Delhi Ordinance Bill / कैसे हार कर भी दिल्ली सेवा बिल पर संदेश देने में सफल रहा 'INDIA'

Zoom News : Aug 08, 2023, 01:20 PM
Delhi Ordinance Bill: लोकसभा चुनाव में बीजेपी को तीसरी बार सत्ता में आने से रोकने के लिए विपक्षी दलों ने मिलकर लड़ने का फैसला किया. विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ का पहला लिटमस टेस्ट ‘दिल्ली सेवा बिल’ पर हुआ. संसद में बिल को रोक पाने में ‘INDIA’ भले ही सफल न रहा हो, लेकिन दोनों ही सदनों में मोदी सरकार को घेरने से लेकर वोटिंग करने तक एकजुट रहे. इस तरह विपक्षी गठबंधन ने संसद में दिल्ली सेवा बिल पर अपना ट्रेलर दिखा दिया है और अब INDIA की एकजुटता की अग्निपरीक्षा अविश्वास प्रस्ताव पर होगी. देखना है कि विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ ऐसे ही एकजुट रहेगा या फिर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की भविष्यवाणी के मुताबिक केजरीवाल खुद को गठबंधन से अलग कर लेंगे?

संसद में ‘INDIA’ की एकजुटता

लोकसभा के बाद ‘दिल्ली सेवा बिल’ राज्यसभा के भी सोमवार को पास हो गया है. सात घंटे से ज्यादा समय तक चली चर्चा के बाद वोटिंग से मुकाबला हुआ. राज्यसभा में विधेयक के समर्थन में 131 सदस्यों के वोट पड़े, जबकि विरोध में 102 सदस्यों ने वोट दिया. विपक्षी गठबंधन ने बिल का कड़ा विरोध किया, लेकिन वह इसे पारित होने से नहीं रोक सका. वाईएसआर कांग्रेस और बीजेडी के समर्थन से मोदी सरकार ने बिल को आसानी से पास करा लिया है.

विपक्षी गठबंधन INDIA भले ही बिल को रोक पाने में सफल न हो सका हो, लेकिन संसद के पटल पर अपनी पहली परीक्षा में एकजुट रहा. इतना ही नहीं INDIA से दूरी बनाकर चलने वाली केसीआर की पार्टी बीआरएस के सदस्यों ने भी बिल के विरोध में वोटिंग किया. इस तरह INDIA के सभी दलों ने अपनी एकता को बनाए रखा.

INDIA गठबंधन एकजुट रहने और संसद में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में कामयाब रहा. खासकर लोकसभा में दिखाई दी जहां आम आदमी पार्टी के पास महज एक सांसद है. इसके बावजूद कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके, एनसीपी, शिवसेना (उद्धव गुट), सपा, जेडीयू और गठबंधन के अन्य दूसरे दल भी साथ खड़े रहे. विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ की तरफ से कोई भी क्रास वोटिंग नहीं हुई है. INDIA गठबंधन के नजरिए से यह विश्वास बनाने का मौका था, जिसे मजबूती के साथ निभाया गया.

कांग्रेस से आरजेडी तक… AAP के साथ

दिल्ली सेवा बिल पर विपक्षी गठबंधन INDIA में शामिल तमाम दलों ने केजरीवाल का समर्थन करते हुए बीजेपी पर जमकर हमला किया. एनडीए और ‘INDIA’ के बीच जमकर नोक झोंक हुई. कांग्रेस की तरफ से मल्लिकार्जुन खरगे से लेकर अभिषेक मनु सिंघवी तक ने केजरीवाल का समर्थन करते हुए मोदी सरकार को घेरा. सिंघवी ने विधेयक को पूरी तरह असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि बीजेपी येन केन प्रकारेण से दिल्ली पर अपना नियंत्रण करना चाहती है.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी मोदी सरकार पर सवाल खड़े तो आरजेडी सांसद मनोज झा से लेकर शिवसेना (उद्धव गु) के सांसद संजय राउत ने भी बीजेपी पर निशाना साधा. मोदी सरकार की अलोचना करते हुए विपक्षी नेताओं ने केजरीवाल के साथ खड़े नजर आए. यही वजह थी कि बिल पास न होने के बावजूद आम आदमी पार्टी के नेताओं ने विपक्षी नेताओं का साथ देने के लिए धन्यवाद दिया. ऐसे में साफ है कि INDIA अपने सियासी मकसद में सफर रहा.

