लेह / सियाचिन में हुए हिमस्खलन से सेना के 4 जवान शहीद, 2 नागरिकों की भी मौत

Live Hindustan : Nov 19, 2019, 10:11 AM
सियाचिन. दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र कहे जाने वाले सियाचिन ग्लेशियर में हुए हिमस्खलन में सोमवार को आठ जवान फंस गए थे। यहां 6 के मरने की खबर आई है जिसमें दो पोर्टर हैं। उत्तरी सियाचिन में जिस समय बर्फिला तूफान आया उस दौरान जवान क्षेत्र में गश्त कर रहे थे। जवानों को बचाने के लिए सेना ने तत्काल राहत अभियान शुरू कर दिया है।  फंसे बाकी दो को ढूंढने की कोशिश की जा रही है। सेना के सूत्रों ने बताया कि दोपहर तीन बजे 18 हजार फीट की ऊंचाई पर हुए हिमस्खलन ने सेना की कुछ चौकियों को भी तबाह कर दिया है। सूत्रों ने बताया कि जिस दौरान हिमस्खलन हुआ, उस दौरान जवानों का एक दल गश्त पर था।

माइनस 60 डिग्री तक रहता है तापमान

कारकोरम क्षेत्र में लगभग 20 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित सियाचिन ग्लेशियर विश्व में सबसे ऊंचा सैन्य क्षेत्र माना जाता है। यहां पर जवानों को शीतदंश और तेज हवाओं से जूझना पड़ता है। सर्दियों में यहां हिमस्खलन और भूस्खलन आम बात है और तापमान माइनस 60 डिग्री तक चला जाता है।

2016 में 10 जवान शहीद हो गए थे

2016 फरवरी में हुए हिमस्खलन में 10 जवान शहीद हो गए थे। लांस नायक हनुमंथप्पा को घटना के छह दिन बाद बर्फ में 25 फीट नीचे से जिंदा निकाला गया था। लेकिन बाद में दिल्ली के सैन्य अस्पताल में उनकी मौत हो गई। हनुमंथप्पा उन 10 जवानों में से थे जो तीन फरवरी को 10 जवानों के साथ 20500 फीट की ऊंचाई पर हिमस्खलन में फंस गए थे।  

1984 से अब तक 1013 जवान हुए शहीद

सियाचिन सामरिक तौर पर भारत के लिए कितना अहम है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 1984 से लेकर अब तक इस बर्फीले ग्लेशियर में 1013 से ज्यादा जवान शहीद हुए हैं।

SUBSCRIBE TO OUR NEWSLETTER