Delhi Ordinance Bill / रंजन गोगोई ने राज्यसभा में पहली स्पीच में ही ऐसा क्या बोल दिया, जिसपर जमकर हुआ विवाद

Zoom News : Aug 08, 2023, 07:56 AM
Delhi Ordinance Bill: एक लंबी बहस के बाद राज्यसभा से दिल्ली सेवा बिल पास हो गया है और INDIA गठबंधन सदन में हुई अपनी पहली परीक्षा में पास नहीं हो पाया. राज्यसभा में जब वोटिंग हुई तो बिल के पक्ष में 131 और विपक्ष में 102 वोट पड़े. उच्च सदन में हुई चर्चा के दौरान कई सांसदों ने अपनी बात कही, इसमें पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई भी थे जिन्होंने बिल के पक्ष में अपनी बात कही और इस पर जमकर बवाल हो रहा है. अपने भाषण के दौरान रंजन गोगोई ने संविधान को लेकर, बिल को लेकर क्या कहा और किस मसले पर विवाद हो रहा है, जानिए…

दिल्ली बिल पर क्या बोले रंजन गोगोई?

रंजन गोगोई ने बिल का समर्थन किया और कहा कि विपक्ष जो इसकी संवैधानिकता पर सवाल खड़े कर रहा है वो पूरी तरह से निराधार है और यह बिल बिल्कुल सही है. बतौर राज्यसभा सदस्य रंजन गोगोई का सदन में यह पहला भाषण रहा, उन्होंने कहा कि मेरे लिए यह बिल पूरी तरह से सही है, ये मामला विचाराधीन नहीं है क्योंकि जो मामला अदालत में पेंडिंग है वो अध्यादेश की वैधता का है, जिसका सदन की चर्चा से कोई लेना-देना नहीं है.

पूर्व जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि संसद के पास दिल्ली समेत अन्य सभी केंद्र शासित प्रदेशों के लिए कानून बनाने का अधिकार है, इसलिए ऐसा कहना कि ये बिल लाकर केंद्र सरकार अतिक्रमण कर रही है ये बिल्कुल गलत है. सांसद रंजन गोगोई के भाषण के जिस हिस्से पर बवाल हुआ है, वह संविधान की मूल संरचना को लेकर किया गया प्रश्न है, जिसके बाद कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने भी रंजन गोगोई पर सवाल उठाए हैं.

संविधान को लेकर क्या टिप्पणी की?

रंजन गोगोई ने पूछा कि क्या यह बिल संविधान की मूल संरचना की अवहेलना करता है, एक किताब है जो टीआर अध्यारुजिना ने लिखी थी जिसमें केशवानंद भारती केस की बात है. किताब पढ़ने के बाद मैं ये कह सकता हूं कि संविधान की मूल संरचना भी बहस के योग्य है, जिसपर अपने विचार व्यक्त किए जा सकते हैं. संविधान का मूल स्ट्रक्चर कोर्ट को यह शक्ति देता है कि वह संसद द्वारा किए जा रहे संवैधानिक संशोधन की समीक्षा कर सकता है.

कांग्रेस ने खड़े किए सवाल

पूर्व जस्टिस के इसी भाषण पर विवाद हुआ है, कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल ने उनपर सवाल खड़े किए हैं. केसी वेणुगोपाल ने ट्वीट करते हुए लिखा कि ये हैरान करने वाला है कि पूर्व चीफ जस्टिस ही संविधान की मूल संरचना के न्यायशास्त्र पर सवाल खड़े कर रहे हैं. क्या ये बीजेपी की ट्रिक है जो पूरी तरह से संविधान को बदलने की ओर है. क्या इसका मतलब ये है कि लोकतंत्र, समानता, सेक्युलिरिज्म समेत अन्य मुख्य बिंदु भी बहस के योग्य है. कांग्रेस नेता ने सवाल किया कि रंजन गोगोई का तर्क क्या है? क्या वह कह रहे हैं कि मूल ढांचे नाम की कोई चीज नहीं है जिसे संरक्षित किया जाना चाहिए?

इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी खबर में दावा किया है कि बतौर सांसद रंजन गोगोई ने संविधान को लेकर जो बात कही है और संरचना के न्यायशास्त्र को बहस योग्य बताया है, बतौर जज उन्होंने उसी मूल संरचना पर स्थिर रहते हुए अपने कई फैसले दिए हैं. इसमें कानून पुनर्गठन न्यायाधिकरण, चीफ जस्टिस दफ्तर से जुड़ी याचिका और 2019 में दिए गए अयोध्या के फैसले का जिक्र किया है.

अगर दिल्ली से जुड़े बिल की बात करें तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पहले लोकसभा और फिर राज्यसभा में बिल पेश किया था. लोकसभा में यह बिल पास हो चुका था और उसके बाद अब राज्यसभा में भी पास हो गया है. दिल्ली सरकार इस बिल का लगातार विरोध कर रही थी और अरविंद केजरीवाल ने बिल पास होने के बाद भी केंद्र पर हमला बोला है और इसे गैरसंवैधानिक करार दिया है.

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