AajTak : Apr 08, 2020, 06:16 PM
विशेष | कई सालों से बढ़ते प्रदूषण की वजह से दुनिया जलवायु परिवर्तन और दुष्परिणामों का सामना कर रही है। इसकी वजह से दुनिया में कई तरह के बदलाव हो रहे हैं। विशेषज्ञों ने जलवायु परिवर्तन पर चिंता जाहिर की है। उनका कहना है कि जलवायु परिवर्तन का सबसे बड़ा परिणाम हमें नॉर्वे के उत्तर में स्थित बैरेंट्स सागर में देखने को मिल रहा है।बीबीसी को विशेषज्ञों का बताया कि नॉर्वे के उत्तर में स्थित बैरेंट्स सागर बारह हज़ार साल से आर्कटिक सागर का हिस्सा रहा है लेकिन अब जलवायु परिवर्तन की वजह से इसकी स्थिति में बदलाव आ रहे हैं। अब बैरेंट्स सागर गायब होता नजर आ रहा है। इसकी वजह से आर्कटिक के नक्शे में भी बदलाव आ रहे हैं।जानकारी के मुताबिक आर्कटिक की समुद्री बर्फ जो अंदर के गर्म और खरे पानी पर ठंडी और ताजी परत बनाती है। लेकिन जलवायु परिवर्तन की वजह से नॉर्वे के उत्तर में स्थित बैरेंट्स सागर से बहकर आने वाली बर्फ अब कम हो गई है।12 हजार साल से समुद्री बर्फ आर्कटिक सागर से बहकर बैरेंट्स सागर में आती रही है। लेकिन इसमें कमी आई है और समुद्र का स्वरूप कई सालों से तेजी से बदल रहा है। विशेषज्ञों ने चिंता जताते हुए चेतावनी दी है कि जल्द ही यहां समुद्री बर्फ खत्म हो जाएगी और ये सागर आर्कटिक का हिस्सा नहीं रह जाऐगा।विशेषज्ञों का कहना है, 'हम शायद तेजी से होने वाले जलवायु परिवर्तन की ऐसी आधुनिक घटना देख रहे हैं। इसमें ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से आर्कटिक सिकुड़ रहा है।' वैज्ञानिकों का मानना है कि आगले 10 साल के अंदर बैरेंट्स सागर अटलांटिक में समा सकता है और इसका सीधा असर बैरेंट्स सागर में रह रहे समुद्री जीवों पर असर होगा।विशेषज्ञ ली सीऔरगिन्सन के मुताबिक, रिटल स्टार जैसे समुद्री जीवों का गर्म पानी में रहना बहुत मुश्किल हो जाएगा जिससे उनके जिंदगी को भी खतरा बढ़ जाएगा। समुद्री जीवों के लिए तापमान बढ़ोतरी होने से कई जानवरों के लिए समुद्री जीवन कठिन हो जाएगा। उनमें समुद्री घोंघे (sea slug) जैसे कई जीव शामिल हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर हमारे आसपास समुद्री जीव नहीं रहेंगे तो कोई नहीं जानता आगे क्या होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि वे इंसानों के असर का संतुलन बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।