कॅटगरी | एक्शन ,थ्रिलर,रोमांस |
निर्देशक | प्रभुदेवा |
कलाकार | अरबाज खान,सलमान खान,साई मांजरेकर,सुदीप,सोनाक्षी सिन्हा |
रेटिंग | 2.5/5 |
निर्माता | सलमान खान |
संगीतकार | साजिद-वाजिद |
प्रोडक्शन कंपनी | सलमान खान फिल्म्स |
लोग मूवी रिव्यू पढ़ते हैं, ताकि तय कर सकें कि मूवी देखने जाएं या न जाएं। तो जो लोग सलमान खान के फैन हैं, उनके लिए तो ‘दबंग 3’ का रिव्यू एक लाइन का है-
भाई की मूवी है।
आप लोग ये, या कोई भी रिव्यू पढ़कर भाई की बेईज्ज़ती कर ही क्यूं रहे हो। टिकट बुक करो और देखने जाओ। फ़ौरन से पेश्तर।
जहां तक उन लोगों की बात है जो मूवी देखने जाएं य न जाएं, इस बात से तय करते हैं कि मूवी अच्छी है या बुरी। उनके लिए भी दरअसल रिव्यू एक ही लाइन का है-
ये टिपिकल भाई की मूवी है।
एक बार सेल्फिश होकर देखो न-
एक अबोध बच्चा जब पेंटिंग बनाता है तो सारे रंगों का प्रयोग करता है। जबकि एक प्रफेशनल पेंटर कलर नहीं टेंपलेट यूज़ करता है। मतलब कुछ एक रंग। और उन इक्का दुक्का रंगों के ही ढेरों शेड्स।
एक प्रफेशनल डांस डायरेक्टर, प्रभु देवा कृत इस मूवी में भी भी इन्द्रधनुष नहीं एक टेंपलेट यूज़ किया गया है। टेंपलेट जिसमें भाई के शेड्स हैं। और यूं मूवी में भाई ही भाई हैं। कभी खुद का स्वागत करवाते, कभी बदनाम होते, कभी शर्ट उतारते, कभी चश्मा उछालते, कभी नाचते, कभी पीटते…
… भाई की एक नहीं 5-6 बार एंट्री होती है।
बाकी सोनाक्षी सिन्हा, किचा सुदीप, अरबाज़ खान, सई मांजरेकर तो इस पेंटिंग की आउट लाइन्स भर हैं।
भाई के इतने शेड्स हैं कि बड़ा पर्दा भी छोटा पड़ जाता है और ये शेड्स छलक पड़ते हैं। यूं वो इस मूवी के लेखक भी हैं। आप कहेंगे क्यूं नहीं हो सकते,’पूत पे पूत घोड़े पे घोडा।’
एक्टिंग न दिल में आती है न समझ में-
अब भाई से एक्टिंग करवाओगे? भाई के इतने ऊंचे कद को एक्टिंग से जज करना ऐसा ही है जैसे रोहित शेट्टी को उनकी मूवी की स्क्रिप्ट से इतर जज करना। हालाकिं भाई इंटरवल से पहले वाले एक सीन में आपको ग़लत साबित करते हुए एक दो मिनट अच्छी एक्टिंग भी कर जाते हैं। वैसे वो सीक्वेंस भी अच्छा बन पड़ा है। इमोशनल।
बाकी हर सीन में भी भाई हैं हीं। इसलिए सबके साथ उनकी एक्टिंग की बात की जाए तो सोनाक्षी और सलामन रेगुलर हैं, जैसे दबंग 1 और 2 में थे। सई और सलामन की कैमेस्ट्री में कोई कोवेलेंट बॉन्डिंग नहीं दिखती। केमिस्ट्री तो सुदीप और सलमान की सबसे बेहतरीन लगती है। अरबाज़ खान और भाई एक साथ ‘डंब एंड डंबर’ के जिम कैरी और जेफ डैनिएल्स सरीखे लगते हैं बस कॉमेडी और टाइमिंग माइनस कर लीजिए। डॉली बिंद्रा इरिटेट करती हैं। बहुत।
रिव्यू से डर नहीं लगता, फाइनल वर्डिक्ट से लगता है-
मूवी काफी ढेर सारे रिकॉल्स से भरी पड़ी है और वहां-वहां पर रोचक भी हो जाती है। जैसे रज्जो का डायलॉग,’थप्पड़ से डर नहीं लगता’ या मुन्नी बदनाम का मेल वर्ज़न या ‘इतने छेद करेंगे’
यूं मूवी के कई अच्छे मोमेंट्स भी हैं लेकिन आजकल मूवी सिनेमाहॉल से उतरती बाद में है ऑनलाइन या टीवी में पहले आ जाती है। इसलिए सोच समझकर मूवी देखने जाएं। अगर आप सलमान के फैन हैं तो गारंटी है मूवी में नींद नहीं आएगी। बाकियों के लिए ये गारंटी नहीं दी जा सकती।