रनवे 34

Apr 29, 2022
कॅटगरी थ्रिलर
निर्देशक अजय देवगन
कलाकार अजय देवगन,अमिताभ बच्चन,बोमन ईरानी,रकुल प्रीत सिंह
रेटिंग 3/5
निर्माता अजय देवगन
संगीतकार अमर मोहिले,जसलीन रॉयल
प्रोडक्शन कंपनी अजय देवगन FFilms

Runway 34 Movie Review: अभिनय के लिहाज से फिल्म का फॉर्मूला बिल्कुल सेट है। अजय देवगन को हैरान, परेशान और हलकान दिखना है। इसमें वह मास्टर हैं। चेहरे पर दर्द दिखाना हो तो उसमें भी तमाम दूसरे अभिनेताओँ से हमेशा से इक्कीस रहे हों। झुंझलाने में, अपनी जिद चलाने में भी अजय देवगन का सानी नहीं है।


हिंदी और दक्षिण भारतीय भाषाओं के झगड़े में उलझे अजय देवगन गुरुवार को प्राइम वीडियो के महाउद्घोषणा दिवस पर अपनी कंपनी की अगली फिल्मों के इस ओटीटी पर प्रसारण की बात करने पहुंचे तो सबको यही लगा कि वह हिंदी में बोलेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हिंदी सिनेमा बनाने वाले अंतर्राष्ट्रीय स्तर की फिल्में बनाना चाहते हैं और कहानियां भी वैसी ही रखना चाहते हैं जैसी अंतर्राष्ट्रीय सिनेमा पसंद करने वाले दर्शक पहले ही देख चुके होते हैं। हिंदी सिनेमा और दक्षिण भारतीय सिनेमा का फर्क यही है। हिंदी सिनेमा मात भी यहीं खा रहा है। दक्षिण भारतीय फिल्मकार देसी कहानियों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बना रह हैं। हिंदी सिनेमा अंतर्राष्ट्रीय सिनेमा की कहानियों को देसी स्तर पर बना रहा है। लैंडिंग से पहले मामला इसी तूफान में फंसा हुआ है।


काबिल अभिनेता की कोशिश

अजय देवगन काबिल अभिनेता हैं। निर्देशक बनने का सपना उन्होंने हीरो बनने से पहले देखा। और, जब इस काबिल हुए कि उनकी बात जमाना सुने तो वह बार बार निर्देशक बनने की कोशिश कर रहे हैं। फिल्म ‘रनवे 34 (Runway 34)’ उनकी तीसरी कोशिश है फिल्म निर्देशक बनने की। तकनीक उनको तमाम दूसरे तकनीशियनों से बेहतर समझ आती है। कैमरे की प्लेसिंग करने के भी उस्ताद दिखते हैं। दूसरे अभिनेताओं से कलाकारी भी अजय बढ़िया कराते हैं। फिल्म ‘रनवे 34 (Runway 34)’ के अजय देवगन के लिए दो सबक हैं। एक तो उन्हें कहानी ऐसी लेनी होगी जो पहली ही नजर में किसी अंग्रेजी फिल्म से प्रेरित न लगे और दूसरे अगर वह वाकई फुल टाइम और कामयाब निर्देशक बनना चाहते हैं तो फिर अपनी ही फिल्म में अभिनय का मोह उन्हें त्यागना होगा।


‘सली’ से समानता नुकसानदेह

छह साल पहले रिलीज हुई बेहतरीन अभिनेता टॉम हैंक्स की फिल्म ‘सली’ की कहानी से मिलती जुलती फिल्म ‘रनवे 34 (Runway 34)’ वैसे तो दक्षिण भारत के एक हवाई अड्डे पर खराब मौसम के बीच एक हवाई जहाज को उतारने की जद्दोजहद की कहानी बताई जाती है। लेकिन, फिल्म के ट्रेलर देखने के बाद उन लोगों के मन में इस फिल्म को देखने की कोई इच्छा ही नहीं जागी जिन्होंने फिल्म ‘सली’ देख रखी है। अब टॉम हैंक्स से बेहतर अभिनेता बनना कोई आसान काम तो है नहीं। फिल्म ‘रनवे 34 (Runway 34)’ की कहानी भी वही है। एक पायलट की जिद और मौसम का कहर। दोनों के बीच फंसे यात्रियों की भावुक कहानियां। और, साथ में एक को पायलट, जिसका नाम जानबूझकर ऐसा रखा गया कि उसकी फिरकी ली जा सके।


