देश / संयुक्त राष्ट्र महासभा PM Modi ने कहा- भारत से UN का भेदभाव कब खत्म होगा

Zoom News : Sep 26, 2020, 10:08 PM
नई दिल्ली | कोरोना संकट के कारण संयुक्त राष्ट्र महासभा वर्चुअल तरीके से आयोजित की गई। इस दौरान पीएम मोदी ने संयुक्त राष्ट्र में स्थायी सीट का मुद्दा भी उठाया। पीएम मोदी ने कहा कि कब तक भारत को संयुक्त राष्ट्र के डिसिजन मेकिंग स्ट्रक्चर से अलग रखा जाएगा।

बदलते वक्त के मुताबिक यूएन में बदलाव कब: भारत लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य के तौर पर मान्यता चाहता है। विश्व के अधिकांश देश भारत के साथ हैं। लेकिन हर बार चीन वीटो लगाकर अड़ंगा डाल देता है। भारत ने पूछा कि बदलते वक्त के हिसाब से आखिर संयुक्त राष्ट्र में बदलाव कब किया जाएगा। पीएम मोदी ने अपने भाषण में न तो चीन, न ही पाकिस्तान का नाम लिया।

- पीएम मोदी ने कहा कि भारत ने हमेशा पूरी मानव जाति के हित के बारे में सोचा है। न कि अपने निहित स्वार्थों के बारे में, भारत की नीतियां हमेशा से इसी दर्शन से प्रेरित रही हैं। महामारी के इस मुश्किल समय में भी भारत की फार्मा इंडस्ट्री ने 150 से अधिक देशों को जरूरी दवाइयां भेजीं हैं।

- पीएम मोदी ने कहा, 'भारत जब किसी से दोस्ती का हाथ बढ़ाता है, तो वो किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं होती। भारत जब विकास की साझेदारी मजबूत करता है, तो उसके पीछे किसी साथी देश को मजबूर करने की सोच नहीं होती। हम अपनी विकास यात्रा से मिले अनुभव साझा करने में कभी पीछे नहीं रहते।'

- पीएम मोदी ने कहा कि भारत के लोग UN के रिफॉर्म्स को लेकर जो प्रोसेस चल रहा है, उसके पूरा होने का बहुत लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं। भारत के लोग चिंतित हैं कि क्या ये प्रक्रिया कभी लॉजिकल एंड तक पहुंच पाएगा। कब तक भारत को संयुक्त राष्ट्र के डिसिजन मेकिंग स्ट्रक्चर से अलग रखा जाएगा।

- संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रियाओं में बदलाव, व्यवस्थाओं में बदलाव, स्वरूप में बदलाव, आज समय की मांग है: पीएम मोदी

- पीएम मोदी ने कहा कि पिछले 8-9 महीने से पूरा विश्व कोरोना वैश्विक महामारी से संघर्ष कर रहा है। इस वैश्विक महामारी से निपटने के प्रयासों में संयुक्त राष्ट्र कहां है? एक प्रभावशाली रिस्पॉन्स कहां है?

- पीएम मोदी बोले 'ये बात सही है कि कहने को तो तीसरा विश्व युद्ध नहीं हुआ, लेकिन इस बात को नकार नहीं सकते कि अनेकों युद्ध हुए, अनेकों गृहयुद्ध भी हुए। कितने ही आतंकी हमलों ने खून की नदियां बहती रहीं। इन युद्धों और हमलों में, जो मारे गए वो हमारी-आपकी तरह इंसान ही थे। लाखों मासूम बच्चे  जिन्हें दुनिया पर छा जाना था, वो दुनिया छोड़ कर चले गए। उस समय और आज भी, संयुक्त राष्ट्र के प्रयास क्या पर्याप्त थे?'

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