Tiddi attack / हर किलोमीटर पर 2000 आदमी का खाना खा लेता टिड्डी दल, एक दिन में कर सकती हैं 150 किमी की यात्रा

Live Hindustan : May 30, 2020, 09:40 AM
Tiddi attack: पाकिस्तान होते हुए भारत में प्रवेश करने वाले प्रवासी कीट यानी टिड्डी दल का खतरा बिहार के कई जिलों पर भी मंडराने लगा है। यह फसलों के लिए कितना नुकसानदायक है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एक वर्ग किलोमीटर में टिड्डी दल पहुंच जाय, तो प्रतिदिन हजार से दो हजार आदमी का खाना खा लेता है। जिस क्षेत्र में टिड्डी दल पहुंचता है, वहां प्रजनन भी करता है। हालांकि, प्रजनन के लिए रेगिस्तानी भूमि ज्यादा उपयुक्त मानी जाती है। 

जानकारों का कहना है कि यह दुनिया के सबसे विनाशकारी प्रवासी कीटों में से एक है। अनुकूल परिस्थितियों में एक दल में करीब 8 करोड़ टिड्डियां होती हैं, जो हवा के रुख के साथ प्रतिदिन 150 किमी तक की यात्रा कर सकती हैं। टिड्डी दल अपने रास्ते में आने वाले सभी प्रकार की फसलों एवं गैर-फसलों को चट कर जाता है। फसलों को नुकसान सिर्फ वयस्क टिड्डी ही नहीं, बल्कि शिशु टिड्डी भी पहुंचाती है। इस दल का आक्रमण भारत पर पहले भी हो चुका है।

बिहार कृषि विश्वविद्यालय भागलपुर (बीएयू) में कीट विज्ञान विभाग के अध्यक्ष एसएन राय बताते हैं कि एक टिड्डी एक दिन में 2 ग्राम भोजन करती है लेकिन इसकी संख्या इतनी होती है कि कई लोगों के बराबर खाना खत्म हो सकता है। उनका यह भी कहना है कि यह रेगिस्तानी कीट है, इसलिए बिहार में ज्यादा प्रभाव होने की संभावना कम है।  

टिड्डी का जीवन चक्र :

सहायक निदेशक पौधा संरक्षण रविन्द्र कुमार के अनुसार एक टिड्डी का जीवन चक्र चार माह का होता है। इस दौरान वयस्क होने पर हर मादा 80 से 120 अंडे देती है। अंडे से शिशु टिड्डी बनने में 12 से 14 दिन लगते हैं। लेकिन जब से शिशु टिड्डी जमीन पर आती है, तब से ही फसलों को नुकसान पहुंचाने लगती है। डेढ़ महीने में टिड्डी वयस्क हो जाती है और दो महीने से प्रजनन शुरू हो जाता है।

27 साल बाद टिड्डियों का सबसे बड़ा हमला

भारत में यूं तो टिड्डियों का हमला होता रहा है, लेकिन 27 साल बाद यह टिड्डियों का सबसे बड़ा हमला है। इससे पहले 1993 में टिड्डियों ने कई राज्यों में हमला किया था,जिससे करोड़ों रुपये की फसल बर्बाद हो गई थी। आईए जानते है टिड्डियों ने कब-कब हमला किया।

वर्ष 1812 से भारत टिड्डियों के हमले झेलते आ रहा है

  • वर्ष 1926 से 1931 के दौरान 10 करोड़ रुपये की फसल बर्बाद हुई थी
  • 1940 से 1946 और 1949 से 1955 के बीच भी हुआ टिड्डियों का हमला
  • 1959 से 1962 के बीच टिड्डी दल ने 50 लाख रुपये की फसल तबाह की
  • 1962 के बाद टिड्डियों का कोई ऐसा हमला नहीं हुआ
  • 1993 में टिड्डियों के दल ने बड़ा हमला किया। कई राज्यों को अपनी जद में लिया
  • वर्ष 1998, 2002, 2005, 2007 और 2010 में भी टिड्डियों का हमला पर इसका ज्यादा असर नहीं 

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