- भारत,
- 13-Aug-2025 08:40 PM IST
US Golden Dome: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में एक महत्वाकांक्षी घोषणा की थी कि अमेरिका इजराइल के आयरन डोम की तर्ज पर अपना खुद का मिसाइल डिफेंस सिस्टम विकसित करेगा, जिसे गोल्डन डोम नाम दिया गया। इस सिस्टम का डिज़ाइन चुन लिया गया है, और अब इसके ढांचे और विशेषताओं की जानकारी सामने आई है। यह सिस्टम न केवल इजराइल के आयरन डोम से प्रेरित है, बल्कि अमेरिका की विशाल भौगोलिक और सामरिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए इसे और अधिक उन्नत और व्यापक बनाया जा रहा है।
गोल्डन डोम की संरचना
रॉयटर्स की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, गोल्डन डोम मिसाइल डिफेंस सिस्टम चार परतों (लेयर्स) में काम करेगा:
अंतरिक्ष-आधारित परत: यह सिस्टम का सबसे ऊपरी हिस्सा होगा, जिसमें सैटेलाइट-आधारित सेंसर और ट्रैकिंग सिस्टम शामिल होंगे। ये सेंसर दुश्मन की मिसाइलों को उनके प्रारंभिक चरण (बूस्ट फेज़) में ही पहचान लेंगे।
ज़मीनी परतें: तीन ज़मीनी परतों में रडार, इंटरसेप्टर मिसाइलें और संभावित रूप से लेजर हथियार शामिल होंगे। ये परतें अलग-अलग रेंज की मिसाइलों को निशाना बनाने में सक्षम होंगी।
मिसाइल बैटरियां: सिस्टम में 11 छोटी रेंज की मिसाइल बैटरियां तैनात की जाएंगी, जो अमेरिका के विभिन्न हिस्सों, जैसे अलास्का और हवाई में स्थापित होंगी।
बूस्ट फेज़ इंटरसेप्शन: गोल्डन डोम का एक प्रमुख लक्ष्य है मिसाइलों को उनके बूस्ट फेज़ में ही नष्ट करना, जब वे धीमी गति से और तयशुदा रास्ते पर होती हैं। इसके लिए अंतरिक्ष में तैनात इंटरसेप्टर मिसाइलों का उपयोग किया जाएगा।
परियोजना की समयसीमा और लागत
गोल्डन डोम परियोजना की अनुमानित लागत 175 अरब डॉलर है, जो इसे दुनिया की सबसे महंगी रक्षा परियोजनाओं में से एक बनाती है। हालांकि, अभी भी कई विवरण, जैसे लॉन्चर, इंटरसेप्टर, ग्राउंड स्टेशन और मिसाइल साइट्स की संख्या, तय नहीं किए गए हैं।
वित्तीय प्रावधान: जुलाई में अमेरिकी कांग्रेस ने ट्रंप के बिल के तहत इस परियोजना के लिए 25 अरब डॉलर आवंटित किए हैं। इसके अलावा, 2026 के बजट में 45.3 अरब डॉलर का अतिरिक्त प्रावधान किया गया है।
समयसीमा: राष्ट्रपति ट्रंप ने इस सिस्टम को 2028 तक पूरा करने की महत्वाकांक्षी समयसीमा तय की है। पिछले हफ्ते अलबामा में 3,000 डिफेंस कॉन्ट्रैक्टर्स को दिखाई गई एक प्रेज़ेंटेशन, जिसका नाम "गो फास्ट, थिंक बिग!" था, में इस जटिल सिस्टम के निर्माण की योजना को विस्तार से बताया गया।
गोल्डन डोम बनाम आयरन डोम
इजराइल का आयरन डोम दुनिया का सबसे प्रभावी मिसाइल डिफेंस सिस्टम माना जाता है, जो 4 से 70 किलोमीटर की रेंज में शॉर्ट-रेंज रॉकेट्स और मोर्टार को हवा में ही नष्ट कर देता है। इसका सफलता दर 90% से अधिक है, और प्रत्येक इंटरसेप्टर मिसाइल की लागत 40,000 से 50,000 डॉलर के बीच है।
हालांकि, गोल्डन डोम आयरन डोम से कई मायनों में अलग और उन्नत होगा:
आकार और दायरा: अमेरिका का भौगोलिक क्षेत्र और सामरिक खतरे इजराइल से कहीं अधिक व्यापक हैं। इसलिए, गोल्डन डोम को विभिन्न प्रकार की मिसाइलों, जैसे हाइपरसोनिक मिसाइलों, को रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
अंतरिक्ष-आधारित तकनीक: आयरन डोम मुख्य रूप से ज़मीनी सिस्टम पर निर्भर है, जबकि गोल्डन डोम में अंतरिक्ष-आधारित सेंसर और इंटरसेप्टर शामिल होंगे।
लेजर हथियार: गोल्डन डोम में लेजर हथियारों की संभावना भी है, जो इसे और अधिक उन्नत बनाएगी।
वैश्विक प्रभाव
गोल्डन डोम परियोजना न केवल अमेरिका की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाएगी, बल्कि वैश्विक सामरिक संतुलन को भी प्रभावित कर सकती है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह सिस्टम वैश्विक परमाणु निवारण (न्यूक्लियर डिटरेंस) को बदल सकता है। हालांकि, इसकी विशाल लागत और जटिलता को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं। अमेरिकी सीनेटर मार्क केली ने इस परियोजना की व्यवहार्यता पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसे लागू करने से पहले इसकी कार्यक्षमता को सुनिश्चित करना होगा।
