नई दिल्ली / सुषमा स्वराज की बेटी ने पूरी की मां की इच्छा, वकील हरीश साल्वे को दिया 1 रुपया फीस

AMAR UJALA : Sep 28, 2019, 01:46 PM
नई दिल्ली. पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अपने निधन से कुछ समय पहले वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे से बातचीत की थी। जिसमें उन्होंने साल्वे को उनसे मिलकर अपनी केस फीस एक रुपया ले जाने के लिए कहा था। उन्होंने हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में पाकिस्तान की जेल में बंद पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारी कुलभूषण जाधव मामले की सुनवाई के दौरान भारत का प्रतिनिधित्व करने की एवज में फीस के तौर पर केवल एक रुपया लेना स्वीकार किया था। मगर इससे पहले की साल्वे सुषमा से मिलकर अपनी फीस लेते केंद्रीय मंत्री का निधन हो गया। हालांकि अब वरिष्ठ वकील को उनकी बकाया फीस मिल गई है।

हरीश साल्वे शुक्रवार को सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज से मिले। जिन्होंने उनकी बकाया राशि एक रुपया चुकी दी। वहीं स्वराज के पति कौशल स्वराज ने ट्वीट में कहा कि बांसुरी ने आज तुम्हारी अंतिम इच्छा पूरी कर दी है। कुलभूषण जाधव के केस की फीस का एक रुपया जो आप छोड़ गई थीं उसने आज हरीश साल्वे जी को भेंट कर दिया है। 

सुषमा स्वराज का आखिरी वादा

सुषमा स्वराज ने अपने निधन से महज एक घंटे पहले वकील हरीश साल्वे को आकर बतौर फीस एक रुपये ले जाने को कहा था। साल्वे ने बताया था कि जब उनका (सुषमा) फोन आया तो उस वक्त हम दोनों काफी भावुक हो गए थे। उन्होंने मुझे उनके पास आने को कहा। उन्होंने कहा कि मुझे आपको केस में जीत हासिल करने के लिए आपकी फीस देनी है। मैंने भी उनसे कहा कि जरूर, मैं आकर अपना अनमोल फीस लूंगा। 

क्या है मामला

पाकिस्तान ने मार्च 2016 को जासूसी के आरोप में भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद से वह भारतीय अधिकारियों को उनसे मिलने नहीं दे रहा था। इसके बाद पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने जाधव को मौत की सजा सुनाई। जिसका भारत ने विरोध किया और मामले को आईसीजे में उठाया। जहां भारत की जीत हुई और जाधव की फांसी की सजा पर रोक बरकरार रखने और उन्हें राजनयिक पहुंच देने का निर्देश दिया गया।

कौन हैं हरीश साल्वे

आईसीजे में भारत का प्रतिनिधित्न करने वाले साल्वे उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ वकील हैं। उनकी गिनती देश के सबसे महंगे वकीलों के तौर पर होती है। एक रिपोर्ट के अनुसार उनकी एक दिन की फीस करीब 30 लाख रुपये है। मगर जाधव का केस लड़ने के लिए उन्होंने फीस के तौर पर महज एक रुपया लिया। वह 1992 से 2002 देश के सॉलिसिटर जनरल रहे।

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