पटकथा से दर्शकों को पटाना मुश्किल

एक पहले से जानी पहचानी सी कहानी पर बनी फिल्म ‘रनवे 34 (Runway 34)’ की सबसे कमजोर कड़ी है इसकी पटकथा। हिंदी दर्शकों की मेधा को कम मानकर चलना ही हिंदी सिनेमा के कारोबार के लिए बड़ी भूल बनती जा रही है। फिल्म निर्माताओं के पास इन दिनों रिसर्च के लिए ‘ऑरमैक्स’ जैसी एजेंसियां भी है, लेकिन दर्शकों के मनोभावों को पढ़ने के लिए हॉलीवुड जैसे स्क्रिप्ट डॉक्टर उनके पास नहीं हैं। जिन चंद फिल्म कंपनियों ने हिंदी पट्टी के वरिष्ठ जानकारों को अपनी फिल्मों की मरम्मत के लिए रखा भी, उनका कृत्रिम आभामंडल ऐसी फिल्मों को और संकट में फंसा देता है। अजय देवगन की बतौर निर्माता और बतौर निर्देशक यहीं पर पकड़ ढीली होती है।


अमिताभ बच्चन का घटता आकर्षण

अभिनय के लिहाज से फिल्म का फॉर्मूला बिल्कुल सेट है। अजय देवगन को हैरान, परेशान और हलकान दिखना है। इसमें वह मास्टर हैं। चेहरे पर दर्द दिखाना हो तो उसमें भी तमाम दूसरे अभिनेताओँ से हमेशा से इक्कीस रहे हों। झुंझलाने में, अपनी जिद चलाने में भी अजय देवगन का सानी नहीं है। फिल्म जब तक हवाई जहाज में रहती है, उड़ती रहती है। फिल्म धड़ाम होती है, जमीन पर आने के बाद। अमिताभ बच्चन के अभिनय में अब ताजगी घटती जा रही है। अपनी आवाज पर जरूरत से ज्यादा जोर देने से भी उनका अभिनय आकर्षण अपनी चमक खो रहा है। वह जब भी प्राकृतिक रूप से परदे पर आते हैं, चमत्कार करते हैं और जब जरूरत से ज्यादा रिहर्सल के बाद कैमरे के सामने आते हैं तो पकड़े जाते हैं। बोमन ईरानी जैसे दमदार अभिनेता का सही इस्तेमाल फिल्म में हो नहीं पाया है। रकुल प्रीत ने अपने हिस्से की खूबसूरती जहां जरूरत पड़ी दिखा दी।


ईद के मौके पर स्याह फिल्म

फिल्म ‘रनवे 34 (Runway 34)’ को एक इंटेलीजेंट फिल्म के तौर पर बनाया गया है। बहस की लाइनों में ये जताने की बार बार कोशिश भी की जाती है। फिल्म तकनीकी तौर पर बहुत दमदार है। तकनीकी दक्षता दिखाने के लिए अजय देवगन की ही कंपनी एनवाई वीएफएक्सवाला की ये बढ़िया शोरील भी है, लेकिन क्या ये बतौर निर्माता निर्देशक अजय देवगन की सौ फीसदी क्षमता की भी शो रील है? जवाब अजय देवगन को खुद तलाशना होगा। ईद के मौके पर अमूमन फिल्में ऐसी पसंद की जाती हैं, जिनमें जिंदगी की बात हो, जिंदगी के रंगों के बात हो, उत्साह और हौसले की बात हो। फिल्म ‘रनवे 34 (Runway 34)’ इस लिहाज से काफी स्याह फिल्म दिखती है।


देखें कि न देखें..

अजय देवगन ने अपने अभिनय से अपना एक मजबूत प्रशंसक वर्ग बनाया है। ये प्रशंसक वर्ग उन्हें मानवीय संवेदनाओं के करीब पाता है तो उनकी फिल्में हिट भी करवाता है। अजय देवगन अपनी ब्रांड वैल्यू को पहचानने में फिल्म ‘रनवे 34 (Runway 34)’ में चूके हैं। ये फिल्म उनके कट्टर प्रशंसकों को भी थोड़ी बोझिल लग सकती है। हां, वीकएंड पर टाइम पास करना हो तो ये फिल्म बुरी नहीं है।


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