंट में पहले की तरह अपनी जिम्मेदारी निभाते रहेंगे. बीएसपी का नेतृत्व पार्टी और मूवमेंट के हित में और बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर के कारवां को आगे बढ़ाने में हर प्रकार का त्याग और कुर्बानी देने से पीछे नहीं हटने वाला है.

इस तरह मायावती ने एक बार सिद्ध कर दिया है कि पार्टी लाइन से हटकर किसी को बोलने की इजाजत नहीं मिलेगी. पार्टी के अंदर का मामला हो या प्रशासनिक सख्ती, साल 1995, 1997, 2002 और 2007 में मुख्यमंत्री रहते हुए मायावती ने ऐसे कई फैसले लिए हैं. उनके ताजा फैसले ने पार्टी के अन्य नेताओं को भी सीख दे दी है.

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