बीजेपी के मंसूबों पर फिरेगा पानी!

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली सेवा बिल पर लोकसभा में चर्चा के दौरान जवाब देते हुए कांग्रेस की चुटकी लेते हुए कहा था कि बिल पारित हो जाने के बाद आम आदमी पार्टी विपक्षी एकता के साथ बनी रहने वाली नहीं है. शाह ने इस तरह से आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का साथ बने रहने पर सवाल खड़े कर दिए थे. संसद से बिल अब पास हो गया है तो क्या आम आदमी पार्टी खुद को विपक्षी गठबंधन ‘INIDA’ से खुद को अलग कर लेगी.

बीजेपी नेता भी इसी तरह की भविष्यवाणी कर रहे थे, लेकिन जिस तरह से आम आदमी पार्टी के नेताओं ने विपक्षी नेताओं की शुक्रिया अदा किया है, उससे तो यह साफ है कि केजरीवाल फिलहाल खुद को विपक्षी से अलग नहीं करने वाले हैं. इतना ही नहीं आम आदमी पार्टी ने गुजरात में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का ऐलान भी कर दिया है.

मुंबई में होने वाली INDIA की बैठक में सहयोगी दलों के साथ सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत होगी. इस तरह से विपक्षी गठबंधन खुद को एक दूसरे से जोड़े रखने में जुटे हैं. दिल्ली सेवा बिल पर केजरीवाल के साथ INDIA में शामिल दल साथ रहे है तो राहुल गांधी की सदस्यता बहाल होने का भी सभी ने खुलकर स्वागत किया और बीजेपी पर निशाना साधा. इस तरह से विपक्षी गठबंधन आपसी एकता दिखाने का कोई भी मौका गांव नहीं रहे हैं.

अविश्वास प्रस्ताव पर INDIA एकजुट रहेगा?

मणिपुर हिंसा मामले पर विपक्षी दलों ने मोदी सरकार के खिलाफ संसद में अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए हैं, जिस पर मंगलवार को चर्चा होगी और उसके बाद वोटिंग से फैसला होगा. लोकसभा के नंबर गेम में विपक्ष पीछे है जबकि मोदी सरकार के पक्ष में है. हालांकि, विपक्ष को इस बहाने अपनी एकजुटता का लिटमस कर लेना है. दिल्ली सेवा बिल पर जिस तरह से INDIA के सभी दल मोदी सरकार के खिलाफ एकजुट रहेंगे, उसी तरह क्या मणिपुर मामले पर अविश्वास प्रस्ताव के मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरने से लेकर वोटिंग तक करने में एकजुट रहेगा. विपक्षी गठबंधन संसद में एकजुट रहा तो फिर 2024 में भी एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने की तस्वीर साफ हो जाएगी.

2024 में NDA बनाम INDIA का मुकाबला

अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए 26 विपक्षी दलों ने मिलकर बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ने का फैसला किया है. विपक्षी दलों ने गठबंधन का नाम INDIA रखा है. विपक्षी गठबंधन में कांग्रेस से लेकर ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, नीतीश कुमार, अरविंद केजरीवाल, उद्धव ठाकरे जैसे विपक्षी दल शामिल हैं. इन सभी विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने का काम नीतीश कुमार ने किया है तो कांग्रेस उन्हें एक साथ जोड़े रखने की मुहिम में जुटी है.

बेंगलुरु की बैठक में मल्लिकार्जुन खरगे ने साफ कर दिया है कि प्रधानमंत्री पद की लालसा कांग्रेस को नहीं है. कांग्रेस पीएम पद की दावेदारी नहीं करेगी. अब विपक्षी दलों की बैठक मुंबई में होगी, जहां सीट शेयरिंग को लेकर बात होनी है. इस तरह विपक्षी दल अपने आपको जोड़े रखने पर पूरा फोकस कर रहे हैं. देखना है कि कितने दिनों विपक्षी एकता का तानाबाना बना रहता है?

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