Donald Trump News / डोनाल्ड ट्रंप ने फिर भारत को दिया बड़ा धोखा? पाकिस्तान के साथ इस लिस्ट में डाला नाम

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को बड़ा झटका देते हुए उसे अवैध ड्रग प्रोडक्शन और तस्करी के आरोपी देशों की सूची में डाल दिया है। इस सूची में पाकिस्तान, चीन और अफगानिस्तान भी शामिल हैं। हालांकि रिपोर्ट में भारत द्वारा ड्रग तस्करी के खिलाफ उठाए गए कदमों की सराहना भी की गई है।

Donald Trump News: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर निशाने पर लिया है। 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के बाद अब उन्होंने भारत को अवैध ड्रग उत्पादन और तस्करी से जुड़े 23 देशों की एक विवादास्पद सूची में शामिल कर दिया है। इस लिस्ट में भारत का नाम पाकिस्तान, चीन और अफगानिस्तान जैसे देशों के साथ जोड़ा गया है, जिससे भारतीय विदेश मंत्रालय में हलचल मच गई है। अमेरिकी प्रशासन का दावा है कि ये देश नशीली दवाओं और उनके उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले पूर्ववर्ती रसायनों (precursor chemicals) का निर्माण या पारगमन कर रहे हैं, जो अमेरिकी नागरिकों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहे हैं।

ट्रंप ने सोमवार को जारी की गई 'प्रेसिडेंशियल डिटर्मिनेशन रिपोर्ट' में इन देशों को "मेजर इलिसिट ड्रग ट्रांजिट या मेजर इलिसिट ड्रग प्रोड्यूसिंग कंट्रीज" के रूप में चिह्नित किया है। व्हाइट हाउस के मीडिया नोट के अनुसार, इस रिपोर्ट का उद्देश्य उन देशों को चिन्हित करना है जो अमेरिका में पहुंचने वाले अवैध नशीले पदार्थों के प्रमुख स्रोत या पारगमन मार्ग हैं। रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि ये देशों से निकलने वाले ड्रग्स और केमिकल्स अमेरिका में फेंटेनिल जैसी सिंथेटिक ओपिऑयड्स की महामारी को बढ़ावा दे रहे हैं, जो 18 से 44 वर्ष की आयु के अमेरिकियों के लिए मौत का प्रमुख कारण बन चुके हैं।

भारत को 'ट्रांजिट कंट्री' बताया, लेकिन प्रयासों की तारीफ भी

रिपोर्ट में भारत का नाम मुख्य रूप से ड्रग ट्रांजिट देश के रूप में लिया गया है, यानी भारत के भौगोलिक, वाणिज्यिक और आर्थिक कारकों के कारण अवैध ड्रग्स यहां से गुजरते हैं। हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब भारत इस सूची में आया है; पिछले वर्षों में भी ऐसा हुआ था। दिलचस्प बात यह है कि रिपोर्ट में भारत सरकार के ड्रग तस्करी के खिलाफ सख्त कदमों की सराहना भी की गई है। प्रेसिडेंशियल डिटर्मिनेशन में उल्लेख है कि भारत ने नशीले पदार्थों की तस्करी रोकने के लिए कड़े उपाय किए हैं, जैसे सीमा निगरानी मजबूत करना और अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना। अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट ने स्पष्ट किया कि सूची में शामिल होना किसी देश की काउंटर-ड्रग नीतियों या अमेरिका के साथ सहयोग का सीधा आलोचना नहीं है, बल्कि यह संरचनात्मक वास्तविकताओं पर आधारित है।

भारतीय विशेषज्ञों का मानना है कि यह नामांकन भारत की लंबी तटर रेखा, पड़ोसी देशों के साथ खुली सीमाओं और वैश्विक व्यापार मार्गों के कारण हुआ है। पूर्व भारतीय राजदूत ने कहा, "भारत अमेरिका के साथ ड्रग कंट्रोल पर सहयोग कर रहा है, और यह सूची सहयोग को मजबूत करने का अवसर हो सकती है, न कि धोखा।"

चीन पर सबसे ज्यादा निशाना, अफगानिस्तान को 'फेलियर' घोषित

रिपोर्ट में चीन को सबसे कठोर आलोचना का शिकार बनाया गया है। ट्रंप ने चीन को "दुनिया का सबसे बड़ा स्रोत" बताया है जो फेंटेनिल उत्पादन के लिए पूर्ववर्ती केमिकल्स सप्लाई करता है। उन्होंने चीनी नेतृत्व से अपील की है कि वह इन केमिकल्स के अवैध उत्पादन करने वालों पर सख्त कार्रवाई करे और तस्करी के अपराधियों को सजा दे। इसके अलावा, चीन को नाइट्राजेन्स और मेथाम्फेटामाइन जैसी अन्य सिंथेटिक ड्रग्स के वैश्विक प्रसार के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।

