- भारत,
- 10-Nov-2025 10:13 AM IST
- (, अपडेटेड 10-Nov-2025 10:13 AM IST)
बेंगलुरु के केम्पेगौड़ा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के टर्मिनल 2 पर कुछ व्यक्तियों द्वारा नमाज अदा करने का एक वीडियो सामने आने के बाद कर्नाटक में राजनीतिक घमासान तेज हो गया है। इस वीडियो ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को कर्नाटक की कांग्रेस सरकार पर निशाना साधने का अवसर प्रदान किया है, जिसमें पार्टी ने सुरक्षा प्रोटोकॉल और कथित दोहरे मापदंडों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। यह घटना राज्य में धार्मिक स्वतंत्रता, सार्वजनिक स्थानों पर गतिविधियों की अनुमति और। कानून के समान अनुप्रयोग को लेकर चल रही बहस को और गहरा करती है।
बेंगलुरु एयरपोर्ट पर नमाज का वायरल वीडियो
हाल ही में एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ है, जिसमें बेंगलुरु एयरपोर्ट के टर्मिनल 2 के अंदर कुछ लोग नमाज पढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं और यह वीडियो सामने आते ही कर्नाटक भाजपा ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई। भाजपा के प्रवक्ता विजय प्रसाद ने इस वीडियो को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर साझा करते हुए सीधे तौर पर राज्य सरकार और उसके शीर्ष नेतृत्व पर सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि एक उच्च सुरक्षा वाले क्षेत्र, विशेषकर हवाई अड्डे के अंदर इस तरह की गतिविधि की अनुमति कैसे दी जा सकती है। यह घटना ऐसे समय में सामने आई है जब राज्य में विभिन्न धार्मिक और। सामाजिक संगठनों की गतिविधियों को लेकर राजनीतिक दल एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। भाजपा प्रवक्ता विजय प्रसाद ने अपने पोस्ट में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनके कैबिनेट मंत्री प्रियांक खड़गे से स्पष्टीकरण मांगा है। प्रसाद ने सवाल किया कि क्या इन लोगों ने बेंगलुरु एयरपोर्ट के टर्मिनल 2 के अंदर नमाज पढ़ने से पहले संबंधित अधिकारियों से अनुमति ली थी। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और मंत्री प्रियांक खड़गे ने इस गतिविधि को मंजूरी दी थी और भाजपा का यह सवाल इस बात पर जोर देता है कि एक संवेदनशील और उच्च सुरक्षा वाले स्थान पर किसी भी धार्मिक या सामूहिक गतिविधि के लिए पूर्व अनुमति और स्पष्ट प्रोटोकॉल का पालन किया जाना चाहिए। यह सवाल सीधे तौर पर सरकार की निगरानी और सुरक्षा व्यवस्था पर उंगली उठाता है।RSS पथ संचलन बनाम एयरपोर्ट पर नमाज: दोहरे मापदंड का आरोप
भाजपा ने इस घटना को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के पथ संचलन पर राज्य सरकार की आपत्ति के साथ जोड़ते हुए कांग्रेस सरकार पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया है। विजय प्रसाद ने कहा कि जब आरएसएस अपने पथ संचलन के लिए अधिकारियों से विधिवत अनुमति लेने के बाद कार्यक्रम आयोजित करता है, तो सरकार उस पर आपत्ति क्यों करती है और उसे रोकने का प्रयास करती है, जबकि बेंगलुरु एयरपोर्ट जैसे संवेदनशील और उच्च सुरक्षा वाले क्षेत्र में ऐसी गतिविधियों पर आंखें मूंद लेती है। भाजपा का तर्क है कि यह एक गंभीर सुरक्षा चिंता का विषय है और सरकार की प्राथमिकताएं स्पष्ट नहीं हैं। यह आरोप राज्य में राजनीतिक ध्रुवीकरण को और बढ़ावा देता है, जहां विभिन्न संगठनों की गतिविधियों को अक्सर राजनीतिक चश्मे से देखा जाता है।मंत्री प्रियांक खड़गे के पूर्व बयान और RSS पर सवाल
