AajTak : Aug 31, 2020, 12:59 PM
रूस के आर्कटिक क्षेत्र में जोरदार धमाके के बाद कुछ गहरे गड्ढे बन गए है। इन्हें देखकर लोग हैरान हैं और वैज्ञानिक परेशान। क्योंकि ये कोई सामान्य गड्ढे नहीं है। ऐसा लगता है कि ये गड्ढे आपको सीधे पाताल ले जाएंगे। क्योकि ये 165 फीट गहरे हैं। इनका व्यास भी कई फीट ज्यादा है। विस्फोट से बने इन गड्ढों को लेकर कई तरह की कहानियां चल रही है। कोई कह रहा है कि रूस ने मिसाइल परीक्षण किया है, कोई कह रहा है कि एलियंस के स्पेस शिप यहां से निकले होंगे या उन्होंने हमला किया होगा।पिछले छह साल में साइबेरिया, रूस के आर्कटिक क्षेत्रों में ऐसे 17 गड्ढे देखे गए हैं। जबकि, ये इलाका पर्माफ्रॉस्ट कहलाता है। यानी ऐसी धरती जहां कि मिट्टी लगातार कम-से-कम दो वर्षों तक शून्य डिग्री सेल्सियस से कम तापमान पर रही हो। पर्माफ्रॉस्ट में खुदाई करना पत्थर तोड़ने की तरह होता है। इसके लिए अक्सर भारी औज़ारों की ज़रुरत होती है। लेकिन यहां एक विस्फोट से इतने बड़े गडढे बन गए, मिट्टी और उनपर जमी बर्फ कई फीट ऊपर तक उड़ गईं। इन नए गड्ढों को यमल प्रायद्वीप में काम करने वाले टीवी चैनल वेस्ती यमल टीवी के मीडियाकर्मियों ने एक हवाई यात्रा के दौरान देखा। बाद में उस जगह पहुंचे और लोगों से पूछताछ की तो पता चला कि एक धमाकेदार आवाज के साथ ये गड्ढे बने थे। इसके बाद यहां पर वैज्ञानिकों की टीम पहुंची उन्होंने इन गड्ढ़ों की जांच की। 165 फीट गहरा गड्ढा अब तक का सबसे बड़ा और गहरा गड्ढा है। स्कोलकोवो इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के शोधकर्ता डॉ। एवजेनी शुविलिन ने कहा कि यह गड्ढा बेहद बड़ा है। ऐसा लग रहा है कि प्रकृति की ताकतें आपस में टकरा रही हैं। डॉ। शुविलिन ने बताया कि इन गड्ढों को हाइड्रोलैकोलिथ्स या बल्गन्नीयाख्स (hydrolaccoliths or bulgunnyakhs) कहते हैं। यह गड्ढा 17वां हैं। इससे पहले सारे 16 गड्ढे इससे बेहद छोटे थे। मॉस्को स्थित रसियन ऑयल एंड गैस रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर वैसिली बोगोयावलेंस्की ने कहा कि यह बेहद अद्भुत नजारा है। इसमें कई वैज्ञानिक जानकारियां छिपी हैं, जिसे अभी हम नहीं बता सकते। लेकिन ये विषय पूरी दुनिया को पता चलने लायक है। हम इसका थ्री-डी इमेज बनाकर इसका अध्ययन करेंगे। फिलहाल सभी वैज्ञानिक ये मान रहे हैं कि इस पर्माफ्रॉस्ट जगह पर जमीन के भीतर गैस से भरा गड्ढा रहा होगा। गैस की मात्रा बढ़ने के बाद प्रेशर ज्यादा हो गया होगा। जिसकी वजह से विस्फोट हुआ और यह गड्ढा बन गया। प्रोफेसर वैसिली ने कहा यमल रिजर्व से लगातार हो रहे गैस खनन की वजह से भी ऐसा हादसा संभव है। लेकिन इससे मानव निर्मित गैस पाइपलाइन को ज्यादा खतरा है। अगर किसी विस्फोट से उनमें कोई नुकसान होता है तो बेहद बड़ा होगा। स्थानीय लोग बताते हैं कि इन गड्ढों की वजह से अब तक कोई हादसा नहीं हुआ है। लेकिन ये गड्ढे किसी न किसी दिन कोई बड़ा हादसा कर सकते हैं। क्योंकि वैज्ञानिकों का मानना है कि पर्माफ्रॉस्ट की स्थिति में जमीन के अंदर थोड़ा नीचे ही गैस से भरे गड्ढे बन जाते हैं, जिनकी वजह से ऐसे विस्फोट होते हैँ।