India-Russia Relation / भारत का टॉप ऑयल सप्लायर बना रूस, क्या सस्ता होगा अब पेट्रोल?

Zoom News : Oct 20, 2023, 06:15 PM
India-Russia Relation: खाड़ी देश आज कल चर्चा का विषय बने हुए हैं. उसका कारण इजराइल और फिलिस्तीन के बीच लड़ाई. गाजा पर लगातार हो रहे इजराइल हमलों की वजह से खाड़ी देश काफी नाराज हैं. लेकिन खाड़ी देशों को परेशानी करने वाली आज जो खबर आई है, वो गाजा से नहीं बल्कि भारत से है. जहां पर रूस ने खाड़ी देशों को बड़ा झटका दिया है. वास्तव में रूस ने मौजूदा वित्त वर्ष के पहले 6 महीनों में इंडियन क्रूड ऑयल बास्केट में 40 फीसदी की हिस्सेदारी हासिल कर ली है.

इस बास्केट में कभी खाड़ी देशों का एकछत्र राज हुआ करता था. 2022 में रूस-युक्रेन वॉर से पहले खाड़ी देशों की हिस्सेदारी काफी ज्यादा थी और रूस की 2 फीसदी भी नहीं थी. जब रूस पर प्रतिबंध लगे और उसने दुनिया को सस्ता क्रूड ऑयल देने का ऑफर किया तो भारत ने इसका भरपूर फायदा उठाया और तेजी के साथ रूस की इंडियन बास्केट में हिस्सेदारी ओपेक देशों से ज्यादा हो गई.

भारत, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑयल इंपोर्टर और कंज्यूमर है. इस साल के अंत तक वॉलेंटरी प्रोडक्शन कट को बढ़ाने के सऊदी अरब के फैसले के बाद मिडिल ईस्ट सप्लाई में भी और कमी आने की संभावना है, जिससे भारत दूसरे ऑप्शंस पर भी विचार कर सकता है. अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या भारत में पेट्रोल सस्ता होगा? ये सवाल इसलिए भी है क्योंकि रूसी तेल भी 80 डॉलर के करीब पहुंच गया है. भारत में मई 2022 से पेट्रोल और डीजल की कीमत में कोई बदलाव देखने को नहीं मिला है।

पिछले साल से भारत में डबल एक्सपोर्ट

भारत ने अप्रैल से सितंबर तक या यूं कहें कि वित्तीय वर्ष 2023-24 की पहली छमाही में औसतन 1.76 मिलियन बैरल प्रति दिन (बीपीडी) रूसी तेल का इंपोर्ट किया. जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह इंपोर्ट लगभग 780,000 बैरल प्रति दिन था. आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले महीने, रूस से भारत का इंपोर्ट, जो जुलाई और अगस्त में कम हो गया था, बढ़कर 1.54 मिलियन बीपीडी हो गया, जो अगस्त से 11.8 फीसदी और एक साल पहले से 71.7 फीसदी ज्यादा है.

रूस टॉप पर मिडिल ईस्ट को नुकसान

अप्रैल से सितंबर के दौरान रूस भारत का टॉप ऑयल सप्लायर रहा, उसके बाद इराक और सऊदी अरब का नंबर देखने को मिला. आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल-सितंबर की अवधि के दौरान इराक और सऊदी अरब से भारत का इंपोर्ट क्रमशः 12 फीसदी और लगभग 23 फीसदी गिरकर 928,000 बीपीडी और 607,500 बीपीडी हो गया. अप्रैल-सितंबर में मिडिल ईस्ट से इंपोर्ट लगभग 28 फीसदी घटकर 1.97 मिलियन बीपीडी हो गया, जिससे भारत के कुल तेल इंपोर्ट में क्षेत्र की हिस्सेदारी एक साल पहले की अवधि के 60 फीसदी से कम होकर 44 फीसदी हो गई.

ओपेक की हिस्सेदारी भी कम

आंकड़ों के अनुूसार स्वतंत्र राज्यों के राष्ट्रमंडल (सीआईएस) से तेल की हिस्सेदारी, जिसमें अजरबैजान, कजाकिस्तान और रूस शामिल हैं, मुख्य रूप से मॉस्को से अधिक खरीद के कारण लगभग दोगुनी होकर 43 फीसदी हो गई है. मिडिल ईस्ट से कम खरीदारी के कारण भारत के कुल इंपोर्ट में ओपेक की हिस्सेदारी 22 वर्षों में सबसे कम हो गई. पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) के सदस्यों की हिस्सेदारी, मुख्य रूप से मिडिल ईस्ट और अफ्रीका से, अप्रैल से सितंबर में 46 फीसदी तक गिर गई, जबकि एक साल पहले यह लगभग 63 फीदसी थी.

भारत में सस्ता होगा पेट्रोल और डीजल?

क्रूड ऑयल की कीमतें लगातार बढ़ रही है. वैसे खाड़ी देशों के मुकाबले रूसी तेल अभी 10 से 15 डॉलर प्रति बैरल सस्ता है. सितंबर के महीने में रिपोर्ट आई थी, कि भारत को रूस से 80 डॉलर प्रति बैरल पर कच्चा तेल मिल रहा है, पश्चिमी देशों की ओर लगाए गए कैप से 20 डॉलर प्रति बैरल ज्यादा है. अगर भारत को अभी भी 80 डॉलर पर रूसी कच्चा तेल मिल रहा है वो ब्रेंट क्रूड ऑयल के मुकाबले करीब 13 से 14 डॉलर सस्ता है. मौजूदा समय में ब्रेंट क्रूड ऑयल के दाम 94 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गए हैं. अमेरिकी तेल के दाम 91 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंचने वाले हैं.

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