अफगानिस्तान को तालिबान शासन के बावजूद अफीम और मेथाम्फेटामाइन के निरंतर उत्पादन के लिए सूची में रखा गया है। ट्रंप ने कहा कि तालिबान के ड्रग प्रतिबंध के बावजूद उत्पादन जारी है, जो अंतरराष्ट्रीय बाजारों को प्रभावित कर रहा है। पाकिस्तान को ड्रग कार्टेल्स और ट्रांजिट हब के रूप में चिह्नित किया गया है। कुल 23 देशों की सूची में अफगानिस्तान, बोलीविया, बर्मा (म्यांमार), कोलंबिया और वेनेजुएला को विशेष रूप से "डेमॉन्स्ट्रेबली फेल्ड" घोषित किया गया है, यानी इन देशों ने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का पालन करने में विफलता दिखाई है।

पूर्ण सूची इस प्रकार है: अफगानिस्तान, बहामास, बेलीज, बोलीविया, बर्मा, चीन, कोलंबिया, कोस्टा रिका, डोमिनिकन रिपब्लिक, इक्वाडोर, एल सल्वाडोर, ग्वाटेमाला, हैती, होंडुरास, भारत, जमैका, लाओस, मैक्सिको, निकारागुआ, पाकिस्तान, पनामा, पेरू और वेनेजुएला।

रिपोर्ट क्यों जारी की जाती है? अमेरिकी ड्रग युद्ध का हिस्सा

यह रिपोर्ट अमेरिकी कानून के तहत सालाना जारी की जाती है, जो विदेश संबंध प्राधिकरण अधिनियम (FRAA) की धारा 706(1) के अनुसार राष्ट्रपति को किसी देश को मेजर ड्रग कंट्री घोषित करने की शक्ति देता है। इसका उद्देश्य अमेरिकी सहायता और नीतियों को प्रभावित करना है, जैसे कुछ देशों पर प्रतिबंध लगाना या सहयोग बढ़ाना। व्हाइट हाउस ने यह रिपोर्ट ऐसे समय में जारी की जब ट्रंप ब्रिटेन के दौरे पर हैं, जो अमेरिकी ड्रग नीति को मजबूत करने का संकेत देता है।

ट्रंप ने ड्रग तस्करी को "राष्ट्रीय आपातकाल" करार दिया है, जो आतंकवाद को वित्तपोषित भी कर रही है। सोमवार को ही अमेरिकी सेना ने वेनेजुएला के ड्रग तस्करों की एक नाव पर हमला किया, जिसमें तीन लोग मारे गए। ट्रंप ने खुद मीडिया को बताया कि इन तस्करों को "नार्को-टेररिस्ट" कहा गया। इस घटना का एक वीडियो एक्स (पूर्व ट्विटर) पर वायरल हो गया है, जिसमें अमेरिकी सेना नाव को नष्ट करते हुए दिखाई दे रही है। यह घटना ट्रंप की कठोर ड्रग नीति का प्रतीक बनी हुई है।

भारतीय प्रतिक्रिया और भविष्य की संभावनाएं

भारतीय सरकार ने अभी तक आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन सूत्रों के अनुसार विदेश मंत्रालय इस मुद्दे पर अमेरिकी अधिकारियों से बातचीत करेगा। कुछ भारतीय सोशल मीडिया यूजर्स ने इसे "ट्रंप का मोदी को जन्मदिन का तोहफा" बताते हुए व्यंग्य किया है, क्योंकि ट्रंप ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जन्मदिन की बधाई दी थी। एक्स पर एक यूजर ने लिखा, "सुबह जन्मदिन की शुभकामनाएं, शाम तक ड्रग लिस्ट में शामिल। ट्रंप-मोदी ब्रोमांस?"

विशेषज्ञों का कहना है कि यह सूची भारत-अमेरिका संबंधों को प्रभावित नहीं करेगी, क्योंकि दोनों देश ड्रग कंट्रोल पर सहयोग बढ़ा रहे हैं। भारत ने हाल ही में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) के माध्यम से कई अंतरराष्ट्रीय अभियान चलाए हैं। भविष्य में, यह रिपोर्ट अमेरिका के साथ द्विपक्षीय समझौतों को मजबूत करने का माध्यम बन सकती है।

ट्रंप प्रशासन ने जोर दिया है कि वैश्विक ड्रग व्यापार को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग जरूरी है, और भारत जैसे देशों के प्रयासों को स्वीकार किया जाता है। लेकिन क्या यह 'धोखा' है या रणनीतिक दबाव? समय ही बताएगा।