अमेरिका / कोरोना: एक लाख मौतों की तरफ US, स्कूलों के बाद अब चर्च-मस्जिदें खोलना चाहते हैं ट्रंप

News18 : May 23, 2020, 08:51 AM
वाशिंगटन। अमेरिका (US) में कोरोना संक्रमण (Coronavirus) के अभी भी हर रोज़ हजारों नए केस सामने आ रहे हैं। शुक्रवार को भी यहां संक्रमण से 1200 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवा दी जिसके बाद मौतों का आंकड़ा बढ़कर अब तक 97,600 से भी ज्यादा हो गया है। उधर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने स्कूलों को खोलने की जिद के बीच शुक्रवार को ये कहकर सबको चौंका दिया कि चर्चों और मस्जिदों को भी जल्द से जल्द खोल देना चाहिए। ट्रंप ने कहा कि अब वक़्त आ गया है धार्मिक स्थलों को खोल दें और लोगों को प्रार्थना करने दें।

ट्रंप ने कहा है कि प्रांतों में चर्च खोल देने चाहिए क्योंकि अमरीका में प्रार्थनाओं की ज़रूरत है। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि प्रांतों में गवर्नर के आदेश थे कि कौन-सा व्यापारिक प्रतिष्ठान या जगह कैसे और कब तक बंद रहने हैं, इसमें मैं दखल नहीं देता। अब गवर्नर ही हैं जो यह तय करेंगे कि कब और कैसे पाबंदियों में ढील देनी है। इसमें चर्च में लोगों के इकट्ठा होने की सीमा भी शामिल है। बता दें कि ट्रंप पहले ही स्कूल खोलने की ज्जिद को लेकर राज्यों के गवर्नरों को चिट्ठियां लिख चुके हैं और उनसे प्लान भी मांगा है। जानकारों का मानना है कि ट्रंप अपनी बात मनवाने के लिए प्रांतों को मिलने वाली सहायता में कटौती कर सकते हैं। हालांकि ट्रंप के फैसलों के खिलाफ गवर्नर कोर्ट जा सकते हैं।

कोरोना के बहाने अपने विरोधियों पर बरस रहे हैं ट्रंप

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कोविड-19 महामारी के दौरान अपने दावों के विपरीत बात करने वाले डॉक्टरों और वैज्ञानिकों पर बरस रहे हैं। ट्रंप ने कई मौकों पर यह बात साबित भी की है। वैज्ञानिकों के एक शोध को उन्होंने 'ट्रंप के दुश्मन की बात' बताया तो वहीं एक अध्ययन को राजनीति से प्रेरित कह दिया। अमेरिका में लॉकडाउन खोलने को लेकर जब डॉक्टरों ने कहा कि किसी भी तरह की जल्दबाजी के गंभीर परिणाम हो सकते हैं तो ट्रंप ने इस बात को भी अनसुना कर दिया। ट्रंप ने इस सप्ताह न केवल दो अध्यननों को नकार दिया बल्कि बिना सबूतों के यह भी कह दिया कि ये अध्ययन करने वाले लोग राजनीति से प्रेरित हैं और कोरोना वायरस पाबंदियों को खत्म करने के उनके प्रयासों पर पानी फेरना चाहते हैं।


हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन पर भी घिरे ट्रंप

जब ट्रंप की सरकार के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के वित्तपोषण से किए गए अध्यनन में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा के इस्तेमाल को लेकर आगाह किया गया तो ट्रंप ने उसे भी खारिज कर दिया। इस अध्ययन में कहा गया था कि इस दवा के इस्तेमाल के बावजूद रोगियों की मृत्युदर में कोई कमी नहीं आई है। ट्रंप और उनके कई सहयोगियों का मानना है कि यह दवा कोविड-19 रोगियों के इलाज में किसी चमत्कार से कम नहीं है। ट्रंप ने इस सप्ताह बताया कि वह खुद कोरोना वायरस से बचने के लिये इस दवा का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) की पिछले महीने दी गई उस चेतावनी को भी दरकिनार कर दिया कि इस दवा का इस्तेमाल केवल अस्पतालों में या नैदानिक परीक्षण के लिये ही किया जाना चाहिये क्योंकि इसके गंभीर दुष्परिणाम हो सकते हैं। बिना जरूरत इसे खाने से हृदय संबंधी जानलेवा रोग का शिकार होने का खतरा पैदा हो सकता है।


सोशल डिस्टेंसिंग पर भी ट्रंप की राय अलग

अमेरिकी राष्ट्रपति ने बृहस्पतिवार को कोलंबिया विश्वविद्यालय के मेलमेन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के अध्यनन को लेकर भी ऐसी ही प्रतिक्रिया दी। अध्ययन में कहा गया था कि अगर एक सप्ताह पहले सामाजिक मेलजोल से दूरी के नियमों का पालन किया गया होता तो संक्रमण के लगभग 61 प्रतिशत और मौत के 55 प्रतिशत मामले कम सामने आते। ट्रंप ने बृहस्पतिवार को इस अध्ययन को नकारते हुए कहा, 'कोलंबिया एक बहुत उदारवादी संस्थान है। मुझे लगता है कि उनका यह अध्ययन राजनीति से प्रेरित है। आपको सच जानना चाहिये।' ट्रंप ने पत्रकारों से इस बारे में कहा, 'यह ट्रंप से दुश्मनी दिखाने वाली बात है।'

अमेरिका के जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में कानून की प्रोफेसर और जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ लैरी गोस्टिन का कहना है, 'अगर ट्रंप इसी तरह विज्ञान का राजनीतिकरण करते रहे और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की बातों को नकारते रहे तो जनता से बीच डर और भ्रम बैठता चला जाएगा।' हालांकि व्हाइट हाउस ने ट्रंप के इस रवैये पर उठ रहे सवालों को खारिज किया है। उसका कहना है कि ट्रंप अपने प्रशासन के जन स्वास्थ्य अधिकारियों के सुझावों का अनुसरण करते हैं।


व्हाइट हाउस ने ठुकराए आरोप

उधर व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जुड डीरे ने कहा है, 'यह कहना कि राष्ट्रपति, वैज्ञानिक आंकड़ों या वैज्ञानिकों के महत्वपूर्ण कार्यों को महत्व नहीं देते, पूरी तरह गलत है। उन्होंने कोविड-19 महामारी से निपटने के लिये आंकड़ों पर आधारित कई फैसले लिये हैं। इनमें अधिक संक्रमित आबादी वाले इलाकों में जल्द यात्रा प्रतिबंध लगाने जैसा फैसला शामिल है। इसके अलावा राष्ट्रपति ने टीका विकसित करने के प्रयास तेज करने और वायरस के प्रसार को रोकने लिये पहले 15 तथा उसके बाद में 30 दिन के लिये दिशा-निर्देश जारी करने जैसे कदम भी उठाए। साथ ही उन्होंने अमेरिका में लॉकडाउन खोलने को लेकर गवर्नरों को स्पष्ट और सुरक्षित रास्ते भी बताए।

अमेरिका के जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में कानून की प्रोफेसर और जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ लैरी गोस्टिन कहती हैं कि ट्रंप को कोरोना वायरस को लेकर सामने आ रहे आंकड़ों और विभिन्न अध्ययनों के आकलन का काम अपनी जन स्वास्थ्य एजेंसियों पर छोड़ देना चाहिये। उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि असली खतरा राष्ट्रपति का टीवी पर बैठकर वैज्ञानिकों और डॉक्टरों से खेलना है।'

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