यह घटना कर्नाटक के कैबिनेट मंत्री प्रियांक खड़गे द्वारा 3 नवंबर को आरएसएस की पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल उठाए जाने के कुछ दिनों बाद हुई है। खड़गे ने जानना चाहा था कि आरएसएस अपनी गतिविधियों को गुप्त क्यों रखता है और बिना एक पंजीकृत संगठन के रूप में खुद को पंजीकृत किए बड़े पैमाने पर मार्च कैसे कर सकता है और उन्होंने कहा था कि जब तक आरएसएस अपनी गतिविधियों के लिए सरकार से अनुमति लेता है और खुद को एक संगठन के रूप में पंजीकृत कराता है, उन्हें उससे कोई समस्या नहीं है। खड़गे ने भाजपा पर भी सवाल उठाया था कि वह इतनी उत्सुक क्यों है कि आरएसएस देश के कानून का पालन न करे और ये बयान मौजूदा विवाद को एक व्यापक राजनीतिक संदर्भ प्रदान करते हैं, जिसमें विभिन्न संगठनों की वैधता और उनके संचालन के तरीकों पर सवाल उठाए जा रहे हैं।पथ संचलन की अनुमति पर कानूनी लड़ाई
आरएसएस के पथ संचलन से जुड़ा मामला कर्नाटक उच्च न्यायालय में भी चल रहा है। 6 नवंबर को, उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार की उस अपील को खारिज कर दिया था, जिसमें सार्वजनिक स्थानों पर कोई भी कार्यक्रम करने से पहले अनुमति लेने के आदेश पर लगी रोक हटाने की मांग की गई थी। अदालत ने इस आदेश की संवैधानिकता पर सवाल उठाया था और कहा था। कि सरकार चाहे तो इस मामले में एकल पीठ के पास जा सकती है। सरकार का यह आदेश आरएसएस की शाखाओं और पथ संचलन पर रोक लगाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा था। इस मामले पर अगली विस्तृत सुनवाई 13 नवंबर को होनी है, जो राज्य में सार्वजनिक सभाओं और संगठनों की गतिविधियों को नियंत्रित करने वाले नियमों के भविष्य को निर्धारित कर सकती है।सुरक्षा चिंताएं और राजनीतिक घमासान
बेंगलुरु एयरपोर्ट पर नमाज के वीडियो और आरएसएस के पथ संचलन पर सरकार की आपत्ति के बीच तुलना ने कर्नाटक में एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। भाजपा ने इस घटना को एक गंभीर सुरक्षा चिंता के रूप में प्रस्तुत किया है, खासकर एक ऐसे समय में जब हवाई अड्डों पर सुरक्षा व्यवस्था को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है और पार्टी का आरोप है कि सरकार एक तरफ तो कुछ संगठनों की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश करती है, वहीं दूसरी ओर संवेदनशील क्षेत्रों में अन्य गतिविधियों पर आंखें मूंद लेती है। यह विवाद न केवल धार्मिक और राजनीतिक स्वतंत्रता के मुद्दों को उठाता है, बल्कि। राज्य में कानून और व्यवस्था के समान अनुप्रयोग पर भी सवाल खड़े करता है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा कर्नाटक की राजनीति में एक महत्वपूर्ण बहस का विषय बना रह सकता है, जिसमें विभिन्न पक्ष अपनी-अपनी दलीलें पेश करेंगे और सरकार को इन सवालों का जवाब देना होगा।How is this even allowed inside the T2 Terminal of Bengaluru International Airport?
— Vijay Prasad (@vijayrpbjp) November 9, 2025
Hon’ble Chief Minister @siddaramaiah and Minister @PriyankKharge do you approve of this?
Did these individuals obtain prior permission to offer Namaz in a high-security airport zone?
Why is it… pic.twitter.com/iwWK2rYWZa
