Sun Mission / चांद-सूरज मिशन से ISRO ने रचा इतिहास- 11 दिन में लैंडिंग भी-लॉन्चिंग भी

Zoom News : Sep 02, 2023, 01:32 PM
Sun Mission: हिन्दुस्तान की शान ISRO लगातार ऐसे कीर्तिमान हासिल कर रहा है, जिनके बारे में सोचकर ही हर हिन्दुस्तानी गर्व करने लगता है. 23 अगस्त की शाम को जब भारत के चंद्रयान-3 ने चांद के दक्षिणी हिस्से में सफल लैंडिंग की थी, तब हर कोई भावुक था क्योंकि ऐसा करने वाला भारत दुनिया का पहला देश था. अब ठीक 11 दिन बाद चांद से हटकर फोकस सूर्य पर आया है, फिर इसरो ने कीर्तिमान हासिल किया है और जो दुनिया नहीं कर सकी वैसा कारनामा करके लोगों को फक्र करने का मौका दिया है. कैसे ISRO लगातार छक्के जड़ रहा है, जानिए…

11 दिन में इसरो के दो बड़े मिशन

23 अगस्त 2023: इसरो ने चांद पर चंद्रयान-3 के सफल लैंडिंग का ऐलान किया. चांद के साउथ पोल में जहां कोई देश नहीं पहुंच पाया था, वहां भारत पहली बार पहुंचा. विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने 23 अगस्त से ही अपना काम शुरू कर दिया और पिछले 10 दिनों में कई ऐसी खोज की हैं, जो दुनिया के लिए एक अचंभा है. पूरी दुनिया इसरो की इस सफलता के आगे नतमस्तक हो गई थी, नासा से लेकर दुनिया की अन्य बड़ी एजेंसियों ने ISRO को सलाम ठोका था. भारत चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा, दक्षिणी पोल पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बना था.

चांद पर विक्रम लैंडर

2 सितंबर 2023: चंद्रयान-3 की लैंडिंग के ठीक 11 दिन बाद आदित्य एल-1 की लॉन्चिंग हुई. इस मिशन का मकसद सूरज और पृथ्वी के बीच मौजूद एल-1 पॉइंट पर स्थापित होना और फिर वहां से सूरज का अध्ययन करना है. अभी तक दुनिया के 3-4 देश ही यहां पहुंच पाए हैं और भारत भी अब इस एलिट ग्रुप में शामिल होगा. भारत ने पहली बार सूरज का अध्ययन करने के लिए अपना कोई पूर्ण मिशन शुरू किया है. करीब चार महीने के सफर के बाद इसरो का आदित्य एल-1 अपनी मंजिल पर पहुंच जाएगा.

ISRO जैसा कोई नहीं…

इसरो एक ऐसा संस्थान है, जिस पर पूरी दुनिया निगाहें रखती हैं. मंगलयान, चंद्रयान और अब सूर्ययान की सफलताओं ने इसके कद को और भी बढ़ा कर दिया है. दुनिया की कई बड़ी एजेंसियां अपने बड़े मिशनों में अंतर रखती हैं, क्योंकि तैयारी के लिए वक्त चाहिए और बाकी भी चीज़ें देखनी होती हैं. लेकिन इसरो ने सीमित संशाधनों के बाद कई ऐसे कीर्तिमान स्थापित किए हैं, जिसने इतिहास रचा है. 11 दिनों के भीतर ही एक लैंडिंग और एक लॉन्चिंग इसका पुख्ता सबूत भी देता है.

ऐसे सूरज की ओर बढ़ा आदित्य एल-1

इन सफलताओं की वजह से ही आज दुनिया की कई बड़ी एजेंसियां और देश इसरो की मदद लेते हैं. भारत ने कई बार दूसरे देशों के सैटेलाइट अपनी तरफ से लॉन्च किए हैं, क्योंकि अन्य देशों के पास इतना अनुभव नहीं है इसलिए इसरो की मदद ली जाती है. इसके अलावा कई देश अपने अहम मिशन में भी ISRO को साझेदार बनाते हैं, जिसका ताजा उदाहरण चंद्रयान-4 होने वाला है चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद जापान भारत के साथ मिलकर चंद्रयान-4 पर काम करने वाला है.

इसरो के आदित्य एल-1 मिशन से जुड़ी जानकारी:

  • सूरज का अध्ययन करने के लिए इसरो ने आदित्य एल-1 मिशन लॉन्च किया है. 2 सितंबर को इसने उड़ान भरी और करीब 4 महीने के भीतर ये एल-1 पॉइंट पर पहुंचेगा.
  • सूरज और पृथ्वी के बीच एल-1 एक ऐसा पॉइंट है, जहां से सूरज पर लगातार नज़र रखी जा सकती है और उसकी आग से भी बचा जा सकता है. ये पृथ्वी से करीब 15 लाख किमी. दूर है.
  • 400 करोड़ रुपये के बजट वाले इस प्रोजेक्ट से सूरज की कोरोना लेयर, वहां के वायुमंडल, एल-1, सूरज की किरणों, वहां के भूत और भविष्य से जुड़ी जानकारियों का अध्ययन करने का मौका मिलेगा.

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