निर्भया कांड / निर्भया के साथ हैवानियत की कहानी बयान करता ये नंबर DL 1PC 0149

Live Hindustan : Dec 15, 2019, 12:07 PM
नई दिल्ली | दिल वालों का शहर कहलाने वाली दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को एक ऐसी घटना हुई जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। निर्भया रेप केस....16 दिसंबर की रात दिल्ली की सड़कों पर DL 1PC 0149 नंबर की बस दौड़ती रही और उसमें हैवानियत की सारी हदें पार होती रहीं लेकिन किसी को पता तक नहीं चला। उस बस को बाद में पुलिस ने अपनी कस्टडी में ले लिया लेकिन आज उस बस की जो हालत है उसे देखकर किसी के भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे। अगर आप उस बस को देखेंगे तो आपको उस रात को निर्भया के साथ हुई हैवानियत की चीख जरूर सुनाई देगी। 

ऐसा है अब बस का हाल:

ये बस दिनेश यादव नाम के शख्स की है। उस हादसे के बाद से दिनेश को ये बस वापस नहीं दी गई। जब आप बस के अंदर जाएंगे तो आपको बस का ओडोमीटर दिखाई देगा जिसमें आपको 2,26,784 किलोमीटर दिखाई देगा। यानी इस केस से पहले यह बस इतना चल चुकी थी। बस के टायर एक दम फ्लैट हो चुके हैं। डैशबोर्ड और इंजन पर जंग लगी हुई है। डैशबोर्ड के पास सीट के नीचे आपको एक बेल्ट का बक्कल गिरा हुआ भी दिखाई देगा। निर्भया केस के बाद प्रदर्शन कर रहे लोगों ने इस बस को तोड़ दिया था। लोगों का आक्रोश इस बस पर निकला था। 

कुछ महीनों पहले तक बस को साकेत कोर्ट परिसर में रखा गया था। निर्भया केस के बाद पुलिस ने दिनेश को ये बस कभी वापस नहीं की। हालांकि दिनेश ने दो बार इसे वापस पाने के लिए अर्जी लगाई लेकिन पुलिस ने इसे वापस नहीं किया। उस वक्त केस ताजा था और ये बस सड़क पर उतरने के बाद कानून-व्यवस्था में अवरोध पैदा कर सकती थी इसलिए पुलिस ने इसे कभी वापस नहीं किया। इस बस को पुलिस ने वारदात के अगले दिन यानी 17 दिसंबर को दिल्ली के संत रविदास कैंप से बरामद किया था, जहां इस केस के 6 में से 4 दोषी रहते थे। 

निर्भया रेप केस के बाद पूरे देश में आक्रोश था। घटना के बारे में पता चलने के बाद लोगों के अंदर इतना गुस्सा था कि वो इस बस को खत्म कर देना चाहते थे। 17 दिसंबर को पूरे देश में तमाम प्रदर्शन हुए, लोगों ने इस बस को जलाने की मांग की लेकिन पुलिस के लिए ये इस केस से जुड़ा बेहद अहम सबूत था इसलिए पुलिस को इसे बचाना था। इसलिए पुलिस ने बस को बड़े गोपनीय तरीके से त्यागराज स्टेडियम में और बसों के बीच पार्क कर दिया ताकी किसी को शक ना हो। इस बस की कोई तोड़फोड़ ना कर सके कोई उसे चुरा ना सके इसलिए पुलिस ने सादे कपड़ों में कुछ पुलिसवालों वहां तैनात कर दिए। 

6 सालों तक ये बस साकेत कोर्ट परिसर में पार्क रही उसके बाद इसे वसंत विहार पुलिस स्टेशन में सुरक्षित रखा। बीते अप्रेल तक पुलिस ने इस बस की अच्छे से रखवाली की। लेकिन अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया कि पुलिस, पुलिस स्टेशन में पड़े सभी पुराने वाहनों को साफ कर दें और कैंपस साफ-सुथरा रखें। बीते अप्रैल में बस पूरे 6 साल बाद फिर चली और वही रास्ता अपनाया जो उस  रात(16 दिसंबर 2012) को लिया था। हालांकि इस बार यह बस क्रेन के जरिए इन रास्तों से गुजरी और चुपचाप पश्चिम दिल्ली में वहां पहुंची जहां आज भी वो पार्क है। यह एक डंप यार्ड में पार्क है।

हिन्दुस्तान टाइम्स के दो पत्रकार परवेश लामा और संचित खन्ना ने इस बस को ट्रैक किया और आंखो देखा हाल बताया। बस की पीछे वाली सीट की बात की जाए तो वो ऐसे दब चुकी है जैसे कोई बेड हो। निर्भया ने पुलिस को दिए बयान में बताया था कि कैसे बस की पीछे वाली सीट पर उसे और उसके दोस्त को मारा गया था। बस के परदों की तरफ ध्यान जाए तो पीले रंग के इन परदों का अब रंग उड़ चुका है। पर्दे बेहद गंदे नजर आ रहे हैं। सीटों की बात की जाए तो बस की सीट पर लगी गद्दी या तो हटा ली गई है या उन्हें कीडे़ खा गए हैं। बस की खिड़की में भी अब शीशा नहीं है। इन्हें 2013 में जब इस केस की शुरुआती दौर की सुनवाई चल रही थी तो साकेत कोर्ट में प्रदर्शनकारियों ने तोड़ दिया था।

इस केस से शुरू से जुड़े एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस बस को अब कोई नहीं खरीदेगा। इसे किसी दिन कबाड़ में बेच दिया जाएगा। शुरुआत में इस बस के मालिक दिनेश यादव ने इसे वापस पाने की कोशिश की थी लेकिन बाद में उन्हें एहसास हुआ कि इसे दोबारा वापस पा लेने से कुछ नहीं होगा। इस बस की पूरी कीमत आज के समय में 5000 से ज्यादा की नहीं होगी। पुलिस के मुताबिक ट्रैवल एजेंसी के मालिक को धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार किया जा चुका है। वो नोएडा में रहता था। उसके पास 11 बस थीं जो फर्जी पते से रजिस्टर थीं। पुलिस ने बताया कि 16 दिसंबर 2012 से पहले भी बस का 8 बार चालान काटा जा चुका था और 6 बार जब्त किया गया था। लेकिन हर बार दिनेश यादव फाइन भरने के बाद इसे छुड़ा ले जाता था।

घटना के बाद दिनेश के नोएडा सेक्टर-62 स्थित ऑफिस पर प्रदर्शनकारियों ने हंगामा किया था। इन सब के चलते दिनेश और उसके भाई ने अपना फोन एक साल के लिए बंद कर लिया था। लेकिन दिनेश अब फिर से ट्रेवल बिजनेस में आ गया है। लेकिन इस बार उनकी बसों में जीपीएस लगा है ताकि ड्राइवरों की निगरानी हो सके। 

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